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पुलिस की वर्दी में घर पहुंचे, पैर छूकर लिया आशीर्वाद और सीने में खाली कर दी बंदूकें… नेताजी के गुरु के हत्याकांड की कहानी | mulayam singh yadav guru jyotish ramesh tiwari murder case Story of Netaji guru Jaunpur coart 12 accused sentenced to life imprisonment stwma

पुलिस की वर्दी में घर पहुंचे, पैर छूकर लिया आशीर्वाद और सीने में खाली कर दी बंदूकें... नेताजी के गुरु के हत्याकांड की कहानी

मुलायम सिंह यादव के गुरु ज्योतिषी रमेश तिवारी के हत्यारों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के गुरु ज्योतिषी रमेश तिवारी के हत्यारों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. उनकी हत्या चुनावी हार और वर्चस्व की लड़ाई के लिए की गई थी. हत्या कैसे और किसके जरिए की जाए इसका पूरा प्लान किया गया था. जेल से जमानत पर शूटर निकलवाए. उन्हें पुलिस का भेष धरवाया गया. आजमगढ़ से पिस्टल और कार्बाइन मंगवाई और हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया.

जौनपुर जिले के सरपतहां थाना क्षेत्र के ऊंचगांव के बहुचर्चित ज्योतिषी रमेश तिवारी हत्याकांड की प्रमुख वजह चुनावी रंजिश और वर्चश्व की लड़ाई थी. दरअसल, मृतक के पिता राजेन्द्र प्रसाद तिवारी और हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता धीरेंद्र सिंह की पत्नी अनीता सिंह ने 2010 में ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ा था. प्रधान पद के लिए की गई दावेदारी में राजेंद्र प्रसाद तिवारी को 37 मतों से जीत मिली. इसके अलावा ऊंचगांव में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय निर्माण के लिए प्रतापगढ़ में टेंडर हुआ, जिसमें टेंडर राजेन्द्र प्रसाद तिवारी को मिला था.

हत्या की बनाई योजना

रमेश तिवारी के बढ़ते वर्चश्व को देख मुख्य साजिशकर्ता धीरेंद्र सिंह और उनके परिवार के लोग काफी परेशान थे. वह रमेश तिवारी व उनके परिवार के वर्चश्व के आगे गांव में खुद को पराजित महसूस कर रहे थे. इस टीस को हमेशा के लिए खत्म करने और गांव में अपनी सत्ता कायम रखने के लिए रमेश तिवारी की हत्या की योजना बना डाली थी. ज्योतिषी रमेश तिवारी को ठिकाने लगाने के लिए साजिशकर्ता धीरेंद्र सिंह ने गोरखपुर जेल में बंद शार्प शूटर शेरू सिंह को हायर किया था.

पेशी से लेकर बाहर आने तक का उठाया खर्चा

जानकारी के मुताबिक शेरू के पेशी से लेकर जेल से बाहर निकलने तक का खर्च धीरेंद्र सिंह ने उठाया था. भाड़े के शार्प शूटर शेरू सिंह ने अपने साथी विपुल सिंह के साथ मिलकर हत्याकांड को अंजाम दिया था. फिल्मी स्टाइल में हत्या करने के लिए कार्बाइन और 9MM की ऑटोमैटिक पिस्टल जैसे अत्याधुनिक हथियार आजमगढ़ के शार्प शूटर अमरजीत यादव ने उपलब्ध कराए थे. अमरजीत पर 67 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं.

भाड़े के शार्प शूटरों ने ली हत्या की जिम्मेदारी

पुलिस को चकमा देने के लिए हत्याकांड को बेखौफ तरीके से अंजाम देने का प्लान बना था. शेरू और विपुल भाड़े के इन दोनों शार्प शूटरों ने हत्याकांड की जिम्मेदारी ली थी. इसके लिए बाकायदा उनके लिए पुलिस की वर्दी सिलवाई गयी. यह वर्दी जौनपुर के कोतवाली चौराहे के पास स्थिति मेट्रो मॉर्डन टेलर्स के यहां से सिलवाई गयी. इतना ही नही इस हत्याकांड में प्रयुक्त मोबाइल फोन ओलंदगंज स्थित बालाजी मोबाइल शॉप से खरीदे गए थे. पुलिस की वर्दी में दोनों शार्प शूटर्स जिस बाइक से घटना को अंजाम देने गए थे. वह जौनपुर के निहारिका बजाज शोरूम से चेक द्वारा खरीदी गई थी. बजाज डिस्कवर बाइक से वर्दीधारी बदमाशों ने फिल्मी स्टाइल में जाकर रमेश तिवारी को गोलियों से भून डाला था.

हत्या के बाद अम्बेडकर नगर भागे शूटर

हत्या के बाद दोनों शूटर अम्बेडकर नगर चले गए थे. जहां शेरू ने अपनी मौसी के यहां हत्या में प्रयुक्त पुलिस की वर्दी को छुपाकर कपड़े बदले. असलहों को रखा था. जो बाद में पुलिस ने सर्विलांस की मदद से बरामद किया. हत्या में प्रयुक्त 1 पिस्टल जौनपुर के जाफराबाद में हुए शेरू के एनकाउंटर में बरामद किया था, जबकि 1 अन्य पिस्टल आरोपी विपुल सिंह के पास से गोरखपुर से बरामद हुई थी. कार्बाइन को शूटरों ने देवरिया पहुंचा दिया था, रामपुर कारखाना स्थित एक अन्य अपराधी के पास से हत्याकांड में प्रयुक्त कार्बाइन बरामद भी हुई थी.

15 नवम्बर 2012 को हुई थी हत्या

BHU से गोल्ड मेडलिस्ट रहे ज्योतिषाचार्य रमेश तिवारी की 15 नवम्बर 2012 को उनके ऊंचगांव स्थित पैतृक आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस की वर्दी में बाइक से पहुंचे अत्याधुनिक असलहों से लैस बदमाशों ने रमेश तिवारी के पैर छूकर आशीर्वाद लेने के बाद उनको गोलियों से भून डाला था. गोलियों की आवाज सुनकर परिवार में भगदड़ मच गयी. बचाव में पहुंचे उनके छोटे भाई राजेश चंद्र तिवारी के जबड़े में गोलियां लगी थीं, जिससे वे बुरी तरह घायल हो गए थे.

मौत की पुष्टि के लिए दुबारा मारी गोलियां

बदमाशों ने उनके छोटे भाई को गोली मारने के बाद दुबारा जाकर रमेश तिवारी पर गोलियां बरसाकर इस बात की पुष्टि कर ली थी कि उनकी मौत हो चुकी है. इसके बाद बाइक से फरार हो गए थे. आनन-फानन में उन्हें सुल्तानपुर के निजी अस्पताल ले जाया गया था जहां चिकित्सकों ने उन्हें.मृत घोषित कर दिया था. जबकि गोलीकांड में घायल उनके छोटे भाई राजेश की इलाज से जान बच गयी.

2 अज्ञात के खिलाफ किया केस दर्ज

बहुचर्चित ज्योतिषी रमेश तिवारी की हत्या के बाद हड़कंप मच गया था. इस हत्याकांड से सूबे के सियासतदान तक हिल गए थे. दरअसल रमेश तिवारी अपने ज्योतिषी कला के जरिये सपा समेत सभी दलों के नेताओ ब बड़े अधिकारियों के करीबी बन गए थे. जौनपुर की तत्कालीन एसपी मंजिल सैनी के चार्ज लेने के ठीक 2 दिन बाद हुए इस हत्याकांड से पुलिस के लिए भी एक बड़ा सिरदर्द बन गया था. घटना के बाद तत्कालीन एडीजी ला एंड आर्डर, प्रमुख सचिव, आईजी, डीआईजी समेत करीब दो दर्जन से अधिक जिलों के एसपी-एसएसपी घटनास्थल पर पहुचे थे.

इंस्पेक्टर प्रशांत को मिली हत्याकांड की जांच

अज्ञात बदमाशों की पहचान और घटना का सफल अनावरण करना जौनपुर पुलिस के लिए चुनौती बन गया था. इस महत्त्वपूर्ण केस की जिम्मेदारी तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मंजिल सैनी ने जिले के तेज तर्रार व चंदवक थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष प्रशांत श्रीवास्तव को सौंपी थी. प्रशांत के लिए भी यह बड़ी चुनौती थी. TV9 से बातचीत में विवेचक प्रशांत ने बताया कि इस केस का अनावरण तत्कालीन एसपी मंजिल सैनी के निर्देशन में सम्भव हुआ था. इसके लिए उनके साथ खुद मंजिल सैनी इस केस पर नजर रखते हुए रात-रात जगकर सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से पुलिस को मिले प्रत्येक बिंदु को देखती और उचित दिशा निर्देशन देती थी.

1 साल, 1000 सीट की चार्जशीट

सर्विलांस की मदद से कई लोगों तक पुलिस पहुंचने में कामयाब रही उंसके बाद इस हत्याकांड के साजिश की कड़ी दर कड़ी खुलती गयी. जिसके इस केस से जुड़े 14 आरोपियों की पहचान हो सकी.प्रशांत श्रीवास्तव ने 1 साल के अंदर ही इस केस की चार्ज शीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी. कुल 1 हज़ार से अधिक पेज की चार्जशीट में विवेचक ने हत्याकांड की पूरी कहानी को खोलकर रख दिया था. जिससे इस केस से जुड़ा कोई भी आरोपी बच नही सका.

14 आरोपी, एनकाउंटर में शूटर ढेर

पुलिस की छानबीन में मुखबिर की सूचना व आरोपितों के मोबाइल काल डिटेल के आधार पर शूटर विपुल सिंह, हत्या के मुख्य साजिशकर्ता धीरेंद्र सिंह, झारखंडे सिंह, सूबेदार सिंह, कौशल किशोर सिंह, विजय बहादुर सिंह, वीरेंद्र बहादुर सिंह, लाल शंकर उपाध्याय ,अमित उर्फ पंडित, अरविंद, शैलेंद्र, तन्नू सिंह, अमरजीत सिंह का नाम प्रकाश में आया था. भाड़े का शार्प शूटर शेर बहादुर सिंह जाफराबाद क्षेत्र में हुए पुलिस एनकाउंटर में मार दिया गया था. जिसके लिए तत्कालीन एसपी मंजिल सैनी ने विवेचक प्रशांत श्रीवास्तव को प्रशस्ति पत्र देकर समानित किया था.

एक अन्य आरोपी की मौत, 12 को सजा

13 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र पुलिस ने प्रस्तुत किया. सभी गिरफ्तार हुए थे. एक का एनकाउंटर और एक आरोपी की मौत होने से इस केस में कुल 12 आरोपी बचे थे. सभी की जमानत हुई. आरोपित धीरेंद्र की जमानत सुप्रीम कोर्ट से हुई. मंगलवार को कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सभी आरोपितों को दोषी पाते हुए सजा सुनाया. कोर्ट ने हत्याकांड के बचे शेष सभी 12 आरोपियों को उम्रकैद और 30-30 हज़ार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई. करीब 12 वर्ष बाद न्याय मिलने के बाद मुकदमा वादी उमेश चंद्र तिवारी ने कहा कि उन्हें कोर्ट और न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था. न्याय मिलने में तत्कालीन विवेचक प्रशांत श्रीवास्तव समेत पुलिस और न्यायपालिका का अहम योगदान रहा. उन्होंने कहा कि आज उनके भाई को सच्ची श्रद्धांजलि मिली.

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