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क्या एनकाउंटर के लिए मालखाने से उड़कर गया बंदूक? झुठी कहानी सुना बुरे फंसे पुलिसवाले, खुल गई पोल

क्या एनकाउंटर के लिए मालखाने से उड़कर गया बंदूक? झुठी कहानी सुना बुरे फंसे पुलिसवाले, खुल गई पोल

यूपी पुलिस (फाइल फोटो)

फर्जी एनकाउंटर को लेकर कई बार पुलिस सवालों के घेरे में रहती है. ऐसे ही एक मामले में पुलिस को कोर्ट के सख्त आदेश का सामना करना पड़ा है. कोर्ट ने न सिर्फ आरोपी को रिहा कर दिया, बल्कि पूरी मुठभेड़ को ही संदिग्ध मानते हुए पुलिस टीम के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया. इसके अलावा पुलिस आयुक्त को भी आदेश दिया गया है कि पूरे मामले की जांच रिपोर्ट पेश करें.

उत्तर प्रदेश के कानपुर के थाना नजीराबाद के तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक ज्ञान सिंह ने 21 अक्टूबर, 2020 को थाना अरमापुर में मुकदमा दर्ज कराया था कि दारोगा सुरजीत सिंह, सिपाही बालमुकुंद पटेल, हेड कांस्टेबल ब्रजेश कुमार और जीप ड्राइवर अमित कुमार के साथ गश्त पर निकले थे. तभी मोटरसाइकिल पर दो लोग निकले. उनको रोकने की कोशिश की गई तो दोनों अरमापुर की तरफ भागने लगे. इस बात की सूचना वायरलेस पर दी गई तो अरमापुर थाना के प्रभारी निरीक्षक अजीत कुमार वर्मा ने भी घेराबंदी की.

पुलिस की कहानी में कई खामियां

तहरीर के मुताबिक अपने को घिरा देखकर दोनों लोगों ने बाइक गिरा दी और पुलिस के ऊपर तमंचे से फायरिंग कर दी. इसके जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की और दोनों लोग घायल हो गए. पूछताछ में उन्होंने अपना नाम अमित और कुंदन बताया. आरोप था कि उनके पास से तमंचा और सोने की चेन बरामद हुई, जब यह मुकदमा कोर्ट में चला तो पुलिस की कहानी में कई खामियां नजर आईं. मामले में कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं थी. न ही कोई स्वतंत्र गवाह था और न ही कोई पुलिसकर्मी घायल हुआ था. सबसे बड़ी बात जो तमंचा आरोपियों के पास दिखाया गया वो 2014 में एक दूसरे मामले में बरामद किया गया था और कोर्ट के सीन के साथ मालखाने में जमा था तो उससे फायरिंग कैसे की जा सकती थी.

पूरी टीम के खिलाफ केस होगा!

कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोष मुक्त करते हुए पुलिस आयुक्त को आदेश दिया है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच (high level investigation) करा कर तीन महीने में रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाए. सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कोर्ट ने कहा है कि यह घटना संदिग्ध प्रतीत होती है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले में पूरी टीम के खिलाफ केस दर्ज किया जाए. इसके साथ ही अगर जांच रिपोर्ट में पुलिस टीम दोषी पाई जाती है तो कार्रवाई की जाएगी.



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