‘मुन्नी’ बदनाम हुई बरेली पुलिस तेरे लिए… नाम में इतना कन्फ्यूजन, दूसरी महिला को जेल में डाला; अब माफी मांग रहे दारोगा


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नाम में क्या रखा है… ये बात शेक्सपीयर ने जरूर कही थी, लेकिन उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की पुलिस की एक चूक ने इस सवाल को काफी गंभीर बना दिया है. यहां एक महिला को सिर्फ नाम के आधार पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, जबकि असली आरोपी अब भी आजाद घूम रही. हालांकि जब पुलिस को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने पीड़ित महिला को खुद जेल से रिहा कराया और आरोपी महिला की तलाश में जुट गई.
दअरसल, मामला सीबीगंज थाना क्षेत्र के बंडिया गांव का है. यहां 2020 में बिजली चोरी के एक मामले में मुन्नी पत्नी छोटे के खिलाफ अदालत ने गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया था. इस पर कार्रवाई करने के लिए परसाखेड़ा पुलिस चौकी के प्रभारी सौरभ यादव गांव पहुंचे, लेकिन बिना पूरी तफ्तीश किए उन्होंने मुन्नी देवी पत्नी जानकी प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया. वो भी सिर्फ इसलिए, क्योंकि उनका नाम भी मुन्नी था.
13 अप्रैल को हुई गिरफ्तारी, 4 दिन बाद मिली रिहाई
13 अप्रैल को पुलिस ने मुन्नी देवी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. चार दिन तक जेल में रहने के बाद जब पुलिस को अपनी गलती का एहसास हुआ तो आनन-फानन में उन्हें रिहा कराया गया. इस दौरान पुलिस ने उनके परिवार से माफी मांगी, लेकिन धमकी भी दी कि मीडिया से इस संबंध में कोई भी बात मत करना. नहीं तो फिर से जेल भेज दूंगा.
मैंने कहा मैं मुन्नी देवी हूं, फिर भी जेल भेजा
जेल से रिहा होने के बाद जब मीडिया ने मुन्नी देवी से बात की तो वह डरी-सहमी नजर आईं. काफी समझाने-बुझाने के बाद उन्होंने बताया कि हमारे गांव में दो मुन्नी हैं. मैं हिंदू हूं, मुन्नी देवी हूं. असली आरोपी मुस्लिम महिला है. मैंने दरोगा से बार-बार कहा कि मैं वो मुन्नी नहीं हूं, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी और मुझे जेल भेज दिया. अब दरोगा ने परिवार और मुझसे माफी मांगी है.
गुड वर्क की दौड़ में मानवाधिकारों की अनदेखी
इस घटना ने पुलिस की लापरवाही और जल्दबाजी को उजागर कर दिया है. अक्सर देखा गया है कि ‘गुड वर्क’ दिखाने की होड़ में कई बार बिना जांच के कार्रवाई कर दी जाती है और इसका खामियाजा आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है. मुन्नी देवी के साथ जो हुआ, वह न सिर्फ एक बड़ी चूक है, बल्कि मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन भी है.