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बिजनौर में गुलदार ने फिर ली जान, 8 साल की बच्ची को बनाया शिकार; 2 साल में 50 लोगों की मौत

बिजनौर में गुलदार ने फिर ली जान, 8 साल की बच्ची को बनाया शिकार; 2 साल में 50 लोगों की मौत

गुलदार के हमले से 8 साल की बच्‍ची की हुई मौत

यूपी के बिजनौर में गुलदारों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. गुलदारों के हमले से मरने वाले लोगो की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है. शहर के नहटौर इलाके के मलूकपुर गांव में शनिवार (11 अक्टूबर) को गुलदार ने मां के साथ चारा लाने खेत पर जा रही आठ साल की तान्या को अपना शिकार बना लिया.

कक्षा तीन में पढ़ने वाली तान्या पशुओं के लिए चारा लाने अपनी मां सविता के साथ खेत पर गई थी तभी अचानक गन्ने के खेत से गुलदार निकल आया. तान्या की गर्दन को अपने जबड़े में दबोच कर गुलदार गन्ने के खेत में ले गया. इस दौरान सविता ने शोर मचा कर आसपास के खेतों पर काम कर रहे किसानों को बुलाया, गांव वालों का शोरगुल को सुनकर गुलदार तान्या को छोड़कर खेत से भाग गया. खून से लथपथ तान्या के गले और कंधे पर गहरे घाव थे. अफरातफरी में ग्रामीण तान्या को उठाकर अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया.

गांंव में है दहशत का माहौल

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तान्या की मौत के बाद उसके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है. वहीं उसके गांव मलूकपुर में भी गम और दहशत का माहौल है. बिजनौर में पिछले दो साल में अब तक पचास से अधिक लोग गुलदारों का शिकार बन चुके हैं. गुलदार आए दिन खेतों पर काम कर रहे किसान, मजदूरों पर हमले कर अपना शिकार बना रहे हैं. गुलदारों की वजह से गांंव वालों में दहशत का माहौल है. मजदूरों ने खेती किसानी का काम करना छोड दिया है. ऐसे में फसलों की देखरेख सही तरह से नही हो पाने की वजह से पैदावार पर भी असर पड रहा है.

जागरूकता के लिए कर रही है काम

वन विभाग के डी.एफ.ओ ज्ञान सिंह के मुताबिक बिजनौर वन विभाग की दस टीमें मानव-गुलदार संघर्ष नियंत्रण और जागरूकता के लिए काम कर रही हैं. बिजनौर जनपद के गन्ने के खेतों पर करीब पांच सौ से अधिक गुलदारों ने अपना बसेरा बना रखा है. पर्याप्त भोजन और भयमुक्त वातावरण से इनकी संख्या बढ़ती जा रही है. ज्ञान सिंह ने बताया गांव में पिंजरे भी लगा कर गुलदारों को पकडा जा रहा है. ऐसे में अब तक अब तक करीब सौ गुलदार पकड कर जंगलों और चिड़ियाघर में छोड़े जा चुके हैं.

नहीं हो पा रहा है घटनाओं पर नियंत्रण

गुलदारों का खौफ होने की वजह से खेतों पर काम करने वाले मजदूर भी उसी किसान के साथ जा रहे है जो बंदूक या राइफल लेकर खेत में पहरे देते हैं. बिजनौर के करीब सौ गांवों को गुलदार बाहुल्य गांव घोषित कर दिया गया है. इन गांवों में वन विभाग की पेट्रोलिंग टीमें गश्त भी कर रही है. इसके साथ ही गुलदारों को पकड़ने के लिए पिंजरे भी लगा रही है, लेकिन इसके बावजूद अटैक की घटनाओं पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है.

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