जेल में डाला, नाखून उखाड़ा, मारा पीटा… कार सेवक ने बयां की प्रताड़ना की कहानी | Meerut Ayodhya Ram Mandir Kar Sevak put in jail nails uprooted beaten story of torture-stwma


कार सेवक कमलेश नंदन गर्ग
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है. इसको लेकर पूरे देशभर में तैयारी चल रही है. पूरे देश में खुशी का माहौल है. सबसे ज्यादा खुश कार सेवक नजर आ रहे हैं. कार सेवा करने वाले लोग इस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. साथ ही वह पुराने दिनों को भी याद कर भावुक हो उठते हैं. ऐसे ही एक कार सेवक ने अपनी भावुकता वाली दास्तान को टीवी9 डिजिटल से शेयर किया.
मेरठ निवासी करुणेश नंदन गर्ग बताते हैं कि वह कार सेवा के लिए अयोध्या गए थे. उस दौर में कार सेवकों को बहुत परिश्रम करना पड़ता था. उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि जब समाजवादी पार्टी की सरकार में कार सेवक जेल गए थे तो उनके साथ तरह तरह की प्रताड़नाएं दी जाती थीं. उन्होंने बताया कि उस समय कार सेवकों को मारना पीटना बहुत आम था. यहां तक कि उनकी उंगलियों के नाखून भी निकाल लिए जाते थे.
मुगलों और अंग्रेजों की तरह दी जाती थी कार सेवकों को सजा
करुणेश नंदन गर्ग बताते हैं कि 6 दिसंबर 1992 कार सेवकों के लिए एतिहासिक दिन रहा है. देश के हर हिस्से से कार सेवक अयोध्या गए थे. उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी लेकिन 6 दिसंबर की शाम होते-होते सरकार का इस्तीफा सामने आ गया था. फिर उसके बाद समाजवादी की जब सरकार आई तो कार सेवकों को गिरफ्तार किया गया. वह बताते हैं कि उस दौरान उनको जेल में डाल दिया गया. जहां कार सेवकों पर तरह-तरह से दंड दिया जाता था. करुणेश बताते हैं कि जिस तरीके से मुगलों और अंग्रेजों के समय पर सजा दी जाती थी उसी तरीके से कार सेवको के साथ किया जाता था. कार सेवको की उंगलियों के नाखून भी उखाड़ लिए जाते थे.
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सिखों से लिया गया कार सेवक शब्द
करुणेश नंदन गर्ग बताते हैं कि कार सेवक शब्द का अर्थ होता है कि जो खुद की इच्छा से कोई कार्य करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि ये शब्द सिखों से लिया गया था. सिख गुरुद्वारे में सेवा करते हैं अपनी इच्छा से. उन्होंने बताया कि जब अयोध्या में फिर से राम लल्ला को विराजमान करने की बात आई तो जिन लोगो ने अपनी इच्छा जताई उन लोगो को कार सेवको का नाम दिया गया था.
जब मिला भगवान राम का आशीर्वाद
करुणेश नंदन गर्ग जब राम मंदिर का आंदोलन लड़ रहे थे तब उनकी की शादी हो गई थी. शादी के 8 साल तक उनको कोई संतान नहीं हुई थी. वह कहते हैं कि राम मंदिर के आंदोलन के बीच वह अयोध्या में एक बाबा से मिले. बाबा ने उनको आशीर्वाद दिया और कहा कि राम तेरे सारे काम करेंगे. इसी बीच शादी के 8 साल बाद करुणेश नंदन गर्ग 1 बेटे के पिता बने. उनका यह मानना है कि प्रभु राम के आशीर्वाद से शादी के 8 साल बाद जब राम मंदिर के लिए वह आंदोलन में शामिल थे उसे समय उनको पुत्र रूप में संतान मिली. करुणेश नंदन गर्ग इसे प्रभु राम का ही आशीर्वाद मानते हैं, क्योंकि कई जगह उपचार करने के बाद भी 8 साल तक कोई संतान उनके नहीं हुई थी.