ऐसे तो बिखर जाएगा INDIA गठबंधन, सपा कांग्रेस की लड़ाई अब UP की VIP सीट तक पहुंची | Akhilesh Yadav Samajwadi Party Core Team Meeting Congress Amethi Raebareli Seat


यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
अखिलेश यादव कांग्रेस के खिलाफ कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं. उन पर समाजवादी पार्टी के नेताओं का जबरदस्त दबाव है. कांग्रेस नेताओं के बयान से अखिलेश यादव भी तिलमिलाए हुए हैं. लखनऊ में समाजवादी पार्टी ऑफिस में आज अखिलेश यादव ने अपनी कोर टीम की मीटिंग बुलाई है. इस बैठक में कांग्रेस के प्रभाव वाले कुछ लोकसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है. अखिलेश यादव कैंप का मानना है कि अब कांग्रेस को एक कड़ा संदेश देना जरूरी है. इस रणनीति के तहत रायबरेली और अमेठी से समाजवादी पार्टी उम्मीदवार तय कर सकती है.
अखिलेश यादव ने पहले कहा था कि वे नवरात्रि में कुछ VIP सीटों पर उम्मीदवार तय कर सकते हैं. साल 2004 से ही समाजवादी पार्टी रायबरेली और अमेठी में कांग्रेस का समर्थन करती रही है. रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद हैं. पिछली बार राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे, लेकिन समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच जारी हाई वोल्टेज झगड़े को और आगे बढ़ाने की तैयारी है.
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अखिलेश यादव के करीबी नेताओं का मानना है कि कांग्रेस के एक बड़े नेता के इशारे पर समाजवादी पार्टी के खिलाफ जहर उगला जा रहा है. कांग्रेस के बिग बॉस वाले रवैये पर मुंहतोड़ जवाब देने पर विचार हो रहा है. अखिलेश यादव के एक करीबी नेता ने कहा कि लोकसभा की पांच सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा हो सकती है. इस लिस्ट में रायबरेली, अमेठी और सहारनपुर का नाम हो सकता है. उन्होंने बताया कि अखिलेश यादव ने हमेशा गठबंधन धर्म का पालन किया है. चाहे सहयोगी पार्टी कांग्रेस रही हो या फिर बीएसपी, लेकिन हर रिश्ते में हर बार अखिलेश यादव को धोखा ही मिला.
कांग्रेस ने आजमगढ़-मैनपुरी में दिया था साथ
पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का बीएसपी और आरएलडी से गठबंधन था. कांग्रेस अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ी थी. इसके बावजूद कांग्रेस ने आजमगढ़ में अखिलेश यादव और मैनपुरी में उनके पिता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था. ये बात अलग है कि इन सीटों पर कांग्रेस का कोई खास प्रभाव नहीं है.
रायबरेली और अमेठी में तो मुलायम सिंह यादव के जमाने से ही समाजवादी पार्टी कांग्रेस का समर्थन करती रही है. अमेठी के 2014 के लोकसभा चुनाव में तो सोनिया गांधी ने मुलायम सिंह यादव को फोन कर राहुल गांधी के लिए समर्थन मांगा था. जानकार बताते हैं कि समाजवादी पार्टी की मदद से ही मोदी लहर के बावजूद राहुल अमेठी में स्मृति ईरानी को हरा पाए.
कमलनाथ की जिद के कारण नहीं बैठा तालमेल
एमपी के विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में सीटों का तालमेल नहीं हो पाया. कहा जा रहा है कि एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की जिद के कारण कोई फार्मूला नहीं निकला. इसके बाद 31 सीटों पर इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला कर चुके हैं. इसके बाद से ही कमलनाथ और अखिलेश यादव के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई.
कमलनाथ ने कहा कि इंडिया गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए बना है. प्रदेश स्तर पर चुनावी तालमेल का इससे कोई मतलब नहीं है. जवाब में अखिलेश ने कहा कि अगर ऐसा है तो फिर हमें भी इंडिया गठबंधन को लेकर विचार करना पड़ेगा. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय भी इस झगड़े में कूद पड़े. उन्होंने कहा कि एमपी में समाजवादी पार्टी कहां है! इसके जवाब में अखिलेश यादव ने कहा कांग्रेस अपने चिरकुट नेताओं से हमारे खिलाफ बयान न दिलवाए.
अजय राय ने भी पलटकर दे दिया जवाब
तो अगले ही दिन अजय राय ने कह दिया कि जो अपने पिता का सम्मान नहीं कर पाया वो मेरा क्या लिहाज करेंगे. जवाब में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता आईपी सिंह ने तो राहुल गांधी को मंदबुद्धि तक कह दिया. दोनों तरफ से इस झगड़े को हवा दी जा रही है. पता नहीं इस आग में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साझा मिशन बीजेपी हराओ का क्या होगा! अभी तो दोनों पार्टियों के नेता एक दूसरे को हराने की कसमें खा रहे हैं.
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