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आर्थिक अपराध की धीमी जांच पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त…यूपी पुलिस को फटकार लगाते हुए डीजीपी से मांगा जवाब

आर्थिक अपराध की धीमी जांच पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त...यूपी पुलिस को फटकार लगाते हुए डीजीपी से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की जा रही जांच में देरी को लेकर नाराजगी जताई. कोर्ट ने पाया कि ईओडब्ल्यू के मामलों की जांच आमतौर पर सालों तक लंबित रहती है, जिससे पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है.

हाईकोर्ट ने ईओडब्ल्यू के महानिदेशक प्रशांत कुमार को 16 दिसंबर तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने उनसे लंबित मामलों की जांच में देरी के कारण,जिम्मेदार अधिकारियों के नाम और जांच को जल्दी निपटाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगा है.

यूपी डीजीपी से जवाब तलब

जज समित गोपाल की पीठ ने यह आदेश मोहम्मद हारुन के दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. मोहम्मद हारुन पर 2019 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई थी. उसी मामले में हारुन ने अग्रिम जमानत की याचिका दायर की थी.

कोर्ट ने इस मामले में यूपी डीजीपी को भी जानकारी देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए यह भी साफ किया है कि अगली सुनवाई की तारीख तक, अगर मामले में गिरफ्तारी की स्थिति बनती है, तो आरोपी को अंतरिम अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाएगा.

पिछले आदेश पर नहीं मिला जवाब

कोर्ट में यह मामला पहली बार मार्च में सामने आया था, तब कोर्ट में इस मामले राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए गए थे. लेकिन बुधवार की सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि कोर्ट के निर्देश के आठ महीने बाद भी में अब तक राज्य सरकार से कोई जवाब नहीं आया है.

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने बताया की उनको भी यूपी डीजीपी के कार्यालय से इस मामले में कोई जानकारी नहीं मिली. कोर्ट ने मामले के गंभीरता को देखते हुए सरकारी वकील को भी निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई के दौरान वह न्यायालय में मौजूद रहें. हाईकोर्ट में इस मामले में अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी.



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