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आजकल आए दिन नौजवानों के हार्ट अटैक से मरने की खबर आ रही है. अखबार, टीवी, सोशल मीडिया पर हम आए दिन पढ़ते हैं कि स्कूल, कॉलेज, जिम, ऑफिस, डांस तो घर में हार्ट अटैक से मौत हो गई. दरअसल हार्ट अटैक तब होता है जब दिल की मांसपेशियां मोटी हो जाती है. जिसे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी भी कहा जाता है. यह एक जेनेटिक स्थिति है जिसमें युवा लोगों में अचानक हार्ट अटैक से मृत्यु सबसे आम कारण है. कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण दिल की मांसपेशियां बहुत मोटी हो जाती है. मोटा होने के कारण दिल ठीक से ब्लड पंप नहीं कर पाता है.

उदाहरण के लिए युवा एथलीटों (35 वर्ष से कम) में अचानक मृत्यु का अधिकांश भाग अंतर्निहित हृदय संबंधी असामान्यताओं के कारण होता है. जिसमें हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी, जन्मजात कोरोनरी विसंगतियां और अतालताजन्य दायां वेंट्रिकुलर डिस्प्लेसिया (ARVD) शामिल हैं.

हार्ट अटैक से युवाएं हो रहे हैं पीड़ित

खासतौर पर वह जो एथलीट हैं या फिर स्पोर्ट्स में काफी एक्टिव हैं..तमाम एक्सरसाइज और डिसिप्लिन के बावजूद हार्ट अटैक क्यों युवाओं को अपना शिकार बन रहा है. हाल ही में मैच के दौरान पवेलियन लौटते वक्त अचानक हार्ट अटैक से 35 साल की उम्र के क्रिकेटर इमरान पटेल की मौत ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल यह कि आखिर फिट और यंग लोगों को हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट क्यों आ रहा है.

एथलीट को भी पड़ रहे हैं हार्ट अटैक

खासतौर पर वह जो एथलीट हैं या फिर स्पोर्ट्स में काफी एक्टिव हैं..तमाम एक्सरसाइज और डिसिप्लिन के बावजूद हार्ट अटैक क्यों युवाओं को अपना शिकार बन रहा है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो अधिकतर लोग फिजिकल फिटनेस पर ध्यान देते हैं, लेकिन मेंटल हेल्थ उनकी लगातार खराब होती चली जाती है. लंबे समय तक ऐसा होने से वह मेंटल इलनेस का शिकार हो जाते हैं और इसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है.

ज्यादा तनाव, एंजायटी, डिप्रेशन और अन्य मानसिक दिक्कतें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा देती हैं. मेंटल हेल्थ आपके हार्ट से सीधे तौर पर जुड़ी हुई होती है. दिमागी परेशानियां दिल की दुश्मन बन सकती हैं और आप मौत के मुंह में समा सकते हैं. ज्यादा तनाव, एंजायटी, डिप्रेशन और अन्य मानसिक दिक्कतें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा देती हैं. मेंटल हेल्थ आपके हार्ट से सीधे तौर पर जुड़ी हुई होती है. दिमागी परेशानियां दिल की दुश्मन बन सकती हैं और आप मौत के मुंह में समा सकते हैं.

जिम हमेशा क्वालिफाइड ट्रेनर के निर्देशों के अनुसार ही करनी चाहिए. खानपान को बेहतर बनाना चाहिए और सप्लीमेंट नहीं लेना चाहिए. इसके अलावा खराब लाइफस्टाइल, सिगरेट और अल्कोहल समेत कुछ गलत आदतें भी हार्ट के लिए खतरनाक होती हैं.

आईसीएमआर ने एक स्टडी के बाद बताया है कि भारत में पिछले कुछ साल में युवाओं की असामयिक मौत की वजह कोविड वैक्सीनेशन नहीं, बल्कि कुछ और है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मंगलवार (10 दिसंबर 2024) को राज्यसभा में आईसीएमआर की यह स्टडी रिपोर्ट पेश की. भारत में युवा वयस्कों में अचानक मृत्यु का जोखिम कोविड-19 वैक्सीनेशन से नहीं बढ़ा है. यह स्टडी बताती है कि टीकाकरण वास्तव में ऐसी मौतों की संभावना को कम करता है. दरअसल, पिछले कुछ समय से यह चर्चा चल रही थी कि कोविड टीकाकरण की वजह से युवाओं की असामयिक मृत्यु हो रही है, लेकिन इस रिपोर्ट ने इन आशंकाओं को काफी हद तक दूर किया है.

18-45 वर्ष की आयु वालों पर की गई स्टडी

ICMR की ओर से की गई इस स्टडी में 18-45 वर्ष की आयु के ऐसे व्यक्तियों पर फोकस किया गया, जो स्पष्ट रूप से स्वस्थ थे और जिनमें कोई ज्ञात बीमारी नहीं थी और जिनकी 1 अक्टूबर, 2021 और 31 मार्च, 2023 के बीच अचानक मृत्यु हो गई. यह रिसर्च 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में किया गया था.

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स्टडी के विश्लेषण में कुल 729 मामले ऐसे थे जिनमें अचानक मृत्यु हो गई थी, जबकि 2916 सैंपल ऐसे थे जिन्हें हार्ट अटैक आने के बाद बचा लिया गया था. निष्कर्षों से पता चला कि कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक खुराक, विशेष रूप से दो खुराक लेने से, बिना किसी कारण के अचानक मृत्यु की संभावना काफी कम हो जाती है.

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इन्हें बताया गया है अचानक मौत का कारण

अध्ययन में कई ऐसे कारकों की भी पहचान की गई है जो अचानक मृत्यु के जोखिम को बढ़ाते हैं. इसमें कोविड-19 अस्पताल में भर्ती रहने की हिस्ट्री, परिवार में पहले से ही अचानक मृत्यु की हिस्ट्री, मौत से 48 घंटे पहले शराब पीना, मनोरंजन के लिए नशीली दवाओं का उपयोग और मृत्यु से 48 घंटे पहले अधिक शारीरिक गतिविधि (जिम में एक्सरसाइज) शामिल है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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