हमारी वजह से परंपरा बची, तभी राणे सनातन धर्म का पालन कर पा रहे केंद्रीय मंत्री के सवाल पर भड़के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद | Shankaracharya Avimukteshwaranand on Narayan Rane Ram temple Muslim Personal Law Board


जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
ज्योतिष पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की ओर से शंकराचार्यों के योगदान के बारे में सवाल उठाने पर कहा कि शंकराचार्य का यह योगदान रहा है कि हजार साल आपका देश गुलाम रहा. विधर्मियों के कब्जे में रहा. फिर भी सनातन धर्म आज तक बचा हुआ है. नारायण राणे अब अपने माता-पिता, दादा-दादी के साथ सनातन धर्म का पालन कर पा रहे हैं तो इसमें 100 साल के संगठन का नहीं 45 साल की पार्टी का नहीं ढाई हजार साल के शंकराचार्य परंपरा का योगदान है.
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे द्वारा शंकराचार्य के राजनीतिक चश्मे से प्रधानमंत्री को देखने के बयान पर नाराजगी दिखाते हुए शंकराचार्य ने TV9 भारतवर्ष से खास बातचीत में कहा कि नारायण राणे स्वयं एक राजनीतिक शख्स हैं लेकिन उनका चश्मा राजनीतिक नहीं है? लेकिन हम धार्मिक व्यक्ति हैं और हमारा चश्मा राजनीतिक है तो राजनीतिक व्यक्ति राजनीति के चश्मे से नहीं देख रहा है, धार्मिक व्यक्ति राजनीतिक चश्मे से देख रहा है? गजब की बात है.
हमने कहां श्राप दियाः शंकराचार्य
जब बाकी शंकराचार्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह का स्वागत कर रहे हैं तो आपकी नाराजगी क्यों? आपको भी वहां जाकर आशीर्वाद देना चाहिए. इस पर शंकराचार्य ने कहा कि हम भी आशीर्वाद दे रहे हैं. हमने कहां श्राप दिया है. हमने अभी तक श्राप का शब्द तक नहीं बोला. हम भी आशीर्वाद दे रहे हैं. नारायण राणे को भी आशीर्वाद दे रहे हैं और उनकी पार्टी को भी सबको आशीर्वाद दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि ‘सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया’ यह हमारा रोज का पाठ है. हम लोग इसका नारा लगाते हैं. हम सबको आशीर्वाद देते हैं, उसमें नारायण राणे और उनके साथ के लोग भी हैं. हमने कब श्राप दिया लेकिन जो धर्मशास्त्र का पक्ष है उस पक्ष को रखना हमारा दायित्व है, हम बस अपने दायित्व का निर्वाहन कर रहे हैं.
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अन्य शंकराचार्यों द्वारा प्राण प्रतिष्ठा समारोह का स्वागत और समर्थन करने के सवाल पर उन्होंने कहा, “कौन क्या कर रहा है यह तो आप उनसे पूछिए. हम ना तो उनके प्रवक्ता हैं, ना उनके पक्ष के विश्लेषणकर्ता ही हैं, हम सब की बात नहीं कह सकते. एक शंकराचार्य के रूप में सनातन धर्म के किसी भी आयोजन में शास्त्रीय पक्ष को देखना और उसकी समीक्षा करना तथा उसके बारे में मार्गदर्शन करना हमारा कार्य है और हम उसी दायित्व का हम निर्वहन कर रहे हैं.
अधूरे मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा क्योंः शंकराचार्य
आयोजनकर्ताओं का कहना है कि जहां रामलला विराजमान होंगे, वह भवन पूरी तरह से तैयार है फिर भी आप क्यों कह रहे हैं कि आधे-अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है? इस पर शंकराचार्य ने कहा कि रामलाल कहां विराजमान होंगे मंदिर में ना? मंदिर पूरा है कि नहीं, यह बताइए तो फिर आगे बनाने की जरूरत क्या है? फिर कहते हैं कि अभी हम निर्माण कार्य जारी रखेंगे. आप अगर कह दो कि जितना बन गया इतना ही मंदिर रहेगा तो हम मान लेंगे कि अब मंदिर का यही स्वरूप है. यही रहेगा लेकिन अभी आगे निर्माण जारी रहेगा, इसका मतलब अधूरा है. अगर आपका निर्माण कार्य पूरा हो गया है तो आगे निर्माण कार्य किस आधार पर जारी रखेंगे. हमने मीडिया के जरिए जाना कि वहां के विशेषज्ञों ने बताया कि अभी 40% ही निर्माण हुआ है.
आपके बयान के बाद कुछ विपक्षी दलों ने भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूरी बना ली है उस पर आप क्या कहेंगे? शंकराचार्य ने कहा कि विपक्षी दल राजनीति वाले लोग हैं, हम उनसे कोई संपर्क रखते नहीं हैं. हमारी उनसे कोई चर्चा नहीं होती. हम क्या कहें कि वह क्या कर रहे हैं उनको जो उचित लग रहा होगा वह कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 22 जनवरी को देशभर में दीप उत्सव मनाया जाने को लेकर के मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि मुसलमानों के लिए यह कार्यक्रम गैर इस्लामिक है. शंकराचार्य कहते हैं कि वो इस्लाम की बात होगी, उनका अपना धर्म है उनकी अपनी शरीयत है, अपने शास्त्र हैं जिनके अनुसार वो लोग चलते हैं, उसमें क्या लिखा है वह तो वही जानें.