WhatsApp accuses Israeli spyware to target its users and break into private data

Meta के मालिकाना हक वाली WhatsApp ने इजरायल की एक स्पाईवेयर कंपनी पैरागॉन सॉल्यूशन पर हैकिंग के आरोप लगाए हैं. WhatsApp ने कहा कि कंपनी ने अपने स्पाईवेयर Graphite की मदद से लगभग 100 पत्रकारों और सिविल सोसायटी के मेंबर्स को टारगेट किया है. इंस्टैंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ने निशाना बना गए लोगों को इस संभावित हैकिंग के बारे में जानकारी दे दी है और पैरागॉन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता तलाश रही है.
बेहद खतरनाक है स्पाईवेयर
Graphite स्पाईवेयर बेहद खतरनाक है. इसे विक्टिम को पता लगे बिना ही डिवाइस में इंस्टॉल कर दिया जाता है और विक्टिम की तरफ से किसी भी लिंक आदि पर क्लिक करने की जरूरत नहीं होती. इस तरह की टेक्निक को जीरो-क्लिक अटैक कहा जाता है. एक बार इंस्टॉल होने के बाद यह डिवाइस की पूरी एक्सेस हैकर्स के हाथ में दे देता है. फिर हैकर्स अपनी मर्जी से फोन से डेटा चोरी कर सकते हैं. यह NSO ग्रुप के पैगासस स्पाईवेयर की तरह काम करता है, जिस पर कई गंभीर आरोप लगे थे.
दिसंबर में हुआ था अटैक
WhatsApp की तरफ से यह नहीं बताया गया है कि पत्रकार और अन्य पीड़ित लोग कब से निशाने पर थे, लेकिन यह पुष्टि जरूर की गई है कि दिसंबर में यह अटैक हुआ था. कंपनी अब प्रभावित यूजर्स की मदद करने के साथ-साथ भविष्य में ऐसे स्पाईवेयर से बचने के लिए अपनी सिक्योरिटी मजबूत कर रही है.
नहीं हो पाई है अटैकर्स की पहचान
अभी तक स्पाईवेयर के पीछे के अटैकर्स की पहचान नहीं हो पाई है. हालांकि, अन्य स्पाईवेयर कंपनियों की तरह पैरागॉन भी अपने सॉफ्टवेयर सरकारों को बेचती है, लेकिन WhatsApp ने कहा है कि वह अभी तक यह नहीं पता लगा पाई है कि इन हमलों के पीछे कौन हैं. दूसरी तरफ पैरागॉन के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि कंपनी के करीब 35 सरकारी ग्राहक हैं और ये सभी लोकतांत्रिक देश हैं.
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