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What is happening in sandeshkhali violence why Mamata Banerjee is in tussle with bjp in west bengal explained

West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना स्थित संदेशखालि गांव पिछले एक महीने से राजनीतिक हंगामे का केंद्र और तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता द्वारा कथित तौर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन का गवाह बना हुआ है. इसकी शुरुआत पांच जनवरी की हुई जब करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने टीएमसी नेता शाहजहां शेख के संदेशखालि स्थित आवास पर छापेमारी की.

इसकी शुरुआत कैसे हुई ?

छापेमारी के दौरान शाहजहां के समर्थकों ने न केवल ईडी अधिकारियों को उसके घर में प्रवेश करने से रोका, बल्कि केंद्रीय जांच एजेंसी की टीम के सदस्यों के शहर से लगभग 74 किमी दूर गांव से भागने तक मारपीट की. जिले के बशीरघाट उप मंडल के अंतर्गत आने वाले संदेशखालि से जिला परिषद सदस्य शाहजहां तब से फरार हैं, लेकिन उसके करीबियों का दावा है कि इलाके पर अब भी उसका काफी हद तक नियंत्रण है.

ईडी की घटना के बाद बड़ी संख्या में महिलाएं सड़क पर उतरीं और आरोप लगाया कि शाहजहां और उसके आदमियों ने झींगे की खेती के लिए जबरन उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया और कई सालों से वे उनको प्रताड़ित कर रहे हैं और यौन उत्पीड़न कर रहे हैं.

क्या है मुख्य आरोप?

कई महिलाओं में से एक ने शाहजहां आरोप लगाया, “टीएमसी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर सर्वेक्षण करते हैं और कोई खूबसूरत महिला या युवती या लड़की होती है तो उन्हें उठाकर पार्टी कार्यालय लाते हैं.”

महिलाओं ने बताया कि शाहजहां के फरार होने से उन्हें पिछले कई सालों से जारी उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत मिली. उन्होंने बताया कि इस पूरे अपराध में केवल शाहजहां ही नहीं, बल्कि उसका कथित साथी और तृणमूल के अन्य नेता उत्तम सरदार और शिवप्रसाद हजारा भी संलिप्त है.

महिला ने आरोप लगाया, ‘‘भले पति हो, लेकिन उन पर उसका अधिकार नहीं होता. उसे अपनी पत्नी को छोड़ना होता था. हम यहां रहने में असमर्थ हैं. अत्याचार या यौन उत्पीड़न का डर हमेशा बना रहता है. हम सुरक्षा चाहते हैं. हमारे ज्यादातर आदमी गांव छोड़कर दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं.’’

महिलाएं लाठी और झाड़ू के साथ प्रदर्शन कर रही हैं और तत्काल शाहजहां और शिवप्रसाद हजारा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर स्थानीय पुलिस थाने का घेराव किया है.

आरोपों को लेकर राजनीतिक बयानबाजी

पिछले शुक्रवार को यह तनाव और बढ़ गया जब महिलाओं ने हजारा के तीन पॉलिट्री फार्म में आग लगा दी. महिलाओं का आरोप था कि इन्हें ग्रामीणों की जमीन पर जबरन कब्जा कर बनाया गया था. इसके बाद पश्चिम बंगाल की विपक्षी पार्टियों ने शाहजहां और उसके साथियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग तेज कर दी.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस पर शाहजहां और उसके साथियों का बचाव करने का आरोप लगाया. तृणमूल कांग्रेस के नेताओें ने दावा किया कि विपक्षी पार्टियों ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गलत तरीके से शाहजहां को फंसाया है.

महिलाओं के प्रदर्शन के मद्देनजर राज्यपाल सीवी आंनद बोस को इस सप्ताह के शुरुआत में अपना केरल दौरा बीच में ही छोड़कर बंगाल लौटना पड़ा ताकि संदेशखालि की स्थिति की समीक्षा की जा सके. संदेशखालि की महिलाओं से बात करने के बाद बोस ने इसे भयावह, स्तब्ध करने वाला और छिन्न-भिन्न करने वाला करार दिया.’’

संदेशखालि का दौरा करने के बाद बोस ने कहा, ‘‘जो मैंने देखा वह भयावह है, स्तब्ध करने वाला और छिन्न-भिन्न कर देने वाला है. मैंने कुछ ऐसा देखा जो मुझे कभी नहीं देखना चाहिए था. मैंने ऐसी बहुत सी बातें सुनीं जो मुझे कभी नहीं सुनना चाहिए था. यह सभ्य समाज के लिए शर्मनाक है.’’

बोस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि संदेशखालि में कानून व्यवस्था संभालने के जिम्मेदार लोग की उपद्रवी तत्वों से साठगांठ है. अपनी रिपोर्ट में राज्यपाल ने कहा कि स्थानीय लोग आरोपों की जांच के लिए विशेष कार्यबल या विशेष जांच टीम चाहते हैं.

इन घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि जो लोग जिम्मेदार थे, उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया गया है. उन्होंने कहा था कि स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. ममता बनर्जी का बयान उस दिन आया जब बोस संदेशखालि गए और वहां कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की.

पुलिस कार्रवाई और आयोग का दौरा

पुलिस ने आरोपों पर संदेशखालि के पूर्व माकपा विधायक निरापद सरदार और एक स्थानीय बीजेपी नेता विकास सिंह को गिरफ्तार किया. बशीरघाट पुलिस ने सोमवार को दावा किया कि उसे हिंसा प्रभावित संदेशखालि के लोगों से केवल चार शिकायतें मिली हैं, लेकिन उनमें से किसी ने भी बलात्कार या यौन उत्पीड़न की किसी घटना का उल्लेख नहीं किया है.

पुलिस ने संदेशखालि में निषेधाज्ञा लागू कर दी थी. उसने मंगलवार को संदेशखालि जाने की कोशिश कर रहे विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी और अन्य बीजेपी नेताओं को शहर के साइंस सिटी में रोक दिया.

बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार बुधवार (14 फरवरी) को उस समय घायल हो गए जब वह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ संदेशखालि में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे और पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई. मजूमदार का शहर के अस्पताल में इलाज चल रहा है.

राज्य महिला आयोग की टीम ने सोमवार को संदेशखालि का दौरा किया, स्थानीय महिलाओं से बातचीत की और रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय में जमा की. राज्य प्रशासन ने संदेशखालि की घटनाओं की जांच के लिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में 10 सदस्यीय टीम का गठन किया है.

राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के प्रतिनिधियों ने भी संदेशखालि जाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें पुलिस के प्रतिवाद का सामना करना पड़ा. जिन्होंने निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए कहा कि उनके दौरे से क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है.

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को समस्याग्रस्त गांव पहुंचा. आयोग के अध्यक्ष अरुण हालदार के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय लोगों से बातचीत की. इलाके में अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की अधिकतर आबादी है. इस बीच पुलिस ने राजनीतिक हस्तियों को इलाके का दौरा करने से रोकने के लिए संदेशखालि पुलिस तक जाने वाली सड़क पर अवरोधक लगा दिए हैं

कलकत्ता हाई कोर्ट को लेना पड़ा संज्ञान

इस सप्ताह की शुरुआत में, कलकत्ता हाई कोर्ट ने तनावग्रस्त संदेशखालि में धारा 144 लागू करने के फैसले को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि राज्य प्रशासन आमतौर पर अशांत क्षेत्रों की पहचान करता है और विशिष्ट क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू करता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य को अधिक सुरक्षा बल तैनात करना चाहिए और ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से कड़ी निगरानी होनी चाहिए.

कलकत्ता हाई कोर्ट के एक अन्य जज अपूर्व सिन्हा रे ने मंगलवार को स्थानीय महिलाओं के यौन उत्पीड़न और आदिवासियों की जमीन पर जबरन कब्जा करने के आरोपों पर मंगलवार को संज्ञान लिया और राज्य सरकार को एक सप्ताह में रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया.

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