UP: देवर ने पहले छीना पति का शौर्य चक्र, फिर घर से निकला… अब मायके की संपत्ति पर नजर; 40 साल पहले शहीद हो गए थे पति – Hindi News | Husband martyred in Operation Blue Star Brother in law snatched Shaurya Chakra In laws threw out martyr wife from house Basti news stwma


शहीद पति की फोटो के साथ पीड़ित पत्नी.
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की एक महिला इंसाफ के लिए दर-दर भटक रही है. यह महिला कोई और नहीं बल्कि शौर्य चक्र से सम्मानित वीर शहीद रघुनाथ सिंह की पत्नी हैं. रघुनाथ सिंह वो जाबांज हैं जिन्होंने 1984 में खालिस्तान की मांग करने वाले जनरैल सिंह भिडंरावाला के खिलाफ हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार में शहीद हुए थे. पति की शहादत के बाद पत्नी दर-बदर भटक रही हैं. 20 वर्षों से वह अपने मायके में रह रहीं हैं. ससुरालीजनों ने उनकी सारी संपत्ति हड़प ली है. पत्नी को ससुरालियों के साथ शासन-प्रशासन से भी शिकायत है. रघुनाथ सिंह की शहादत के 40 सालों बाद उनकी कोई स्मृति गांव में नहीं है.
बस्ती जिले की सदर तहसील क्षेत्र के बहादुरपुर ब्लाक के कुसम्ही खुर्द गांव के रघुनाथ सिंह के पिता हवलदार सिंह भारतीय सेना के कुमाऊं रेजीमेंट में थे. पिता के देश भक्ति का जज्बा बेटे रघुनाथ के रगो में भी बह रहा था. उन्होंने भी पढाई पूरी करने के बाद पिता की तरह 7 जून 1979 को कुमाऊं रेजीमेंट में भर्ती होकर सिपाही की वर्दी पहनी. खालिस्तान की मांग कर रहे जनरैल सिंह भिडंरावाला के विरुद्ध भारतीय सेना ने वर्ष 1984 में आपरेशन ब्लू स्टार चलाया था. भिडंरावाला व उसके समर्थकों ने स्वर्ण मंदिर अमृतसर को अपना ठिकाना बना रखा था.
आपरेशन ब्लू स्टार में शहीद हुए रघुनाथ
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर सेना ने स्वर्ण मंदिर में कार्रवाई की थी. जिसमें सेना के 83 जवान बलिदान हुए थे. उन्हीं शहीदों में रघुनाथ सिंह भी शामिल थे. आपरेशन ब्लू स्टार में रघुनाथ 6 जून 1984 को मेजर भूकांत मिश्रा के साथ रेडियो ऑपरेटिंग कर रहे थे. हमला होने पर मेजर घायल हो गए. पच्चीस मीटर दूर मेजर के घायल होने पर रघुनाथ अपनी जान की परवाह किए बगैर दौड़ पड़े. लेकिन तब तक मेजर की सांसें थम चुकी थी. रघुनाथ ने उनकी कर्बाइन उठाकर दुश्मनों पर टूट पड़े और शहीद हो गए. उनके इस अदम्य साहस और बहादुरी को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.
भटक रहा शहीद का परिवार
इतिहास के स्वर्ण पन्नों में भले ही रघुनाथ की शहादत दर्ज हो, लेकिन उनके गांव कुसम्ही खुर्द में उनकी कोई निशानी नहीं है. गांव क्षेत्र की नई पीढ़ी उन्हें जानती तक नहीं. बलिदानी का परिवार भी 20 वर्ष से मायके कुदरहा ब्लाक के थन्हवा में रह रहा है. संपत्ति हड़पने के लिए परिवार के लोगों ने बेटियों के साथ घर से उनकी पत्नी सीता देवी को भगा दिया.
पत्नी का आरोप है कि ससुराली पक्ष उनके मायके की भी संपत्ति हड़पने में लगे हैं, क्योंकि सीता देवी का कोई भाई नहीं है. उनका कहना है बलिदानी पति के नाम उनके गांव में कुछ पहचान बने .जिससे युवा पीढ़ी उनके त्याग से परिचित हो सके. सेना ने भी उनके बलिदान की गाथा को अपने पेज पर लिखा है, लेकिन क्षेत्रीय जनप्रतिनियों ने इस तरफ 40 वर्ष में कोई ध्यान नहीं दिया.