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UP उपचुनाव: हारी हुई सीटों पर लड़कर क्या हासिल करेगी कांग्रेस? 2-2 दशक से नहीं मिली जीत

UP उपचुनाव: हारी हुई सीटों पर लड़कर क्या हासिल करेगी कांग्रेस? 2-2 दशक से नहीं मिली जीत

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे

उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में सपा और कांग्रेस मिलकर एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरेंगी. दोनों ही दलों में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला भी तय हो गया है. यूपी की जिन 9 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें से सात सीट पर सपा चुनाव लड़ेगी जबकि कांग्रेस अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद दो सीटों पर किस्मत आजमाएगी. सपा ने कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव की तरह ही उपचुनाव में दोनों टफ सीटें दी हैं, जिन पर बीजेपी कब्जा जमाए हुए है.

सपा के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि कांग्रेस को उपचुनाव में गाजियाबाद और खैर विधानसभा सीट दे दी गई है. इन दो सीटों के अलावा बाकी सीटें सपा लड़ेगी. ऐसे में कांग्रेस को यूपी उपचुनाव लड़ने के लिए मिली दोनों ही सीटें काफी टफ मानी जा रही है. खैर सीट पर 44 साल से और गाजियाबाद में 22 साल से कांग्रेस जीत का स्वाद नहीं चख सकी. ऐसे में सवाल यह उठता है कि कांग्रेस उपचुनाव लड़कर क्या हासिल कर पाएगी?

10 विधानसभा सीटें खाली हुई

लोकसभा चुनाव में 9 विधायकों के सांसद चुने जाने और सीसामऊ सीट से विधायक रहे इरफान सोलंकी को सजा होने के चलते 10 विधानसभा सीटें खाली हुई हैं. कांग्रेस उपचुनाव में पांच सीटें मांग रही थी. गाजियाबाद, मझवां, मिल्कीपुर, खैर और फूलपुर सीट कांग्रेस उपचुनाव लड़ने की डिमांड रखी थी, क्योंकि इन सीटों पर सपा के विधायक नहीं थे. सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर सहमति नहीं बन पा रही थी.

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कांग्रेस ने अभी नहीं खोले पत्ते

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच बुधवार को श्रीनगर में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय हुआ. कांग्रेस को खैर और गाजियाबाद सीट मिली है. सपा मिल्कीपुर, फूलपुर, मझवां, कटेहरी, करहल, कुंदरकी और सीसामऊ सीट पर किस्मत आजमाएगी. सपा ने कुंदरकी सीट को छोड़कर अपने कोटे की बाकी छह सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर दिया है, लेकिन कांग्रेस ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं.

कांग्रेस के पास दोनों टफ सीटें

कांग्रेस के कोटे में आई गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर सीट 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीती थी. कांग्रेस ही नहीं बल्कि विपक्ष के लिहाज से भी दोनों सीटें टफ मानी जा रही है. सियासी समीकरण भी कांग्रेस के पक्ष में नहीं है. खैर सीट पर कांग्रेस आखिरी बार 1980 में चुनाव जीती थी. इसी तरह गाजियाबाद सीट पर कांग्रेस को अंतिम बार 2002 के चुनाव में जीत मिली थी.

गाजियाबाद विधानसभा सीट

गाजियाबाद विधानसभा सीट पर आजादी के बाद से अभी तक 18 बार चुनाव हुए हैं. कांग्रेस सिर्फ पांच बार ही जीत सकी है. सपा यह सीट सिर्फ एक बार उपुचनाव में 2004 में ही जीत सकी थी, जब सत्ता पर काबिज थी. 2007 में बसपा ने यह सीट जीती थी और 2017 से बीजेपी का कब्जा लगातार चल रहा है. 2022 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को सिर्फ 11,818 वोट मिले थे. इससे समझा जा सकता है कि गाजियाबाद सीट कांग्रेस के लिए ही नहीं बल्कि सपा के साथ गठबंधन में होने के बाद कितनी मुश्किल भरी मानी जा रही है.

खैर विधानसभा सीट

खैर विधानसभा सीट कांग्रेस के लिए काफी मुश्किल भरी मानी जाती है. 1980 में कांग्रेस आखिरी बार खैर सीट जीतने में सफल रही थी, इसके बाद से लगातार हार रही है. 1962 में खैर सीट बनी है, उसके बाद से अभी तक कुल 16 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. कांग्रेस यह सीट महज तीन बार ही जीत सकी है जबकि सपा का आजतक खाता तक नहीं खुल सका है. 2012 में सपा खैर सीट पर अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी है. 2022 में कांग्रेस को सिर्फ 1514 वोट ही मिले थे. ऐसे में कांग्रेस के लिए खैर विधानसभा सीट काफी मुश्किल भरी नजर आ रही है.

कांग्रेस कर पाएगी चुनौती पार?

यूपी उपचुनाव में कांग्रेस खैर और गाजियाबाद विधानसभा सीट पर चुनावी मैदान में उतरती है तो उसके लिए जीत दर्ज करना लोहे के चने चबाने जैसा है. इन दोनों ही सीटों के सियासी और जातीय समीकरण के लिहाज से कांग्रेस के लिए मुश्किल माना जा रहा है. सपा का यादव वोट बैंक भी इन दोनों सीटों पर कोई खास नहीं है. कांग्रेस का अपना कोई वोट बैंक नहीं है. इस लिहाज से सपा के समर्थन होने के बाद भी कांग्रेस कोई बड़ा उलटभेर करने की स्थिति में नहीं दिख रही है.

BJP-RLD के साथ लड़ रही चुनाव

वहीं, बीजेपी जयंत चौधरी की आरएलडी के साथ मिलकर उपचुनाव लड़ रही हैं, जिसके चलते जाट समुदाय के वोटों का झुकाव भी एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में जा सकता है. बीजेपी जिस तरह लगातार तीन बार से यह सीट जीतने में सफल रही है, उससे उसकी राजनीतिक पकड़ को समझा जा सकता है. उपचुनाव में खैर सीट एक तरफ से कुछ हद तक कांग्रेस टक्कर देती नजर आ सकती है, लेकिन गाजियाबाद सीट काफी मुश्किल भरी नजर आ रही है.

क्या हासिल करना चाहती है कांग्रेस?

सपा-कांग्रेस मिलकर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ी थी. अलीगढ़ से सपा के उम्मीदवार चौधरी बिजेंद्र सिंह को खैर सीट पर 95391 वोट मिले थे जबकि बीजेपी प्रत्याशी को 93900 वोट मिले थे. इस तरह सपा को 1491 वोटों से बढ़त मिली थी, लेकिन जाट समुदाय के होने का लाभ मिला था. इसी तरह गाजियाबाद सीट पर बीजेपी से सासंद बने अतुल गर्ग को गाजियाबाद विधानसभा सीट पर 137206 वोट मिले थे और कांग्रेस की प्रत्याशी डाली शर्मा को 63256 वोट ही मिल सके थे. ऐसे में कांग्रेस उपचुनाव में टफ सीटों पर किस्मत आजमा कर क्या हासिल करना चाहती है?

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