UP में मुस्लिम बहुल सीटों पर ही फोकस कर रही कांग्रेस, क्या सपा दिखाएगी बड़ा दिल? | Congress UP jodo yatra planning contest 25 seats SP akhilesh yadav Lok Sabha elections 2024


UP में अखिलेश यादव क्या कांग्रेस के लिए अपना रुख नरम करेंगे?
लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी एक्सरसाइज शुरू कर दी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से 2024 में मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जिसे INDIA गठबंधन का नाम दिया है. उत्तर प्रदेश में INDIA गठबंधन का हिस्सा कांग्रेस, सपा और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) हैं, जिनके बीच सीट शेयरिंग होनी है. कांग्रेस ने यूपी में 2009 में जीती हुई लोकसभा सीटों के साथ-साथ कुछ अन्य सीटें भी सेलेक्ट की है. कांग्रेस ने करीब दो दर्जन ऐसी लोकसभा सीटों को चयन किया है, जहां पर मु्स्लिम मतदाता 25 फीसदी से ऊपर है. ऐसे में सवाल उठता है कि मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों को क्या सपा प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस को देने के लिए तैयार होंगे, क्योंकि इसी वोटबैंक पर उनकी भी पकड़ है और सपा का सियासी आधार टिका हुआ है.
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ निकाल रखा है, जिसे बीच में छोड़कर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय गुरुवार को दिल्ली में हाईकमान से साथ मीटिंग में शामिल हुए. इसके अलावा प्रदेश के प्रभारी अविनाश पांडेय भी शिरकत किए थे. कांग्रेस के यूपी नेताओं ने 2024 के लोकसभा चुनाव में जिन सीटों पर लड़ने के लिए चयन किया है, उसमें अकबरपुर, अमेठी, रायबरेली, बहराइच, बाराबंकी, बरेली, धौरहरा, डुमरियागंज, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, गोंडा, झांसी, कानपुर, लखीमपुर खीरी, कुशीनगर, महाराजगंज, मुरादाबाद, प्रतापगढ़, श्रावस्ती, सुल्तानपुर और उन्नाव हैं. ये सीटें 2009 में कांग्रेस ने जीती थी और इसके अलावा कांग्रेस ने प्रयागराज, मेरठ, बनारस और श्रावस्ती सीट का चयन किया है. इस तरह से कांग्रेस ने 2024 में 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का टारगेट किया है, लेकिन सपा इसमें कितनी सीटें देगी यह कहना मुश्किल है.
सपा खुद 65 सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रही
सूबे में कुल 80 लोकसभा सीटें है, जिसमें से सपा कम से कम 60 से 65 सीट पर खुद लड़ना चाहती है जबकि बाकी 15 से 20 सीटें आरएलडी और कांग्रेस के लिए छोड़ना चाहती है. विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA में सीट शेयरिंग को लेकर एक फॉर्मूला बनाया जा रहा है, जिसके तहत सभी सहयोगी दलों के हिस्सेदारी हो. कांग्रेस ने मुकुल वासनिक के नेतृत्व में एक कमेटी गठित की है, जो पार्टी के अंदर अलग-अलग राज्यों में कितनी सीटों पर लड़ना है, उसकी रूपरेखा बना रही है. सूत्रों की मानें तो यूपी कांग्रेस ने अपनी 25 लोकसभा सीटों को चिन्हित कर उनके नाम पार्टी नेतृत्व के दे दिए हैं, जिस पर मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी, INDIA गठबंधन की बैठक में अखिलेश यादव के सामने रखेंगे.
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कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के जरिए उत्तर प्रदेश में अपना जनाधार बढ़ाने को लेकर पूरी ताकत झोंक रखी है. INDIA गठबंधन में सीटों की भागीदारी को लेकर कांग्रेस पिछले दो विधानसभा चुनावों के परिणामों को आधार बनाकर अपने लिए नए समीकरण तैयार किया है. कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट रायबरेली और अमेठी के अलावा लखनऊ, कानपुर, सहारनपुर समेत डेढ़ दर्जन सीटों पर दावा नहीं छोड़ेगी. कांग्रेस दूसरे दलों से आए कुछ नेताओं के लिए जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने का प्रयास करेगी.
बता दें कि कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट ही जीत सकी थी जबकि फतेहपुर सीकरी, अमेठी और कानपुर की तीन सीटों पर ही दूसरे स्थान पर रही थी. 2014 लोकसभा चुनाव में रायबरेली में सोनिया गांधी और अमेठी में राहुल गांधी ही जीत सके थे. कांग्रेस तब छह सीटों सहारनपुर, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, बाराबंकी और कुशीनगर में दूसरे स्थान पर रही थी. कानपुर से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल तीसरे नंबर पर रहे थे. सपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व सांसद रवि वर्मा को भी चुनाव लड़वाना चाहती है. पार्टी वाराणसी सीट पर पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले अजय राय को मैदान में उतारना चाहती है.
मुस्लिम प्रभाव वाले सीटों पर कांग्रेस की नजर
कांग्रेस 2024 में जिन सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, उन पर मुस्लिम वोटों का अच्छा खासा प्रभाव है. अमेठी, बहराइच, बाराबंकी, बरेली, धौरहरा, डुमरियागंज, फर्रुखाबाद, गोंडा, कानपुर, लखीमपुर खीरी, मुरादाबाद, प्रतापगढ़, श्रावस्ती, सुल्तानपुर, उन्नाव, अमरोहा, प्रयागराज और मेरठ इन सीटों पर 25 फीसदी से 45 फीसदी तक मुस्लिम वोटर हैं, जिनके सहारे कांग्रेस यूपी में अपनी जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं.
राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद कांग्रेस मुस्लिम समुदाय का भरोसा जीतने में लगातार कामयाब होती दिख रही है. कर्नाटक और तेलंगाना विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय का एकमुश्त वोट कांग्रेस को मिला है. दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भी मुस्लिम समुदाय कांग्रेस के पक्ष में खड़े नजर आए थे. कांग्रेस को लगता है कि लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में भी मुस्लिमों के सहारे अपनी सियासी जमीन वापस चाहती है. कांग्रेस ने ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ जिस रूट पर निकाला है, वो मुस्लिम बेल्ट मानी जाती है. इसे मुसलमानों को जोड़ने के लिहाज से देखा जा रहा है. कांग्रेस को लगता है कि मुस्लिम वोट के सहारे ही यूपी की सियासत में उसकी वापसी हो सकती है.
देश की सियासत में सबसे ज्यादा अहमियत रखने वाले उत्तर प्रदेश में सीटों के बंटवारे पर सबसे ज्यादा रस्साकशी है. यूपी संगठन के कई बड़े नेता कम से कम सूबे की 25 फीसदी सीटे चाहते हैं, लेकिन सपा इस पर राजी नहीं है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव किसी भी सूरत में कांग्रेस को मुस्लिम बहुल सीटें नहीं छोड़ना चाहेगी, क्योंकि उसे पता है कि जिस जमीन पर वो आज खड़ी नजर आ रही है, वो कभी कांग्रेस की हुआ करती थी.
कांग्रेस अब एक बार उस पर अगर खड़ी हो गई तो फिर सपा के लिए भविष्य में मुस्लिमों के बीच पैठ बनाना मुश्किल हो जाएगा. इसीलिए सपा की कोशिश कांग्रेस को 10 से 12 सीटों तक देने की रणनीति है, उसमें खासकर वो सीटें देना चाहते हैं, जहां से सपा कभी नहीं जीत सकी है या फिर शहरी क्षेत्रों की सीटें हैं. ऐसे में देखना होगा कि यूपी में सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर क्या फॉर्मूला बनता है?