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UP: गांव में शराब की दुकान के लिए नहीं देंगे जमीन, महापंचायत में फैसला; गांव वालों के विरोध के बावजूद आवंटित हुआ ठेका

UP: गांव में शराब की दुकान के लिए नहीं देंगे जमीन, महापंचायत में फैसला; गांव वालों के विरोध के बावजूद आवंटित हुआ ठेका

गाजीपुर के गांव में हुई महापंचायत

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से लगती बिहार की सीमा पर शराब की दुकानें नहीं खुलेंगी. इसके लिए गहमर थाना क्षेत्र के मगरखाई गांव के लोगों ने महापंचायत बुलाई थी. इसमें तय किया गया कि शराब का ठेका आवंटित भी होता है तो गांव का कोई भी आदमी इसके लिए अपना मकान या जमीन किराए पर नहीं देगा. यह फैसला इन दुकानों पर बिहार के शराबियों के जमावड़े को देखते हुए लिया गया है. ग्रामीणों का आरोप है कि इन दुकानों के सामने से बहु बेटियों का घर से निकलना भी दूभर हो गया है.

बता दें कि बिहार में शराब बंदी कानून लागू है. इसकी वजह शराब पीने के लिए बिहार के शराबी यूपी के सीमावर्ती गांवों में आ जाते हैं. गाजीपुर जिले के कई गांव ऐसे हैं, जो बिहार की सीमा से सटे हैं. इन इलाकों से शराब की तस्करी खूब हो रही है. ग्रामीणों के मुताबिक भारी विरोध के बावजूद आबकारी विभाग ने मगरखाई गांव में एक कंपोजिट शराब की दुकान का आवंटन कर दिया है. ऐसे में अब ग्रामीणों ने तय किया है कि इस दुकान के लिए गांव में ना तो जगह दी जाएगी और ना ही कोई मकान दिया जाएगा.

ग्राम प्रधान की अगुवाई में हुई पंचायत

इस संबंध में रविवार की देर शाम ग्राम प्रधान अनिल कुमार यादव की अगुवाई में महापंचायत हुई. इसमें गांव वालों का कहना था कि बिहार से सटे इस गांव में शराब की दुकान खुलेगी तो एक बार फिर से तस्करी शुरू हो जाएगी. इससे गांव के भोले भाले लोग और नौजवान भी शामिल हो सकते हैं. वहीं बिहार के शराबी नदी पारकर यहां गांव में हुड़दंग करेंगे. ग्रामीणों का कहना है कि शराब पीकर बिहार जाने पर पकड़े जाने का डर रहता है. ऐसे में लोग नशा उतरने तक यहीं पड़े रहते हैं. इन शराबियों के चलते गांव की महिलाओं और लड़कियों को दिक्कत होती है.

शराब की दुकान के लिए नहीं देंगे जमीन या दुकान

महापंचायत में सभी ग्रामीणों ने एक राय होकर शराब के दुकान के लिए दुकान या मकान अथवा जमीन किराए पर ना देने की शपथ लिया है. ग्राम प्रधान अनिल कुमार यादव ने बताया कि मगरखाई गांव में पहले से कोई शराब की दुकान नहीं थी, लेकिन इस बार गांव में शराब का ठेका आवंटित कर दिया गया है. ऐसे में दुकानदार गांव में दुकान या जमीन की तलाश करने के लिए आने लगे हैं. इधर, ग्रामीणों ने भी पंचायत कर फैसला लिया है कि कोई आदमी शराब की दुकान के लिए अपना मकान या दुकान नहीं देगा.



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