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कोविड से 18 महीने तक मौत का खतरा! संक्रमण के ठीक होने के बाद भी रहता है जोखिम, रिसर्च में दावा


<p><strong>Covid Study:</strong> कोरोना महामारी ने दुनियाभर में कहर बरपाया हुआ है. अब तक करोड़ो लोग इसके संपर्क में आ चुके हैं और लाखों लोगों की मौत हो गई है. इस महामारी ने उन लोगों को भी अपनी आगोश में ले लिया, जो स्वस्थ दिखाई पड़ते थे. एक स्टडी बताती है कि कोरोना मरीजों के संक्रमित होने के बाद 18 महीने तक मौत का जोखिम बढ़ जाता है. यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ESC) की एक मैगजीन ‘कार्डियोवास्कुलर रिसर्च’ में पब्लिश स्टडी के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने लगभग 1,60,000 प्रतिभागियों को इस अध्ययन में शामिल किया. कोविड मरीजों में असंक्रमित प्रतिभागियों की तुलना में दिल से जुड़ी समस्याओं के विकसित होने के आसार ज्यादा थे.&nbsp;</p>
<p>चीन के हांगकांग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इयान सीके वोंग ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि कोविड संक्रमण से पैदा होने वाली दिल से जुड़ी जटिलताओं का निदान करने के लिए यह जरूरी है कि इस संक्रमण से उबरने के बाद कम से कम एक साल तक कोरोना मरीजों की निगरानी की जानी चाहिए. असंक्रमित लोगों की तुलना में, कोरोना संक्रमण के पहले तीन हफ्तों में मरीजों के मरने की आशंका 81 गुना ज्यादा थी और 18 महीने के बाद तक 5 गुना ज्यादा रही. दो असंक्रमित समूह के मुकाबले, एक्यूट फेज में कोविड मरीजों में हृदय रोग विकसित होने की संभावना लगभग चार गुना ज्यादा थी और एक्यूट फेज के बाद 40 प्रतिशत ज्यादा होने की संभावना थी.</p>
<p><strong>दिल से जुड़ी कई परेशानियों की संभावना ज्यादा</strong></p>
<p>असंक्रमित लोगों की तुलना में कोविड-19 मरीजों में मौत का जोखिम एक्यूट फेज में 81 गुना ज्यादा और पोस्ट-एक्यूट फेज के बाद पांच गुना अधिक था. स्टडी के मुताबिक, कोविड-19 के गंभीर मरीजों में दिल की बीमारी डेवलप होने या गैर-गंभीर मामलों की तुलना में मरने की संभावना ज्यादा थी. कोविड मरीजों में मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन, कोरोनरी हार्ट डिजीज़, हार्ट फेलियर और डीप वेन थ्रोम्बोसिस सहित छोटी और लंबी अवधि दोनों में असंक्रमित प्रतिभागियों की तुलना में हृदय से जुड़ी कई परेशानियों की संभावना अधिक थी.</p>
<p>दिल से जुड़े कुछ जोखिम जैसे- स्ट्रोक और अलिंद फिब्रिलेशन, शॉर्ट टर्म में कोविड-19 मरीजों में बढ़े थे. हालांकि फिर नॉर्मल लेवल पर लौट आए. प्रोफेसर वोंग ने कहा कि यह अध्ययन कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान आयोजित किया गया था.&nbsp;</p>
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