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Supreme Court Says A House Must Have Leader Of Opposition LoP Asks UP Legislative Council Chairman Office To File Response

Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (10 अप्रैल) को कहा कि सदन में विपक्ष का नेता होना चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के एक विधान पार्षद की याचिका पर विधान परिषद सभापति कार्यालय से अपना जवाब दाखिल करने को कहा. 

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा, ”एक सदन में विपक्ष का नेता जरूर होना चाहिए.’’ बेंच ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति कार्यालय की ओर से पेश अधिवक्ता एमएस ढींगरा की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने के बाद की.

सपा एमएलसी ने दी है इलाहाबाद HC के फैसले को चुनौती

बेंच ने मामले की आगे की सुनवाई एक मई के लिए स्थगित कर दी. सपा एमएलसी लाल बिहारी यादव ने अपनी याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें विपक्ष के नेता (LoP) के रूप में उनकी मान्यता वापस ले ली गई है. सदन के सभापति कार्यालय की अधिसूचना में कहा गया है कि एलओपी उस पार्टी से होगा जो सदन की कुल ताकत का कम से कम 10 प्रतिशत हासिल करती है. सपा नेता ने अधिसूचना को रद्द करने की भी मांग की है. 

सपा MLC की दलील

यादव ने अपनी दलीलों में कहा है कि समाजवादी पार्टी को विपक्ष के नेता का पद इसलिए मिलना चाहिए क्योंकि उसके नौ सदस्य हैं जो 90 निर्वाचित सदस्यों का 10 प्रतिशत है. वहीं, सरकार ने इस तर्क का विरोध किया है. सरकार की ओर से कहा गया कि यह कुल संख्या का 10 प्रतिशत होना चाहिए और LoP पद पाने के लिए कम से कम 10 सदस्यों वाली पार्टी पात्र हो सकती है. बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने पिछले साल 21 अक्टूबर को यादव की याचिका को खारिज कर दिया था.

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