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1942 में फूंका अंग्रेजों का हवाई अड्डा… देश आजाद होते ही बने दारोगा; गाजीपुर के इस लाल से कांपते थे गोरे | Ghazipur Story of freedom fighter Jamuna Giri British airport burnt down in 1942 Became Inspector-stwr

1942 में फूंका अंग्रेजों का हवाई अड्डा... देश आजाद होते ही बने दारोगा; गाजीपुर के इस लाल से कांपते थे गोरे

जमुना गिरी

देश की आजादी के लिए हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने शहादत दी. इनमें से एक उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले जमुना गिरी भी थे, जिन्होंने 14 साल की उम्र में अंग्रेजों का हवाई अड्डा फूंक दिया था. हालांकि, अंग्रेजों ने इन्हें पकड़ लिया और मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया.मजिस्ट्रेट ने कहा कि यदि माफी मांग लोगे तो तुम्हें छोड़ दिया जाएगा. लेकिन जमुना गिरी कोई शर्त मंजूर नहीं थी, वे माफी मांगने को तैयार नहीं हुए. नतीजा, मजिस्ट्रेट ने 5 साल जेल की सजा सुना दी.

आजादी के दीवानों में शामिल शेरपुर कला निवासी 14 वर्ष के जमुना गिरी का नाम लोग बहुत आदर और सम्मान से लेते हैं. उन्होंने अपने स्कूल के मित्रो की टीम बनाकर अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे. अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जमुना गिरी ने अपने सहयोगियों के साथ 14 अगस्त 1942 को गौसपुर हवाई अड्डे को फूंक डाला. इस उम्र में उन्हें 5 साल कारावास की सजा मिली थी.

महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे जमुना गिरी

अंग्रेजों के खिलाफ महात्मा गांधी के नेतृत्व में लाखों युवाओं ने आंदोलन छेड़ रखा था. जमुना गिरी भी महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे. 14 वर्ष की उम्र में जमुना गिरी स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े. 11 अगस्त 1942 को जिला मुख्यालय स्थित सिटी हाई स्कूल, डीएवी स्कूल,विक्टोरिया गवर्नमेंट स्कूल सहित कई विद्यालयों के सैकड़ों छात्रों को एकत्रित किया और अंग्रेजों के खिलाफ भारत माता के जय के साथ मुहिम छेड़ दिया.

इसके अगले दिन 12 अगस्त को तीनों विद्यालयों में छात्रों ने हड़ताल कर दिया. 13 अगस्त को रणनीति बनाई गई कि 14 अगस्त को गौसपुर हवाई अड्डा आग को हवाले कर दिया. इस दौरान अंग्रेज सैनिकों के घरों में आग लगा दी. फिर अंग्रेज सिपाही ने स्वतंत्रता सेनानियों पर फायरिंग कर दी. गोली लगने से जमुना गिरी बेहोश होकर गिर पड़े. उनके दूसरे साथी राम विशुन राय भी घायल हो गए.

मांगने को नहीं हुए तैयार

अगले दिन जमुना गिरी को अंग्रेज मजिस्ट्रेट मुनरो के समक्ष पेश किया गया. मजिस्ट्रेट ने कहा कि यदि माफी मांग लोगे तो तुम्हें छोड़ दिया जाएगा. लेकिन आजादी के जज्बाती जमुना गिरी कोई शर्त मंजूर नहीं थी, वे माफी मांगने को तैयार नहीं हुए . भारत मां के सपूत जमुना गिरी को 5 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए जिला जेल में डाल दिया गया. बाद में उन्हें सीतापुर जेल भेज दिया गया. 5 साल की सजा काट कर बाहर आने के बाद जमुना गिरी को पुलिस विभाग में दारोगा की नौकरी मिला. 6 जून 1969 को उन्होंने अंतिम सांस ली.

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