Pakistan Economic Crisis Shehbaz Sharif Govt Inflation Result Of Supporting Terrorism

Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. देश में गरीबी (Poverty) और महंगाई (Inflation) चरम पर है. लोगों के लिए दो जून की रोटी भी जुटा पाना मुश्किल हो रहा है. देश में विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) की भारी कमी है और अर्थव्यवस्था बदहाल स्थिति में है. बुनियादी और जरूरी चीजें भी आयात करने में सरकार हाथ खड़े कर रही है.
ये बड़ा आर्थिक झटका देश की एक बड़ी आबादी को गरीबी और भुखमरी की ओर धकेल रहा है. एशियन लाइट की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था (Pakistan Economic Crisis) के लिए आतंकवाद (Terrorism) का समर्थन और दोषपूर्ण नीतियों को जिम्मेदार ठहराया गया है.
आतंकवाद को समर्थन देने से कंगाल हुआ पाकिस्तान?
एशियन लाइट की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में मौजूदा आर्थिक संकट दशकों की उसकी दोषपूर्ण नीतियों का परिणाम है. ये देश अपने आप से लड़ रहा है. जिहाद के नाम पर आतंकवाद का समर्थन और संरक्षण करके पाकिस्तान ने अपनी अर्थव्यवस्था को बदहाली तक पहुंचा दिया है. आतंकवाद को समर्थन करने वाले देश ने शायद ही कभी दीर्घकालिक आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया है. विकास पर ध्यान देने के बजाय अपने पड़ोसी के साथ प्रत्यक्ष या मॉक जंग छेड़ने में अदूरदर्शिता का प्रदर्शन किया है.
कर्ज चुकाने की क्षमता नहीं
रिपोर्ट में रेटिंग एजेंसी मूडीज की ओर से जारी एक बयान का हवाला दिया गया है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पाकिस्तान की खुद की कर्ज चुकाने की क्षमता संप्रभु देशों में सबसे कमजोर है. 2023 में पाकिस्तान में कर्ज चुकाने की बाध्यता 15.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अकेले पाकिस्तान का ब्याज भुगतान दायित्व इस साल देश के राजस्व का आधा है, जो 2022 की तुलना में 25 फीसदी अधिक है.
विदेशी कर्ज से दबा है पाकिस्तान
एशियन लाइट रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बदहाल है, क्योंकि बाहरी कर्ज काफी ज्यादा बढ़ गया है. वित्त वर्ष 2017 के 66 बिलियन डॉलर से बढ़कर आज ये 100 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की रिपोर्ट का भी एशियन लाइट ने जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के कर्ज का सामना कर रहा है, जो पाकिस्तान की क्षमता से कहीं अधिक है. डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये में गिरावट संकट को और बढ़ा रहा है.
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