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Mirzapur Lok Sabha Seat: चंबल से मिर्जापुर के रास्ते संसद पहुंची थीं फूलन, अब अनुप्रिया कर रहीं हैट्रिक की तैयारी | Mirzapur Lok Sabha elections Anupriya Patel hat-trick BJP SP dacoit Dadua candidate Apna Dal elections 2024 stwar

Mirzapur Lok Sabha Seat: चंबल से मिर्जापुर के रास्ते संसद पहुंची थीं फूलन, अब अनुप्रिया कर रहीं हैट्रिक की तैयारी

अनुप्रिया कर रही हैट्रिक की तैयारी

पिछले कुछ सालों में मिर्जापुर नाम चर्चा में रहा है. राजनीतिक वजहों से नहीं बल्कि OTT पर इस नाम से बने वेब सीरीज की वजह से. ये अलग बात है कि OTT वाले मिर्जापुर से रियल वाले मिर्जापुर की तस्वीर बहुत ज्यादा अलग है. रील वाली मिर्जापुर में इसकी खुंखार छवि दिखाई गई जबकि रियल वाली मिर्जापुर की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक वातावरण बरबस लोगों का अपनी ओर खींचती है. इसके साथ ही मिर्जापुर का राजनीतिक इतिहास भी सुर्खियों में रहा है. चंबल के बीहड़ों से संसद तक पहुंचने वाली दस्यु सुंदरी फूलन देवी यहीं से सांसद बनी थीं. वह दो बार यहां से लोकसभा पहुंची. 2014 से बीजेपी के सहयोग से अपना दल की अनुप्रिया पटेल यहां की सांसद है. अब वह तीसरी बार मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. तो वहीं समाजवादी पार्टी डकैत ददुआ के भाई पर दाव खेल सकती है.

मिर्जापुर उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. पर्यटन के साथ-साथ इसका बड़ा धार्मिक महत्व है. मिर्जापुर स्थित विन्ध्याचल में मां विन्धवासिनी का दरबार है. मान्यता है कि यह 51 शक्तिपीठों में प्रथम और अंतिम शक्तिपीठ है जो गंगातट पर स्थित है. इसके साथ ही लाल भैरव मंदिर, सीता कुंड, तारकेश्वहर महादेव, चुनार किला, गुरुद्वारा गुरु दा बाघ, विन्धाम झरना, टंडा जलप्रपात, यहां के प्रमुख आकर्षण हैं.

बात अगर राजनीति की करें तो मिर्जापुर 2008 तक मिर्जापुर-भदोही लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. 2008 में परिसीमन के बाद मिर्जापुर अलग और भदोही लोकसभा बन गया. अलग मिर्जापुर लोकसभा बनने के बाद सपा के बाल कुमार पटेल यहां के पहले सांसद बने. इसके बाद बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया सिंह पटेल ने यहां लगातार दो बार जीत दर्ज की है.

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2019 में अनुप्रिया की दो लाख से जीत

2019 के लोकसभा चुनाव में अनप्रिया पटेल ने सपा के रामचरित्र निषाद को हराया था. अनुप्रिया पटेल को 5,91,564 वोट जबकि सपा के रामचरित्र निषाद को 3,59,556 वोट मिला था. 2019 में मअखिलेश यादव की सपा और मायवती की बसपा साथ चुनाव लड़ रही थी. दोनों पार्टी के सयुंक्त उम्मीदवार होने के बाद भी अनुप्रिया पटेल ने 232008 वोटों से हराया था. जबकि 2014 में अनुप्रिया ने बसपा के समुद्र को 2,19,079 मतों से हराया था. संयुक्त प्रत्याशी के बावजूद अनुप्रिया पहले से बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब हुई.

मिर्जापुर का राजनीतिक इतिहास

मिर्जापुर कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. लेकिन पिछले 40 सालों से कांग्रेस पार्टी को जीत नसीब नहीं हुई है. आजादी के बाद हुए सबसे पहले चुनाव में जॉन एन विल्सन ने 1952 में जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1957 में भी वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे. 1962 तक कांग्रेस यहां जीतती रही. 1967 में जनसंघ के वंश नारायण सिंह ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 71 में फिर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 1977 में इमरजैंसी के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी के फकीर अली अंसारी सांसद चुने गए. 1980 में इंदिरा की वापसी के बाद यहां भी कांग्रेस वापसी हुई. इसके बाद 1981 में उपचुनाव और 1984 में इंदिरा की हत्या के बाद में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की. इसके बाद कांग्रेस पार्टी को यहां की जनता ने लोकसभा में भूला दिया है.

चंबल से मिर्जापुर के रास्ते लोकसभा

1989 में वीपी सिंह की लहर में जनता दल के ने युसूफ बेग सांसद बने. 1991 में राम मंदिर आंदोलन के बाद यहां बीजेपी के वीरेंद्र सिंह की जीत हुई. 1996 के चुनाव में मुलायम सिंह ने दस्यू सुंदरी फूलन देवी को मैदान में उतारा और वह जीत दर्ज करने में कामयाब रहीं. दो साल बाद फिर 1998 में हुए चुनाव में वीरेंद्र सिंह ने फिर बाजी मारी और फूलन देवी से ये सीट छीन लिया. 1999 में फूलन देवी ने पलटवार किया और वीरेंद्र सिंह को हराकर यह सीट फिर से सपा की झोली में डाल दी.फूलन देवी की हत्या के बाद 2002 में रामरति बिंद और 2004 में बसपा के नरेंद्र कुशवाहा ने यहां जीत दर्ज की.

मिर्जापुर का जातीय गणित

मिर्जापुर लोकसभा की कुल आबादी करीब 25 लाख है. इसमें 13 लाख के करीब पुरुष और 12 लाख के करीब महिलाएं हैं. कुर्मी बहुल मिर्जापुर में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. 2019 में कुल वोटरों की संख्या 11,08,965 थी. जिसमें पुरुष मतदाता 5,87,558 और महिला मतदाता 5,20,101 थी. पिछड़ा दलित और आदिवासी बहल मिर्जापुर में सामान्य वर्ग की आबादी 18,15,709 लाख है, तो अनुसूचित जाति के लोगों की आबादी 6,61,129 और अनुसूचित जनजाति की आबादी 20,132 है, जबकि मुस्लिम आबादी करीब दो लाख है. मिर्जापुर का राजनीतिक इतिहास है कि यहां दो बार से ज्यादा किसी को जनता ने लोकसभा नहीं भेजा है. 2019 का चुनाव दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतने वाली अनुप्रिया हैट्रिक की तैयारी कर रही है. जबकि समाजवादी पार्टी यहां से बाल कुमार पटेल ने को उम्मीदवार बना सकती है. इस बीच ये चर्चा भी है कि डकैत ददुआ के भाई पर भी सपा दांव खेल सकती है.

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