Mass Detentions Unprecedented Protests Covid Pivot Is China Xi Jinping Losing Grip On Power

Covid Situation Explained In China: 2020 के उत्तरार्ध में जब दुनिया भर में कोविड महामारी गंभीर रूप से फैल रही थी तब चीन ही वह एक ही देश था जो वायरस के प्रभाव से अछूता दिखाई दे रहा था. चीन की इस सफलता के पीछे चीन की जीरो कोविड पॉलिसी को माना जा रहा था, लेकिन 2019 में वुहान से शुरू हुए कोविड वायरस ने चीन का पीछा अब तक नहीं छोड़ा है.
दिसंबर 2022 में कोविड ने चीन के तमाम कड़े प्रतिबंधों के बावजूद चीन में तबाही मचा रखी है. हालांकि चीन ने कोविड के इन मौजूदा हालातों को छिपाने के लिए बहुत कोशिश की पर वह सफल नहीं हो सके, वहां के पीड़ित नागरिकों ने अंत में सरकार के खिलाफ आंदोलन कर दिया. इस आंदोलन और विरोध से मजबूर होकर चीन को अपनी नीति को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा. उसने अपनी कोविड नीति में ढील दी.
सवालों में घिरी कम्युनिस्ट पार्टी
चीन के कोविड नीति में ढील देने के बाद कोविड संक्रमण से उबर रहे चीनी नागरिकों के कथित कोविड कवच का पर्दा खोल दिया, जिससे लाखों चीनी नागरिक बहुत ही कमजोर स्थिति में आ गए. वहीं, चीन की जीरो कोविड पॉलिसी पर यूटर्न ने देश की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया. इन सब के बीच राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी आलोचना के घेरे में आ गये हैं.
जिनपिंग के विरोधियों और कोविड पीड़ितों ने उन पर गंभीर उठाने शुरू कर दिये हैं. इन सब पर सवाल उठ रहा है कि क्या चीन की सत्ता जिनपिंग के हाथों से फिसल रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे कई कारण हैं जिनसे पता चलता है कि जिनपिंग के लिए राह आसान नहीं है.
क्या जिनपिंग के खिलाफ हो सकता है विद्रोह?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में शी जिनपिंग सरकार के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं. ऐसे में उनके खिलाफ कूप होना हालांकि उतना प्रायोगिक तो नहीं लगता है लेकिन बीते साल की रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो सोशल मीडिया पर इसको लेकर अफवाह जरूर उड़ी थी. लेकिन चीनी मीडिया ने इन रिपोर्ट्स को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया था.
जीरो कोविड पॉलिसी को लेकर सख्त हो गये जिनपिंग?
बीते साल में क्या कोविड नीति पर नियंत्रण को लेकर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनका प्रशासन बहुत सख्त हो गये इसका जवाब दो मीडिया रिपोर्ट्स करती हैं. बीते साल की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शी के प्रशासनिक अधिकारियों ने कोविड उपायों को लागू करने को लेकर हर 100 फीट पर गार्ड तैनात कर दिये.
फिर भी वह कोविड से चीनी नागरिकों को नहीं बचा पाए. इस दौरान उन्होंने सबसे विवादास्पद घटना लाखों लोगों को गिरफ्तार करने की थी. चीनी अधिकारियों के इस निर्णय की बहुत आलोचना हुई. चीन के सरकारी अधिकारी ने बताया कि जून से लेकर साल के अंत तक अलग-अलग आंदोलनों में पूरे देश में 1.4 मिलियन से अधिक लोगों को कोविड नियम नहीं मानने के कारण गिरफ्तार किया गया.
हालांकि चीन ने इसका आधिकारिक कारण इससे अलग दिया था. चीनी अधिकारियों के मुताबिक वे सीपीसी के लिए एक सुरक्षित वातावरण का निर्माण करना चाहते थे. लेकिन अगर हम इसे दूसरी तरह से पढ़ेंगे तो हम पाएंगे कि चीनी प्रशासन अपने नागरिकों की आवाज दबाने में लगा हुआ था. ताकि शी की ताजपोशी के समय किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं खड़ी हो.
हू जिन्ताओ विवाद ने भी डाला असर?
तख्तापलट की अफवाहों की खबरों के तुरंत बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने शी को एक अभूतपूर्व तीसरा कार्यकाल दिया. इस दौरान पांच सालों में एक बार होने वाली चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में (CCP 20) दिखा. हालांकि उनकी यह बैठक भी ठीक से खत्म नहीं हो सकी. पहले से आयोजित यह कार्यक्रम काफी असहज करने वाले नोट पर समाप्त हुआ. इस कार्यक्रम में चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिन्ताओ को ग्रेट हॉल से बाहर निकाल दिया गया था. इस घटना के लाइव प्रसारण के वीडियो वैश्विक मीडिया में तेजी से वायरल हुए थे.
हु जिन्ताओ ने 2012 में शई जिनपिंग को चीन की सत्ता बेहद शांतिपूर्ण तरीके से सौंप दी थी. चीन की आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिन्ताओ ने कहा कि वह अस्वस्थ महसूस कर रहे थे. वहीं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कई कारणों में से एक कारण यह था कि शी ने जिन्ताओ के जरिए पार्टी के अंदर उभर रहे अपने दावेदारों को एक राजनीतिक संदेश दिया है जबकि शी की नीतियों से खुश नहीं थे.
क्या है ली केकियांग विवाद?
ली केकियांग के साथ भी लगभग ऐसा ही बर्ताव हुआ. ली को सीसीपी कि इस बार कि बैठक में 200 सदस्यीय केंद्रीय समिति में हिस्सा नहीं मिला. हालांकि रिपोर्ट्स के मुताबिक ली केकियांग अगले साल मार्च तक इस समिति बने रहेंगे उसके बाद उनकी जगह पर किसी और को इसकी जिम्मेदारी दे दी जाएगी. जून में एक वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ली ने स्थानीय सरकारी अधिकारियों से चीन में स्थिति को स्थिर करने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह किया था.
पिछले साल जून में एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान ली ने स्थानीय सरकारी अधिकारियों से चीन में स्थिति को स्थिर करने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह किया था जो कोविड की जीरो पॉलिसी के कारण उपजे गुस्से और नाराजगी के बीच था.
‘चीन में शुरू हुए आंदोलन’
चीन के कठोर कोविड प्रतिबंधों के खिलाफ असंतोष पिछले साल नवंबर से बढ़ता जा रहा था. राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बहु-आलोचना वाली ‘शून्य-कोविड’ नीति के खिलाफ चीन के शिनजियांग राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.
आंशिक रूप से फैली आग के कारण बंद इस अपार्टमेंट की इस इमारत में आग लगने से इस विषय पर होने वाला विरोध प्रदर्शन काफी तेज हो गया जिसमें 10 लोग मारे गये. उसके बाद यह विरोध जंगल में आग की तरह फैल गया और कुछ ही दिनों में यह जंगल की आग की तरह चीन के दर्जनों शहरों में इस नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगे.
चीन जैसे देश में ऐसे विरोध प्रदर्शन होना अपने आप में एक बड़ी और अभूतपूर्व घटना थी क्योंकि यह देश अपने देश में असंतोष और विरोध प्रदर्शन पर नकेल कसने के लिए जाना जाता रहा है. इन आंदोलनों से वर्तमान शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ उपजे गुस्से को महसूस किया जा सकता है.