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Mahashivratri 2025: कानपुर के इस मंदिर में हैं 52 दरवाजे, महाकालेश्वर के नाम से प्रसिद्ध; अनोखी है इसके दरवाजों की कहानी

महाशिवरात्रि का पर्व है और आपने कई ऐतिहासिक शिव मंदिरों के दर्शन किए होंगे. आज हम आपको ऐसे अनोखे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में आपने शायद ही सुना हो. यह मंदिर है कानपुर का महाकालेश्वर शिव मंदिर. इस मंदिर को गोरखपुर के नाथ संप्रदाय के संत ने सपना आने पर बनवाया था. गंगा के किनारे स्थापित यह मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है.

कानपुर के शिवराजपुर में स्थित खेरेश्वर मंदिर के बारे में तो आपने सुना होगा, जहां आज भी अश्वत्थामा पूजा करने आते हैं. इस मंदिर से तकरीबन दो किलोमीटर आगे गंगा घाट पर भगवान शिव का महाकालेश्वर मंदिर स्थित है. इस मंदिर की अनोखी कहानी है. यहां के स्थानीय पुजारी बताते है कि गोरखपुर के नाथ संप्रदाय के संत तारा नाथ दीक्षित तकरीबन 400 वर्ष पूर्व कानपुर के इसी गंगा घाट पर आए थे और यहां का एकांत देखकर यही पर रहने लगे. लोगों ने बताया कि उन्होंने यहीं पर जीवित समाधि ले ली थी. समाधि से पहले उन्नाव के राजा जमा सिंह संत से मिलने आए तो उन्होंने संत से कहा कि आप जो मांगोगे मैं आपको दूंगा.

मंदिर में हैं रहस्यमयी 52 दरवाजे

संत तारा नाथ दीक्षित ने राजा को बताया कि मुझे स्वप्न आया था कि इस जगह पर शिव मंदिर की स्थापना की जाए. राजा जमा सिंह ने उनकी बात को मान लिया और इस तरह महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना की गई. मंदिर के पुजारी ने कहा कि इस मंदिर का निर्माण दक्षिण भारत के कारीगरों द्वारा कराया गया था. इस मंदिर में बिना दरवाजे के 52 द्वार हैं, लेकिन अगर कोई भी इनको गिनने की कोशिश करता है तो कभी भी 52 दरवाजों को गिन नहीं पाता है.

लोगों की सरकार से है ये मांग

मंदिर के अंदर एक शिवलिंग और नंदी स्थापित है. इसके अलावा हनुमान समेत कुछ देवताओं की प्रतिमा भी लगी हुई है. स्थानीय लोग बताते है कि पूरे देश में सिर्फ तीन महाकालेश्वर शिव मंदिर हैं जिसमें से एक यह मंदिर है. हालांकि बीते वर्षों के साथ मंदिर की स्थिति जर्जर होती जा रही है. भक्तों की मांग है कि सरकार इस मंदिर का रखरखाव करवाए.



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