लाइफस्टाइल

Lifestyle Tips: कहीं आप भी तो नहीं करते हर काम जल्दी-जल्दी, जाने-अनजाने घेर चुकी आपको यह दिक्कत


<p style="text-align: justify;">क्या आपको भी हर काम जल्दी-जल्दी करने की आदत है. मतलब यह कि बाजार जाना है तो जल्दी-जल्दी और वहां से घर आना है तो भी जल्दी-जल्दी. खाना खाना है तो जल्दी-जल्दी और शादी-पार्टी में आना-जाना भी जल्दी-जल्दी. आप जल्दी-जल्दी की इस आदत को भले ही वक्त बचाने का तरीका बताएं, लेकिन आप जाने-अनजाने बड़ी दिक्कत से घिर चुके हैं. इस दिक्कत का नाम हरी सिकनेस होता है. आइए आपको इसके बारे में हर चीज बताते हैं. साथ ही, यह जानकारी भी देते हैं कि इससे आपकी लाइफस्टाइल पर क्या असर हो सकता है?</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>क्या होता है हरी सिकनेस?</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">हरी सिकनेस मनोविज्ञान की भाषा का शब्द है, जिसका जिक्र पहली बार अमेरिकन साइकोलॉजिस्ट मेयर फ्रीडमैन और रे एच. रोसेनमैन की किताब ‘टाइप ए बिहेवियर एंड योर हार्ट’ किया गया था. यह किताब 1985 में लिखी गई थी. गौर करने वाली बात यह है कि हरी सिकनेस कोई बीमारी नहीं है, लेकिन कई दूसरी बीमारियों की वजह बन सकती है. टाइप ए पर्सनैलिटी के लोग अक्सर हरी सिकनेस के शिकार होते हैं. किताब में बताया गया है कि हरी सिकनेस की वजह से संबंधित शख्स की हार्ट हेल्थ पर खराब असर पड़ता है. दरअसल, हरी सिकनेस से जूझ रहे लोगों का नर्वस सिस्टम हमेशा प्रेशर में काम करता है.&nbsp;</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>कैसे लगाएं हरी सिकनेस का पता?</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">अब सवाल उठता है कि कोई हरी सिकनेस का शिकार है, इसका पता कैसे लग सकता है? अगर आप इतनी जल्दी-जल्दी बोलते हैं कि आपके शब्द मुंह में ही रह जाते हैं तो यह हरी सिकनेस का संकेत है. इसके अलावा हमेशा जल्दी-जल्दी भोजन करना, एक साथ कई काम करने की कोशिश, दूसरों की बात खत्म होने से पहले बीच में बोलना और किसी चीज का इंतजार करते वक्त दिक्कत होना भी हरी सिकनेस के लक्षण हैं. अगर आप इस तरह की एक्टिविटीज करते हैं तो आपको मनोचिकित्सक से सलाह लेने की जरूरत है.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>सेहत पर क्या होता है असर?</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">हरी सिकनेस को लेकर नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में एक स्टडी प्रकाशित हुई. इसमें बताया गया कि टाइप ए पर्सनैलिटीज के लोगों में हाइपरटेंशन डिवेलप होने का खतरा अन्य पर्सनैलिटी के लोगों के मुकाबले 17 फीसदी ज्यादा होता है. हरी सिकनेस से पीड़ित लोगों का हार्ट रेट और ब्लडप्रेशर रेस्टिंग स्टेज में भी सामान्य से ज्यादा रहता है. अगर काफी समय तक ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट ज्यादा रहता है तो दिल पर प्रेशर बढ़ता है और हाइपरटेंशन हो सकता है. हरी सिकनेस होने का कारण लोगों की परवरिश हो सकती है. जो लोग शांत और सुकून वाले माहौल में पले-बढ़े होते हैं, उनका मन, दिमाग और नर्वस सिस्टम एकदम शांत रहता है.</p>
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