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Kids Vaccination: जन्म के बाद पहले साल में बच्चों को कब लगवाना चाहिए कौन-सा टीका, कहीं आपसे तो मिस नहीं हो गई कोई वैक्सीन?


<p style="text-align: justify;">जन्म के बाद से ही बच्चों के लिए टीकाकरण बेहद जरूरी होता है. अगर कोई टीका मिस हो जाता है तो बच्चों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है. आइए आपको बताते हैं कि जन्म के बाद से पहले साल तक बच्चे को कब कौन-सा टीका लगवाना चाहिए. आप भी चेक कर लीजिए कि आपसे कौन-सा टीका मिस हो गया है.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>जन्म के बाद जरूर लगवाएं यह टीका</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">यूनिसेफ के मुताबिक, जन्म के तुरंत बाद बच्चे को बैसिलस कैलमेट ग्यूरिन यानी बीसीजी का टीका जरूर लगवाना चाहिए. इसकी एक ही डोज लगती है, जिसका इंजेक्शन बांह के ऊपरी हिस्से में लगाया जाता है. यह टीका बच्चों को तपेदिक से बचाता है.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>ओरल पोलियो वैक्सीन का भी रखें ख्याल</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">जन्म के तुरंत बाद बच्चे को ओरल पोलियो वैक्सीन भी जरूर पिलानी चाहिए. यह जन्म के वक्त दी जाने वाली पहली खुराक है. जब बच्चा छह सप्ताह का हो जाए तो उसे पोलियो की दूसरी खुराक पिलानी चाहिए. 10 सप्ताह की उम्र में तीसरी और 14 सप्ताह की उम्र में बच्चे को चौथी व आखिरी खुराक पिलाई जरूरी होती है. इस टीके से बच्चों को पोलियो वायरस से बचने में मदद मिलती है.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>जन्म के तुरंत बाद यह टीका भी जरूरी</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">बीसीजी और पोलियो ड्रॉप के अलावा बच्चों को जन्म के तुरंत बाद हेपेटाइटिस बी का टीका भी जरूर लगवाना चाहिए. सिंगल डोज वाला यह टीका बच्चों को हेपेटाइटिस बी से बचाता है. वायरल इंफेक्शन वाली यह बीमारी डायरेक्ट लिवर पर अटैक करती है, जिसके गंभीर नतीजे उम्र के साथ नजर आ सकते हैं.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>छह सप्ताह की उम्र में लगवाएं ये टीके</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">जब बच्चा छह सप्ताह का हो जाए तो उसे ओरल पोलियो वैक्सीन की दूसरी डोज पिलवाएं. इसके अलावा इसी उम्र में पेंटावेलेंट की पहली डोज भी लगवानी होती है. यह टीका बच्चों को डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टिटनस, हेपेटाइटिस बी और हिब से बचाता है. छह सप्ताह की उम्र में ही बच्चों को पेंटावेलेंट की पहली डोज, रोटावायरस वैक्सीन यानी आरवीवी की पहली डोज, पीवीसी की पहली डोज, निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन यानी एफआईपीवी की पहली डोज लगवानी होती है.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>10 सप्ताह का होने पर ये टीके जरूरी</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">बच्चे की उम्र 10 सप्ताह होने पर उसे पेंटावेलेंट की दूसरी डोज, ओरल पोलियो वैक्सीन की तीसरी खुराक और रोटावायरस वैक्सीन की दूसरी डोज दिलानी होती है. ये सभी टीके बच्चों को खतरनाक बीमारियों से बचाते हैं.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>14वें सप्ताह में ये पांच टीके लगवाएं</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">बच्चे की उम्र जब 14 सप्ताह हो जाती है, तब उसे ये पांच टीके लगाने जरूरी होते हैं. इनमें पेंटावेलेंट की तीसरी डोज, ओरल पोलियो वैक्सीन की चौथी डोज, रोटावायरस वैक्सीन की तीसरी डोज, न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन यानी पीसीवी की दूसरी डोज और निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन की दूसरी डोज शामिल हैं. इन सभी टीकों की यह आखिरी डोज होती है.</p>
<h3 style="text-align: justify;"><strong>9 से 12 महीने में लगते हैं ये टीके</strong></h3>
<p style="text-align: justify;">जब बच्चा 9 से 12 महीने के बीच होता है तो उसे खसरा और रूबेला यानी एमआर की पहली डोज दी जाती है, जो बच्चे को खसरा और रूबेला से बचाता है. इस टीके की दूसरी डोज 16 से 24 महीने की उम्र में दी जाती है. इसी दौरान बच्चों को जापानी इंसेफेलाइटिस यानी जेई का पहला टीका लगाया जाता है, जो जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव करता है. इसकी दूसरी डोज भी 16 से 24 महीने के बच्चे को लगती है. इनके अलावा तीसरा टीका न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन का लगता है, जो सिंगल डोज वाला टीका होता है. यह टीका बच्चों को निमोनिया, कान के इंफेक्शन, साइनस इंफेक्शन, मेनिन्जाइटिस और बैक्टेरिमिया से बचाता है.</p>
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