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कभी बेचे नींबू, अरबपति BSP नेता याकूब कुरैशी की कहानी, जिनकी 156 करोड़ की संपत्ति हुई कुर्क | BSP leader Yakub Qureshi phenomenol rise story benami property Gangster Act

कभी बेचे नींबू, अरबपति BSP नेता याकूब कुरैशी की कहानी, जिनकी 156 करोड़ की संपत्ति हुई कुर्क

हाजी याकूब कुरैसी

ये उन्नीस सौ उन्यासी का साल था. बाबरी मस्जिद के ख़िलाफ अयोध्या में आंदोलन तेज़ था और इसी अयोध्या से करीब सात सौ किलोमीटर दूर मेरठ में एक रेड़ीवाला ठेले पर घूम-घूम कर नींबू बेच रहा था. क्या हो अगर मैं आपसे ये कहूँ कि आज से 25 साल पहले ठेले पर घूम घूम कर नींबू बेच रहे उस आदमी की कुल मिलाकर डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अब कुर्क हो गई है.

मेरठ पुलिस ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की अवैध रूप से अर्जित चल-अचल संपत्ति को कुर्क किया है. संपत्ति की कीमत करीब 31 करोड़ रुपये है. बकौल एसपी रोहित सिंह सजवान, जिलाधिकारी अदालत के आदेश का पालन करते हुए याकूब पर गैंगस्टर अधिनियम की धारा 14-1 के तहत कार्रवाई हो रही है. कुर्क की गई संपत्ति कुरैशी ने अपने परिजन और कर्मचारियों के नाम से खरीदी थी. अब ये जानिए इसमें क्या क्या शामिल था. एक अस्पताल, दो लग्जरी कार, प्लाट ये कुछ मुख्य असेस्ट्स हैं इनके अलावा भी कई संपत्ति इसमें शामिल है.

पुलिस ने 31 मार्च 2022 को याकूब कुरैशी की मेरठ स्थित एक मांस फैक्ट्री में छापा मारा था और अवैध तरीके से लाए गए मांस की पैकिंग होने की बात तब सामने आई थी. कार्रवाई के दौरान फैक्ट्री के 10 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था. कुरैशी, उनकी पत्नी और दोनों बेटों समेत 17 लोगों को नामजद किया गया था. अभी याकूब कुरैशी और उनके बेटे ज़मानत पर बाहर हैं लेकिन अब उनकी आंखों के सामने उनकी संपत्ति कुर्क की जा रही हैं. अब तक पुलिस-प्रशासन याकूब की करीब 156 करोड़ की प्रॉपर्टी को कुर्क कर चुकी है.

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याकूब कुरैशी की ऐसे हुई शुरुआत

अब याकूब की कहानी पर आते हैं. 1989 में याकूब कुरैशी ठेले पर घूम घूम कर नींबू बेच रहा था. लेकिन छह साल बाद ही नगर पालिका मेरठ के बूचड़खाने का उन्होंने ठेका ले लिया. इसने उसे बड़े बड़े लोगों में शुमार कर दिया और इसी की बदौलत 1995 में वो पार्षद चुना गया. मेरठ नगर पालिका पर याकूब की पैठ बनानी शुरू हो गई. इसी का नतीजा हुआ कि जल्द ही पार्षद से सीधा वो डिप्टी मेयर बन गया. याकूब अब अपने रसूख का विस्तार चाहता था और उसकी यही चाहत उसे मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स में ले आई.

2002 में बसपा की उत्तर प्रदेश में लहर चल रही थी. मायावती खुद को नेता के तौर पर स्थापित कर चुकी थीं. मायावती भी मुस्लिम चेहरे की तलाश में थीं और याकूब इस तलाश में था कि मुस्लिम के अलावा वो दलित वोट में अपनी पैठ कैसे जमा सके. मायावती और याकूब को अब एक दूसरे की ज़रूरत थी. दोनों ने हाथ मिलाया और मेरठ के खरखौदा से याकूब चुनावी मैदान में कूद पड़े. करीब 37 फीसदी वोट पाकर वो चुनाव जीत गए. जीत का अंतर इतना था कि मायावती की सरकार में उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला. इसी जीत के साथ याकूब की एंट्री मीट कारोबार में हुई.

मायावती का साथ छोड़ा, अपनी पार्टी बनाई

मंत्री बनने के बाद याकूब ने खाड़ी देशों में मीट के निर्यात के लिए मेरठ के हापुड़ रोड पर अल फहीम मीटेक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से फैक्ट्री लगाई. नगर निगम के बूचड़खाने पर भी याकूब का कब्जा था. लिहाजा उसका व्यापार बड़े स्तर पर चलने लगा. राजनीति के अलावा उसका नाम माफिया के साथ भी जुड़ने लगा लेकिन जिस मायावती का हाथ थाम वो उत्तर प्रदेश की राजनीति में आए, उनका याकूब ने साथ छोड़ दिया और 2007 में अपनी नई पार्टी बनाई.

नाम रखा यूडीएफ. मेरठ शहर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गए लेकिन 5 साल बाद ही याकूब ने यूडीएफ का बसपा के साथ विलय कर लिया. वक्त बदला, सरकार बदली लेकिन याकूब का रसूख जस का तस रहा. 2016 में उन्होंने सिटी अस्पताल खरीद लिया. अब उत्तर प्रदेश के बड़े कारोबारियों में याकूब का नाम आने लगा था. जिसके पास बूचड़खाने से लेकर, अस्पताल, स्कूल सब कुछ था.

लेकिन वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता. याकूब का भी नहीं रहा. हाजी याकूब कुरैशी के स्वामित्व वाले एक अस्पताल को मेरठ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कथित तौर पर बिना लाइसेंस के चलाने पर सील कर दिया. शास्त्री नगर में परिवार के स्वामित्व वाले एक स्कूल को भी बंद कर दिया गया, क्योंकि उसे किसी भी वैध शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं थी और कल ही पुलिस ने उनके माय हॉस्पिटल पर भी सील लगा दी.

मेरठ-हापुड़ रोड की मीट फैक्ट्री पर भी छापा पड़ा. पांच करोड़ का मीट पकड़ा गया. पुलिस कह रही है कि मीट फैक्ट्री का लाइसेंस खत्म हो गया है बावजूद इसके फैक्ट्री चल रही है वो भी बिना लाइसेंस. लेकिन याकूब के बेटे इमरान का कहना है कि उनकी मीट फैक्ट्री का लाइसेंस 27 मार्च को खत्म हुआ था और उसी समय उसे रिन्यू करने के लिए आवेदन भी दे दिया गया था.

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याकूब का है विवादों से पुराना नाता

याकूब कुरैशी कई बार विवादों में आ चुके हैं. फ्रांसीसी मैगजीन शार्ली एब्दो के दफ्तर पर हुए हमले को उन्होंने सही ठहराया था. उन्होंने कहा था कि इस्लाम धर्म और पैगंबर साहब के शान में गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने आरोप लगाया था कि फ्रांसीसी पत्रिका शार्ली एब्दो लगातार पैगंबर मोहम्मद की शान में गुस्ताखी कर रही थी. पेरिस में मैगजीन के दफ्तर पर हमला करने वालों को भी उन्होंने 51 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी. इसके अलावा 17 फरवरी 2011 को याकूब कुरैशी ने सिपाही चहन सिंह बालियान को थप्पड़ जड़ दिया था. सिपाही ने इंसाफ के लिए मेरठ से लेकर लखनऊ तक गुहार लगाई, लेकिन इंसाफ नहीं मिला. याकूब की बेटी फातिमा ने भी मेरठ पब्लिक स्कूल में घुसकर वहां हंटर से छात्राओं की पिटाई की थी.

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