Israel will break all ties with United Nations Palestinian Relief Agency Know more details

Israel To Cut Contact With UNRWA: संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के दूत डैनी डैनन ने मंगलवार (28 जनवरी,2025) को घोषणा की कि इजरायल, संयुक्त राष्ट्र की फिलिस्तीनी राहत एजेंसी (UNRWA) और उसके सहयोगी निकायों के साथ सभी संपर्क खत्म करेगा. डैनन ने इस संगठन पर बार-बार इजरायल की सुरक्षा को कमजोर करने का आरोप लगाया.
डैनन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले कहा, “इजरायल UNRWA या उसकी ओर से काम करने वाले किसी भी व्यक्ति के साथ सहयोग और संपर्क समाप्त कर देगा.”
अमेरिका ने इजरायल के कदम का समर्थन किया
संयुक्त राज्य अमेरिका ने इजरायल के UNRWA से संपर्क समाप्त करने के फैसले का समर्थन किया. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि डोरोथी शीया ने कहा कि यह निर्णय उचित है. उन्होंने UNRWA प्रमुख फिलिप लाजारिनी पर आरोप लगाया कि वह इस निर्णय के प्रभावों को “बढ़ा-चढ़ाकर” पेश कर रहे हैं. शीया ने कहा, “UNRWA द्वारा कानूनों के प्रभावों को बढ़ा-चढ़ाकर बताना गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक है.”
UNRWA प्रमुख का विरोध
UNRWA के प्रमुख फिलिप लाजारिनी ने इजरायल के इस कदम की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा, “UNRWA पर लगातार हमला कब्जे वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में फ़िलिस्तीनियों के जीवन और भविष्य को नुकसान पहुंचा रहा है.” लाजारिनी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में यह भी कहा कि इस तरह के फैसले अंतरराष्ट्रीय समुदाय में विश्वास खत्म कर सकते हैं और शांति व सुरक्षा की संभावनाओं को खतरे में डाल सकते हैं.
कतर और अमेरिका की गाजा में मध्यस्थता पर चर्चा
इन सब के बीच कतर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ फोन पर बातचीत की. उन्होंने गाजा में संयुक्त मध्यस्थता प्रयासों को आगे बढ़ाने और युद्ध विराम समझौते के दूसरे चरण की ओर बढ़ने पर चर्चा की. कतर के विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों नेताओं ने उम्मीद जताई कि यह युद्ध विराम एक स्थायी समाधान का रास्ता दिखाएगा.
माउंट हरमोन पर इजरायली सेना की तैनाती
इजरायल के रक्षा मंत्री ने आदेश दिया है कि सीरियाई सीमा पर माउंट हरमोन क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इजरायली सेना अनिश्चित काल तक तैनात रहेगी. इजरायली मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला क्षेत्रीय सुरक्षा की चुनौतियों को देखते हुए लिया गया है.