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ज्ञानवापी के बाद मथुरा की शाही ईदगाह में होगा सर्वे, हाईकोर्ट ने दी मंजूरी | Allahabad High Court allowed to conduct a survey of Shahi Idgah Mosque of Mathura

ज्ञानवापी के बाद मथुरा की शाही ईदगाह में होगा सर्वे, हाईकोर्ट ने दी मंजूरी

मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद

मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद पर सर्वे की मंजूरी दे दी है. ASI सर्वे की मांग की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर हुई थी. मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि से सटी हुई जो मस्जिद है, उसमें किसी एडवोकेट से सर्वे कराने की मांग की गई थी. इसमें अलग-अलग 18 याचिका डाली गई थीं. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में एक साथ सुनवाई की.

हाईकोर्ट ने सर्वे की मंजूरी के साथ ही साफ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करने को कहा है. हालांकि, यह सर्वे ज्ञानव्यापी से थोड़ा अलग होगा. क्योंकि वहां पर कोर्ट ने साइंटिफिक सर्वे कराया था, जो कि शाही ईदगाह मस्जिद पर यह सर्वे अभी नहीं होगा. सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर कौन होगा? सर्वे के लिए कितने दिनों का समय दिया जाएगा? इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई 18 दिसंबर को होगी.

अयोध्या हमारी, अब मथुरा की बारी- ट्रस्ट

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. ट्रस्ट के मुख्य वादी पक्षकार भृगुवंशी आशुतोष पाण्डेय ने कहा कि यह करोड़ों हिंदुओं की आस्था का विषय है. भगवान सिर्फ हमारे हैं. अयोध्या हमारी हुई. अब मथुरा की बारी है. इस मामले को लेकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट ने कहा कि वह पहले सुप्रीम कोर्ट गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2023 को कहा था कि आप हाईकोर्ट जाइए. वहां आपकी सुनवाई होगी. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उनके पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है.

16 नवंबर को फैसला रख लिया गया था सुरक्षित

मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में हाईकोर्ट में याचिका को दायर किया गया था. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने 16 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. यह याचिका ऑर्डर 26 रूल 9 के तहत दाखिल की गई थी. कोर्ट में शाही ईदगाह मस्जिद ने अपना पक्ष रखा था.

किसने दायर की थी याचिका?

यह याचिका भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी. इस याचिका में दावा किया गया था कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है.

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