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Etah Lok Sabha Seat: एटा सीट पर कल्याण सिंह परिवार का दबदबा, क्या BJP की हैट्रिक को रोक पाएगा विपक्ष | Etah Lok Sabha constituency Profile BJP opposition alliance india BSP elections 2024

उत्तर प्रदेश का एटा जिला जो कानपुर-दिल्ली राजमार्ग पर मध्य बिंदु पर स्थित है और इस क्षेत्र को 1857 के विद्रोह के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है. यह धरती महान कवि, शायर, गायक, संगीतकार और सूफी संत अमीर खुसरो की जन्मस्थली के रूप में खास पहचान रखती है. अलीगढ़ मंडल में पड़ने वाले एटा जिले को भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के नाम से भी जानी जाती है. उनके परिवार का यहां पर 2009 से ही बादशाहत है. 2019 के चुनाव में एटा संसदीय सीट पर बीजेपी के टिकट पर कल्याण सिंह के बेटे को जीत मिली थी.

एटा बदायूं, अलीगढ़, खैर, फर्रुखाबाद, मैनपुरी, फिरोजाबाद, महामाया नगर और कासगंज से घिरा हुआ है. पहले कासगंज एटा जिले का ही हिस्सा हुआ करता था. फिर कासगंज को अलग से जिला बना दिया गया. 15 अप्रैल 2008 को एटा जिले से कासगंज को अलग करते हुए कासगंज, पटियाली और सहावर तहसीलों को मिलाकर नया जिला बना दिया गया. एटा संसदीय सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें कासगंज, अमनपुर, पटियाली, एटा और मरहारा शामिल हैं. 2022 के विधानसभा चुनाव में 5 से 4 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी. पटियाली सीट पर समाजवादी पार्टी की नदिरा सुल्ताना को जीत मिली थी, शेष चारों सीटें बीजेपी के खाते में गई थी.

2019 में कल्याण सिंह के बेटे को मिली जीत

2019 में एटा संसदीय सीट के चुनाव परिणाम को देखें तो यहां पर कड़ा मुकाबला हुआ था. बीजेपी की ओर से कल्याण सिंह के बेटे और सांसद राजवीर सिंह मैदान में थे, तो उनके सामने समाजवादी पार्टी के कुंवर देवेंद्र सिंह यादव थे. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच चुनावी गठबंधन हुआ था, जिसके तहत यहां पर समाजवादी पार्टी को लड़ने का मौका मिला. राजवीर सिंह ने 1,22,670 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल कर लिया.

तब के चुनाव में एटा संसदीय सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 15,87,949 थी, जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 8,62,390 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 7,25,510 थी. इनमें से 9,99,607 (63.3%) वोटर्स ने वोट डाले. चुनाव में NOTA के पक्ष में 6,277 (0.4%) वोट पड़े. राजवीर के खाते में 545,348 वोट आए थे जबकि कुंवर देवेंद्र सिंह को 422,678 वोट मिले थे.

बीजेपी ने एक बार लगाया था जीत का चौका

एटा संसदीय के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर कल्याण सिंह परिवार का दबदबा बरकरार है. आजाद देश के शुरुआती संसदीय चुनाव से शुरुआत करें तो यहां पर 1952 के चुनाव में कांग्रेस ने पहला चुनाव जीता था. फिर 1957 और 1962 के संसदीय चुनाव में हिन्दू महासभा के बिशनचंदर सेठ को जीत मिली थी. 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस के खाते में जीत गई. लेकिन इमरजेंसी की वजह से 1977 के चुनाव में कांग्रेस को एटा में भी हार के रूप में खामियाजा उठाना पड़ा था. तब चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोकदल के खाते में जीत गई थी.

हालांकि 1980 के चुनाव में कांग्रेस को फिर जीत मिली, लेकिन 1984 के चुनाव में कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा था. तब भारतीय लोकदल के खाते में जीत गई थी. फिर 1990 के दशक से देश में राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत होती है और बीजेपी के पक्ष में लहर बनने लगा. बीजेपी ने यहां से 1989, 1991,1996 और 1998 के चुनाव में लगातार जीत का चौका लगाया. तब महकदीप सिंह शाक्य ने ये शानदार जीत अपने नाम की थी. बीजेपी की जीत का सिलसिला 1999 में थमा और समाजवादी पार्टी के देवेंद्र सिंह यादव चुनाव जीत गए. फिर 2004 के चुनाव में उन्होंने लगातार दूसरी जीत अपने नाम की.

तोता-ए-हिंद अमीर खुसरो की धरती

लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का बीजेपी से मोहभंग हो गया और पार्टी से अलग होकर जन क्रांति पार्टी के नाम से नई पार्टी ही बना ली. फिर इस चुनाव में वह यहां से मैदान में उतरे और बड़ी जीत हासिल की. हालांकि 2014 से पहले कल्याण सिंह फिर बीजेपी में लौट आए और उनकी जगह उनके बेटे राजवीर सिंह को पार्टी ने एटा से टिकट दिया. राजवीर ने सपा के देवेंद्र सिंह यादव को 2,01,001 मतों के अंतर से हरा दिया. 2019 में भी राजवीर बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरे और एक बार फिर सपा के देवेंद्र यादव को 1,22,670 मतों के अंतर से हराया. हालांकि 2014 की तुलना में 2019 में हार-जीत का अंतर काफी कम हो गया.

एटा संसदीय सीट के जातीगत समीकरण को देखें तो इस क्षेत्र में लोधी, यादव और शाक्य जाति के वोटर्स बड़ी संख्या में हैं. मुस्लिम वोटर्स भी अहम भूमिका में रहते हैं. एटा जिला राजधानी दिल्ली से 206 किमी दूर है. जबकि आगरा से 85 किमी तो अलीगढ़ से 70 किमी दूर है. पुराने समय में एटा को ‘आंथा’ कहा जाता था जिसका मतलब है कि यादव समुदाय के लोगों की वजह से आक्रामक रूप से जवाब देना क्योंकि ये लोग बहुत आक्रामक हुआ करते थे.

एटा क्षेत्र अपने यज्ञशाला के लिए दुनियाभर में जाना जाता है जो गुरुकुल विद्यालय में स्थित है. इस यज्ञशाला को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा यज्ञशाला माना जाता है. एटा के पास ही भगवान शिव को समर्पित ऐतिहासिक कैलाश मंदिर भी है. खास बात यह है कि एटा के पटियाली में ही तोता-ए-हिंद अमीर खुसरो पैदा हुए थे, जिन्होंने कई शानदार गीत लिखे. उन्हें हिन्दवी भाषा बनाने का श्रेय दिया जाता है. साथ ही कव्वाली गायन के निर्माण का भी श्रेय अमीर खुसरो को जाता है. उन्होंने अपने जीवनकाल में 8 सुल्तानों को देखा था.

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