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DK Shivakumar Said Congress Should Consider Different Communities For Karnataka Caste Census

DK Shivakumar on Karnataka Caste Census: जाति जनगणना को लेकर कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि कांग्रेस अपनी लाइन पर कायम है, लेकिन इसके लिए विभिन्न समुदायों के साइंटिफिक दृष्टिकोण की मांग पर विचार किया जाना चाहिए. मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के विवादास्पद जाति रिपोर्ट को स्वीकार करने की तैयारी की पृष्ठभूमि में यह बयान महत्वपूर्ण है. सूत्रों के अनुसार, इस कदम से सत्तारूढ़ कांग्रेस में आंतरिक झगड़े भी होंगे. 

पार्टी का रुख सामाजिक न्याय देना है

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने इस संबंध में सौंपे गए ज्ञापन पर अपने हस्ताक्षर भी किए थे कि वर्तमान जाति जनगणना रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस सरकार द्वारा जाति जनगणना को अस्वीकार करने का समर्थन करते हैं, उन्होंने कहा, “पार्टी का रुख जाति जनगणना के माध्यम से सामाजिक न्याय देना है. हालांकि विभिन्न समुदायों से इस प्रक्रिया को साइंटिफिक आधार पर संचालित करने की मांग है.”

कई समुदाय कर रहे संघर्ष

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा, “कई समुदाय आनुपातिक आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे हैं. अनुसूचित जाति पंचमसालिस वीरशैव और वोक्कालिगा सभी लड़ रहे हैं. ये मांगें पार्टी लाइनों से हटकर हैं. कुछ समुदायों ने कहा है कि जनगणना से पहले उनसे संपर्क नहीं किया गया है और इसलिए वे साइंटिफिक जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं.”

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने जाति जनगणना पर मुख्यमंत्री को भेजी गई याचिका पर हस्ताक्षर किए हैं, उन्होंने कहा, “विभिन्न समुदायों के राजनेता इस मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं. इसी तरह मुझे समुदाय की टोपी पहननी होगी और समुदाय की ओर से आयोजित अराजनीतिक बैठकों में भाग लेना होगा. क्या यह गलत है?”

सीएम सिद्दारमैया ने क्या कहा था?

सीएम सिद्दारमैया ने कहा था कि वह अपने रुख पर कायम हैं कि उनके पिछले कार्यकाल के दौरान आयोजित जाति रिपोर्ट के रूप में ज्ञात सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण को स्वीकार करने और उन समुदायों को न्याय प्रदान करने का उनका निर्णय है, जिन्होंने अवसर गंवा दिए हैं.

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के जयप्रकाश हेगड़े ने कहा था कि वह 24 नवंबर को सरकार को रिपोर्ट सौंपने पर विचार कर रहे हैं. वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों ने जाति रिपोर्ट का खुलकर विरोध किया है और रिपोर्ट को खारिज करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया है. 

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