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CJI DY Chandrachud Says It Is Very Easy To Fling Allegations And Letters Know Why

CJI DY Chandrachud Remarks: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार (14 दिसंबर) को किसी मामले में बेंच के बदले जाने पर स्थिति स्पष्ट की. अपनी बात को समझाते हुए उन्होंने यह भी कहा कि आरोप और पत्र उछालना बहुत आसान है.

वह AAP नेता सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका जस्टिस बेला त्रिवेदी की अगुवाई वाली बेंच को सौंपे जाने पर टिप्पणी कर रहे थे. उन्होंने साफ किया कि जस्टिस बेला त्रिवेदी को वह याचिका सौंपी गई क्योंकि जस्टिस एएस बोपन्ना स्वास्थ्य कारणों से उपलब्ध नहीं थे.

दरअसल, गुरुवार सुबह ही वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जैन की याचिका को सूचीबद्ध करने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इस मामले की सुनवाई पहले जस्टिस बोपन्ना की बेंच ने की थी.

क्या कहा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, दोपहर के भोजन के बाद जब अदालत फिर से बुलाई गई तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने जस्टिस बोपन्ना के कार्यालय से मिली जानकारी के बारे में बताया.

सीजेआई ने कहा, ”आरोप और पत्र उछालना बहुत आसान है. जस्टिस बोपन्ना के कार्यालय से एक सूचना मिली है. चिकित्सा कारणों से उन्होंने दिवाली के बाद कार्य फिर से शुरू नहीं किया. उन्होंने कहा कि उनकी ओर से सुने गए सभी मामलों को आंशिक सुनवाई के रूप में रखा जाना चाहिए. इसलिए यह मामला जस्टिस त्रिवेदी को सौंपा गया था जिन्होंने आखिरी बार इस मामले की सुनवाई की थी.”

सीजेआई ने कहा, ”जस्टिस त्रिवेदी को इस मामले की सुनवाई इसलिए करनी पड़ी क्योंकि अंतरिम जमानत के विस्तार के लिए एक आवेदन है… मैंने सोचा कि मैं स्पष्ट कर दूंगा इसे… बार के किसी भी सदस्य के लिए यह कहना आश्चर्यजनक है कि मैं इस विशेष जज को चाहता हूं.”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ये बोले

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनका मानना है कि ऐसे पत्रों को नजरअंदाज किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ”डॉ. सिंघवी ऐसा कभी नहीं करेंगे लेकिन मैं केवल यही कहूंगा कि ऐसे दुर्भावनापूर्ण पत्रों से निपटने का एकमात्र तरीका उन्हें नजरअंदाज करना है. उनको तरजीह नहीं दी जानी चाहिए.”

वकील दुष्यंत दवे ने सीजेआई को लिखा था खुला पत्र

पिछले हफ्ते वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने संवेदनशील मामलों में बेंचों के बदलाव के बारे में सीजेआई चंद्रचूड़ को एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि रजिस्ट्री की ओर से लिस्टिंग नियमों की अवहेलना की जा रही है. रोस्टर के मास्टर होने के नाते उन्होंने सीजेआई से लिस्टिंग में हुई त्रुटियों को सही करने का आग्रह किया था.

हाल ही में वकील प्रशांत भूषण ने रजिस्ट्री को पत्र लिखकर जस्टिस एसके कौल की बेंच की सूची से जजों की नियुक्ति के मामले को हटाने का कारण पूछा था.

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने AAP नेता सत्येन्द्र जैन की अंतरिम जमानत 8 जनवरी तक बढ़ाई

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