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Cheti Chand 2023: | Cheti Chand 2023: चेटी चंड कब? जानें मुहूर्त और इस दिन भगवान झुलेलाल की पूजा का महत्व

Cheti Chand, Julelal Jayanti 2023: हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया चेटीचंड और झूलेलाल जयंती मनाई जाती है. ये दिन सिंधी समाज के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन से ही सिंधी हिंदूओं का नया साल शुरू होता है. चेटीचंड के दिन सिंधी समुदाय के लोग भगवान झूलेलाल की श्रद्धा भाव से पूजा करते हैं. मान्यताओं के अनुसार संत झूलेलाल वरुण देव के अवतार माने जाते हैं.  आइए जानते हैं इस साल चेटीचंड या झूलेलाल जयंती (Jhulelal jayanti 2023) की डेट और क्यों मनाते हैं ये पर्व.

चेटीचंड 2023 डेट (Cheti Chand 2023 date)

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 21 मार्च 2023 को रात 10 बजकर 52 शुरू होगी और 22 मार्च 2023 को रात 08 बजकर 20 मिनट पर खत्म होगी. चेटीचंड का त्योहार 22 मार्च 2023 को मनाया जाएगा.

चेटी चण्ड मूहूर्त – शाम 06 बजकर 32 – रात 07 बजकर 14 (अवधि 42 मिनट)

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चेटीचंड पर्व का महत्व (Cheti Chand Significance)

चैत्र मास को सिंधी में चेट कहा जाता है और चांद को चण्ड, इसलिए चेटीचंड का अर्थ हुआ चैत्र का चांद. चेटीचंड को अवतारी युगपुरुष भगवान झूलेलाल के जन्म दिवस के रूप में जाना जाता है. भगवान झूलेलालजी को जल और ज्योति का अवतार माना गया है.

कहते हैं प्राचीन काल में जब सिंधी समाज के लोग जलमार्ग से यात्रा करते थे. ऐसे में वे अपनी यात्रा को सकुशल बनाने के लिए जल देवता झूलेलाल से प्रार्थना करते थे और यात्रा सफल होने पर भगवान झूलेलाल का आभार व्यक्त किया जाता था. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए चेटीचंड का त्योहार माना जाता है. मान्यता भगवान झूलेलाल की पूजा से व्यक्ति की हर बाधा दूर होती है और व्यापार-नौकरी में तरक्की के राह आसान होती है.

कैसे मनाते हैं चेटीचंड त्योहार (Jhulelal Jayanti celebration)

चेटीचंड के अवसर पर भक्त लकड़ी का मंदिर बनाकर उसमें एक लोटे से जल और ज्योति प्रज्वलित की जाती है. जिसे बहिराणा साहब भी कहा जाता है. भक्तजन झूलेलाल भगवान की प्रतिमा को अपने शीश पर उठाकर परम्परागत छेज नृत्य करते हैं. इस दौरान झांकी निकाली जाती है. आज भी समुद्र के किनारे रहने वाले जल के देवता भगवान झूलेलाल जी को मानते हैं. उपासक भगवान झूलेलाल को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसाँई, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि नामों से भी पूजते हैं. भारत के अलावा पाकिस्तान के सिंध प्रांत में ये पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.

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