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CBI अफसर, मनी लॉन्ड्रिंग केस और बाइनेंस ऐप… कैसे PGI की लेडी डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर ठग लिए 2.81 करोड़ रुपए?

CBI अफसर, मनी लॉन्ड्रिंग केस और बाइनेंस ऐप... कैसे PGI की लेडी डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर ठग लिए 2.81 करोड़ रुपए?

सांकेतिक तस्वीर.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यूपी एसटीएफ को बड़ी सफलता हाथ लगी है. एसटीएफ ने पीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर के साथ डिजिटल अरेस्टिंग कर ठगी करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है. मामला एक अगस्त का है जब पीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर के साथ लगभग 2 करोड़ 81 लाख रुपए की ठगी की गई थी. ठगों ने प्रोफेसर को लगभग 5 से 6 दिन तक डिजिटल अरेस्ट किया था. साइबर ठगों ने खुद को सीबीआई अफसर बता कर पूरी ठगी को अंजाम दिया था जिसका खुलासा अब हो गया है.

पीजीआई की असोसिएट प्रोफेसर को 1 से 8 अगस्त तक साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट कर के रखा और उनके अकाउंट से 2 करोड़ 81 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए. 1 अगस्त को प्रोफेसर के मोबाइल पर किसी अज्ञात नंबर से कॉल आया. कॉल करने वालों ने खुद को सीबीआई मुंबई का पुलिस अधिकारी बताया और मनी लॉन्ड्रिंग का केस की बात कह कर प्रोफेसर को अपनी बातों में फंसाया.

पांच दिनों के लिए रखा डिजिटल अरेस्ट

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक, अपराधियों ने प्रोफेसर से कहा कि उनके खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया है. सीबीआई ठगी करने वालों ने डॉक्टर को अपने प्रभाव में लिया और उनके बैंक की सारी डिटेल्स उनसे ले लीं. इसके बाद लगभग 5 दिनों से अधिक समय तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया और उनके खाते से 2 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी कर ली. एसटीएफ द्वारा पकड़े गए अभ्युक्तों से पूछताछ में उन्होंने बताया कि ये पांचों लोग एक साथ मिलकर लोगों के साथ साइबर फ्रॉड का काम करते थे. इन लोगों ने मिलकर पीजीआई लखनऊ की डॉक्टर रुचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट करके उनके साथ फ्रॉड किया था. फ्रॉड के माध्यम से इन लोगों को काफी रुपए मिले थे. इन पैसों को इन लोगों ने तुरंत अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया और उनसे अलग-अलग लड़कों द्वारा क्रिप्टो ऐप्स के माध्यम से यूएस करेंसी खरीद कर उसे वापस मंगा लिया.

रुपयों को usdt में बदलकर करते थे इस्तेमाल

इसी तरह से यह लोग फ्रॉड करके रुपयों को usdt में बदलकर उसे कभी भी कैश करवा लेते थे और कहीं नाम भी नहीं आता था. फ्रॉड करते समय अलग-अलग व्यक्तियों से बात करने का काम ऋषिकेश उर्फ मयंक, गोपाल उर्फ रोशन उर्फ राहुल, और गणेश करते थे. वहीं मणिकांत पांडे उर्फ मिश्रा जी और राजेश गुप्ता इस काम के लिए अलग-अलग लोगों से करंट अकाउंट, कॉरपोरेट अकाउंट की चेक बुक, इंटरनेट बैंकिंग के आईडी पासवर्ड और उनके खातों की सारी जानकारी निकालते थे. एसटीएफ ने सभी पकड़े गए अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और फिलहाल आगे की जांच की जा रही है.

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