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Israel Hamas war Impenetrable weapon of Israel named as Iron Dome made by daniel danny gold know more 

Israel Hamas War: इजरायल और मिडिल ईस्ट के मुस्लिम देशों के बीच की दुश्मनी पुरानी है. 1948 में इजरायल के बनने के बाद से ही ये देश इजरायल के अस्तित्व को नकारते रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप कई बार इन देशों का इजरायल के साथ भीषण युद्ध हुआ है. हालांकि, हर युद्ध में इजरायल को जीत मिली है. 

इन मिडिल ईस्ट के देशों को हर युद्ध में हार के साथ कभी न भूलने वाली दुखदायी यादें भी मिली हैं. एक तरफ इन देशों को इजरायल से हार मिलती रही है, वहीं दूसरी तरफ ये देश इजरायल पर रॉकेट और मिसाइलों से हमला करते रहे हैं, लेकिन इजराइल हर बार इन हमलों को बड़ी ही सटीकता के साथ रोक लेता है. 

इजरायल का सुरक्षा कवच

इजरायल पर हुए हमलों के नाकाम होने के बाद एक नाम बार-बार हमें सुनने को मिलता है, वह है आयरन डोम. आयरन डोम ही वह सुरक्षा कवच है जो हर बार बड़ी सटीकता के साथ इजरायल पर हुए हर हमले को नाकाम कर देता है, जिससे इजरायल को कोई भारी नुकसान नहीं होता है. क्या आपको पता है कि इजरायल के इस अभेद हथियार को किसने बनाया है और इसकी नींव कैसे पड़ी?

इसके सूत्रधार इजरायली रक्षा इंजीनियर डैनियल डैनी गोल्ड हैं. उन्होंने 1990 के दशक में दूसरे इजरायल युद्ध के बाद यह महसूस किया कि इजरायल के खतरे की सबसे बड़ी वजह मिसाइल और रॉकेट हमले हैं, जिसके बाद उनके मन में एक ऐसा डिफेंस सिस्टम बनाने का आइडिया आया जो लगभग अभेद्य हो. इसके बाद उन्होंने इस पर काम शुरू कर दिया. 

90 फीसदी से अधिक हमलों को सटीकता से कर देता है खत्म

साल 2011 से इजरायली सेना इस एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल कर रही है. यह एयर डिफेंस सिस्टम इतना सटीक है कि 90 फीसदी से अधिक हमलों को सटीकता से खत्म कर देता है. डैनी गोल्ड ने 1983 में इजरायली एयर फोर्स में सेवा शुरू की. इस दौरान उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स, शस्त्र और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में कई शीर्ष पदों पर कार्य किया. उनकी लंबी सेवा अवधि के बाद सरकार ने उन्हें 2016 में इजरायली रक्षा अनुसंधान और विकास निदेशालय (डीडीआरएंडडी) का प्रमुख बना दिया. इसके बाद वह इजरायल रक्षा बलों में ब्रिगेडियर जनरल के रूप में नियुक्त हो गए.

इजरायल डिफेंस प्राइज से भी हुए सम्मानित

इजरायल की सुरक्षा के लिए दिए उनके अनमोल योगदान के लिए उन्हें सितंबर 2012 में इजरायल डिफेंस प्राइज से भी सम्मानित किया गया. वह 2014 में आईडीएफ से अपनी सेवा समाप्त होने के बाद ‘गोल्ड टेक्नोलॉजी और उद्यमिता’ नामक कंपनी चलाते हैं.

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