Bangladeshi citizens joined TTP in Afghanistan security crisis for Pakistan Shahbaz government and army

Bangladeshi Join Pakistan TTP: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार और जनरल असीम मुनीर की सेना के सामने अब एक नई और अप्रत्याशित सुरक्षा चुनौती खड़ी हो गई है. यह खतरा न सिर्फ पाकिस्तानी सीमा के भीतर पनप रहा है, बल्कि अब बांग्लादेश से जुड़े आतंकियों के रूप में बाहरी समर्थन भी पा रहा है.
बांग्लादेशी डिजिटल पोर्टल ‘The Descent’ की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के नागरिक बड़ी संख्या में अफगानिस्तान जाकर TTP से जुड़ रहे हैं. हाल ही में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा उत्तरी वजीरिस्तान में मारे गए 54 आतंकियों में से एक अहमद जोबेर भी बांग्लादेशी नागरिक निकला, जिसने पहले सऊदी अरब और फिर अफगानिस्तान पहुंचकर TTP से हाथ मिलाया.
TTP का बांग्लादेश चैप्टर और सोशल मीडिया वॉर
रिपोर्ट में उल्लेख है कि कम से कम 8 बांग्लादेशी नागरिक वर्तमान में अफगानिस्तान में TTP के लिए सक्रिय हैं. साथ ही सैफुल्लाह नामक एक व्यक्ति, जो खुद को TTP के बांग्लादेश चैप्टर का डिजिटल ऑपरेटर बताता है. वह सोशल मीडिया के माध्यम से कट्टरपंथी प्रचार फैला रहा है. सोशल मीडिया के जरिए अफगानिस्तान से ही TTP के लिए डिजिटल प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है, जिससे भर्ती अभियान को बढ़ावा मिल रहा है. हैरानी की बात यह है कि बांग्लादेश की खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं है, जो इस खतरे की गंभीरता को और बढ़ाता है.
बांग्लादेश और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का पुराना संबंध
यह कोई पहली बार नहीं है जब बांग्लादेशी नागरिकों का नाम वैश्विक आतंकी नेटवर्क से जुड़ा है. 2005 में JMB के आतंकियों ने बांग्लादेश में पहला आत्मघाती हमला किया था. ISIS से दर्जनों बांग्लादेशी जुड़े और कुछ सीरिया में मारे गए. 2016 में सिंगापुर में 8 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया, जो वहां इस्लामिक स्टेट स्टेट बनाना चाहते थे. इन घटनाओं से स्पष्ट है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी सोच की जड़ें गहरी हैं, जो अब TTP जैसे संगठनों को वैश्विक विस्तार दे रही हैं.
पाकिस्तान के लिए दोहरा संकट
पाकिस्तान पहले से ही TTP के उग्र हमलों, ड्रोन हमलों और आतंकी घुसपैठ से जूझ रहा है. अब जब बांग्लादेश जैसे देश के नागरिक भी इस नेटवर्क का हिस्सा बन रहे हैं तो यह पाकिस्तान के लिए डबल फ्रंट वॉर का संकेत है. अंदरूनी मोर्चे पर TTP लगातार सुरक्षा बलों, पुलिस, और नागरिक ठिकानों पर हमला कर रहा है. बाहरी मोर्चे पर अब उसे अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों से भर्ती और प्रचार समर्थन मिल रहा है. शहबाज शरीफ और जनरल असीम मुनीर के लिए यह न केवल राजनीतिक चुनौती है, बल्कि एक रणनीतिक सुरक्षा खतरा भी है, जो पाकिस्तान की स्थिरता को डगमगा सकता है.