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Bangladesh Voilence BNP Workers told Sheikh Hasina regime cops gave us 2 choices Help arrest protesters or be shot dead

Bangladesh Voilence Latest News: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो चुका है. इस बीच शेख हसीना के कार्यकाल में गिरफ्तार किए गए विपक्षी दल के नेता और अन्य छात्र नेताओं को भी जेल से लगातार रिहा किया जा रहा है. जेल से रिहा दो छात्रों ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कुछ ऐसे दावे किए हैं, जो बताते हैं कि उन्होंने कैसे इस आंदोलन को दबाने की कोशिश की.

बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकर्ता निजामुद्दीन मिंटो और जाकिर हुसैन को बुधवार को ढाका सेंट्रल जेल से रिहा किया गया. मिंटो ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम करते हैं, जबकि जाकिर केबल व्यवसाय में हैं. दोनों ने ढाका में आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी छात्रों की मदद की, मिंटो ने उनके बीच पीने का पानी वितरित किया और जाकिर ने उन्हें बिरयानी लाकर दी.

‘अचानक घर में घुसी पुलिस और कर लिया अरेस्ट’

ढाका से टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उन भयावह दिनों को याद करते हुए मिंटो ने कहा, “22 जुलाई को सुबह 12:30 बजे सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों का एक ग्रुप हमारे कमरे में घुस आया और मुझ पर और मेरे दोस्त जाकिर पर पिस्तौल तान दी. एक पुलिसकर्मी ने हमें बताया कि दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है और वे हम दोनों को मार देंगे.. उनका कहना था कि हमने कई पुलिसकर्मियों को मार डाला है, इसलिए वे ऐसा करेंगे. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वे पहले ही 25 युवाओं को मार चुके हैं और हम 26वें और 27वें नंबर पर होंगे.”

‘जेल में हमसे की जाती थी मारपीट’

मिंटो ने कहा, “हमें कमरे से बाहर निकाला गया और 14 सीटों वाली बस में ठूंस दिया गया. हमारे चारों ओर 18-20 हथियारबंद सीआईडी ​​कर्मी थे. बस के अंदर घुसते ही उन्होंने हमें हथकड़ी लगा दी और कुछ गैजेट से बिजली के झटके दिए, और प्रदर्शनकारियों के बारे में जानकारी मांगी. फिर हमें बुरीगंगा नदी पर बने पोस्टोगोला पुल पर ले जाया गया और रेलिंग पर खड़े होने को कहा गया. हमें दो विकल्प दिए गए- या तो कम से कम 10 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने में उनकी मदद करें या गोली खा लें. हमने कहा कि हम सहयोग करेंगे. हमें ढाका के मालीबाग में सीआईडी ​​मुख्यालय ले जाया गया और एक कोठरी में रखा गया, जहां पांच अन्य लोग थे. हमसे दिन में तीन बार पूछताछ की जाती थी, जिसके दौरान वे हमारे साथ दुर्व्यवहार करते थे और हमारे साथ मारपीट करते थे, और आंदोलन के बारे में जानकारी निकालने की कोशिश करते थे.”

‘4 दिनों की यातना के बाद भेज दिया गया जेल’

मिंटो ने कहा, “चार दिनों की यातना के बाद, हमें अदालत ले जाया गया और ढाका सेंट्रल जेल भेज दिया गया. 5 अगस्त को हमें बाहर की घटनाओं के बारे में जानकारी मिलनी शुरू हुई. हमने सुना कि शेख हसीना देश छोड़कर भाग गई हैं. हम पद्मा नामक एक कोठरी में थे. हम बगल की कोठरी, मेघना से ज़ोरदार नारे सुन सकते थे. अगली सुबह, हमें बताया गया कि हमें रिहा कर दिया जाएगा.”

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