रामलला की मूर्ति के साथ क्या हुआ, जिसने बढ़ा दी थी UP और केंद्र सरकार की टेंशन | Hemant Sharma Book Yudh mein Ayodhya babri demolition ramlala murti narasimha rao kalyan singh


रामलला की मूर्ति को लेकर राज्य और केंद्र दोनों को ही टेंशन बना हुआ था.
6 दिसंबर 1992. कारसेवक अयोध्या के विवादित ढांचे पर कब्जा कर तीनों गुंबद एक-एक कर गिरा चुके थे. ढांचा गिरते ही कारसेवकों की पूरी ताकत मलबे को समतल बनाने में लगी, ताकि वहां फिर से रामलला को जल्दी-से-जल्दी स्थापित किया जा सके. पुलिस सुरक्षा बल, केंद्र सरकार और कल्याण सिंह की सरकार, तीनों इसी काम के पूरे होने का इंतजार कर रहे थे. इसी के बाद कोई कार्रवाई होनी थी. मगर रामलला की मूर्ति के साथ कुछ ऐसा हुआ कि यूपी की कल्याण सिंह सरकार से लेकर दिल्ली की नरसिम्हा राव सरकार की हवा खराब हो गई. क्या हुआ आगे बताते हैं.
अयोध्या आंदोलन से जुड़े ये रोचक किस्से हम ला रहे हैं खास आपके लिए एक किताब से जिसका नाम है ‘युद्ध में अयोध्या’. किताब के लेखक हैं टीवी9 नेटवर्क के न्यूज डायरेक्टर हेमंत शर्मा.
वापस किस्से पर लौटते हैं. कारसेवकों ने ढांचे का मलबा पीछे खाई में गिराया और जमीन समतल करने के काम में लग गए. पंद्रह गुणा पंद्रह गज के टुकड़े पर जल्दी-जल्दी में पांच फीट की दीवार उठाई गई. नीचे से उस अस्थायी चबूतरे तक 18 सीढ़ियां बनीं. उसी वक्त कुछ ऐसा पता चला जिससे हड़कंप मच गया. पता ये चला कि रामलला की मूर्तियां गायब हैं. कारसेवकों के सामने एक तरफ केंद्र सरकार की संभावित कार्रवाई का खतरा था तो दूसरी तरफ मूर्ति रख अस्थायी मंदिर बनाने की अफरातफरी थी.
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राजा ने घर से भिजवाई रामलला की मूर्ति
केंद्र सरकार की ओर से अयोध्या का मामला केंद्रीय राज्यमंत्री पीआर. कुमार मंगलम देख रहे थे. वे फोन पर कई बार जानकारी ले चुके थे कि अस्थायी मंदिर में मूर्तियां रखी गईं या नहीं? दरअसल, अयोध्या में ढांचा ढहाए जाने के बाद अस्थायी मंदिर में रामलला की मूर्तियां स्थापित कराने की जल्दी सबको थी. कारसेवकों को भी और सरकारों को भी. मूर्ति गायब होने की स्थिति में केंद्र के मंत्री पीआर कुमार मंगलम ने राजा अयोध्या विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र से संपर्क किया. राजा साहब कांग्रेस पृष्ठभूमि के थे.
आनन-फानन में राजा अयोध्या ने अपने घर से रामलला की मूर्तियां भिजवाईं, जो उनकी दादी ने इसी काम के लिए अपने घर में एक अस्थायी मंदिर बनाकर उसमें रखी थीं. राजा अयोध्या ने मूर्तियां रखे जाने के बाद पीआर कुमार मंगलम को जानकारी दी. फौरन बाद नरसिम्हा राव ने कैबिनेट की बैठक बुला कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त करने की सिफारिश की. अयोध्या अब केंद्र सरकार के हवाले थी.
रामलला मूर्ति की दिलचस्प कहानी
राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की मूर्ति की भी दिलचस्प कहानी है. किताब ‘युद्ध में अयोध्या’ के मुताबिक, जो मूर्ति ध्वंस के दौरान गायब हुई, वह रामलला की मूल मूर्ति नहीं थी. इस इमारत के बार-बार टूटते-बनते यहां मूर्तियां भी बदलती रहीं. जो मूर्ति कारसेवकों ने गायब की, वह 1949 की 22 दिसंबर की आधी रात को रखी गई थी. करीब 400 साल पहले जब मीर बाकी ने मंदिर तोड़ मस्जिद बनाई तो उस वक्त की विक्रमादित्य द्वारा स्थापित मूर्ति टीकमगढ़ के ओरछा राजमहल में चली गई.
ओरछा की महारानी अयोध्या आकर वह मूर्ति ले गई थीं. इसीलिए ओरछा में राम राजा का राज आज भी है और वहां के राम राजा धनुर्धर राम नहीं, रामलला हैं. आज भी ओरछा के मंदिर में रामलला को मध्य प्रदेश पुलिस सुबह-शाम सलामी देती है.