Australia Prime Minister Anthony Albanese profile Won election second time in row defeat peter dutton

Australia Election 2025: ऑस्ट्रेलिया में एंथनी अल्बनीज ने प्रधानमंत्री का चुनाव जीत लिया है. ऑस्ट्रेलिया में 2004 के बाद पहली बार कोई प्रधानमंत्री लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटा है. अल्बनीज पिछले 21 साल में पहले ऐसे ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री बने हैं जिन्हें लगातार दूसरी बार पीएम बनने का मौका मिला है. चुनाव से पहले अल्बनीज ने विश्वास जताया था कि उनकी पार्टी को फिर से बहुमत मिलेगा. पांच सप्ताह के चुनाव अभियान के दौरान उनका प्रदर्शन विपक्षी नेता पीटर डटन से बेहतर रहा था. इस वजह से एंथनी अल्बनीज ने पीटर डटन को हरा दिया. इतना ही नहीं पीटर अपनी सीट भी हार गए.
एंथनी अल्बनीज की राजनीतिक यात्रा काफी प्रेरणादायक रही है. अल्बानीज का बचपन काफी कठिनाईयों के साथ गुजरा था. वह सिंगर मदर चाइल्ड थे, जो विकलांगता पेंशन की मदद से अल्बनीज की देखभाल करती थीं. अल्बनीज के बारे में लेबर सांसद लिंडा बर्नी कहती है कि अल्बनीज का दिल काफी कोमल है. वह अपनी जिम्मेदारी समझते हैं, जो आजकल काफी कम देखने को मिलता है. उन्होंने मेरी काफी मदद की है. वे हमेशा एक चट्टान की तरह मेरे साथ खड़े रहे हैं.
चीन के साथ संबंधों को संतुलित रखना बड़ी चुनौती
जीत के बाद अल्बनीज ने कहा, ‘हम विदेशों से प्रेरणा नहीं लेते. हम इसे यहीं अपने मूल्यों और अपने लोगों में पाते हैं.’ यह बात उनकी आत्मनिर्भरता और ऑस्ट्रेलिया के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है. ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंधों को संतुलित रखना अल्बनीज की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. चीन ऑस्ट्रेलिया का प्रमुख व्यापारिक साझेदार है, लेकिन क्षेत्रीय प्रभाव और सुरक्षा मसलों पर मतभेद गहराते रहे हैं.
चुनाव में जीत के बाद दोहराया संकल्प
प्रधानमंत्री के रूप में अल्बनीज ने स्वदेशी ऑस्ट्रेलियनों की स्थिति सुधारने के लिए गहरी राजनीतिक पूंजी लगाई. 2023 का जनमत संग्रह, जो संविधान में स्वदेशी लोगों को मान्यता देने के लिए आयोजित किया गया था, असफल रहा. इसके बावजूद उन्होंने इसका दायित्व अपने कंधों पर लिया और पीछे हटने के बजाय अपने संकल्प को दोहराया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी बधाई
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को एंथनी अल्बनीज को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के रूप में दोबारा चुने जाने और आम चुनावों में उनकी बड़ी जीत पर बधाई दी. पीएम मोदी ने कहा कि वे अल्बनीज के साथ मिलकर भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच मजबूत होते रणनीतिक रिश्तों को और आगे बढ़ाने और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के साझा लक्ष्य को आगे ले जाने के लिए उत्सुक हैं.
एंथनी अल्बनीज़ का जन्म
एंथनी अल्बनीज़ का जन्म 2 मार्च 1963 को सिडनी के पास स्थित कैंपरडाउन में एक रूढ़िवादी कैथोलिक ईसाई परिवार में हुआ. जन्म के समय से ही उनके जीवन में संघर्ष ने घर बना लिया था. उनकी मां मैरी ऐन ने उन्हें बताया कि उनके पिता, कार्लो अल्बनीज़, एक इटालियन नागरिक थे, जो शादी के कुछ समय बाद ही एक कार दुर्घटना में मारे गए थे. यह झूठ एंथनी की सच्चाई से रक्षा के लिए गढ़ा गया था, ताकि वे समाजिक कलंक से बच सकें.
12 साल की उम्र में नेतृत्व का पहला अनुभव
महज 12 साल की उम्र में एंथनी ने अपने पहले राजनीतिक आंदोलन का नेतृत्व किया. जब स्थानीय परिषद ने सरकारी मकानों का किराया बढ़ाने की घोषणा की और उन मकानों को बेचने की योजना बनाई, तब एंथनी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई. कोई दूसरा सामने नहीं आया, लेकिन छोटे से एंथनी ने नेतृत्व संभाला और समुदाय को संगठित किया. इस छात्र नेतृत्व और विरोध ने परिषद को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. यहीं से यह साफ हो गया था कि एंथनी में नेतृत्व की चिंगारी है और वह लोगों के लिए खड़े होने की हिम्मत रखते हैं.
जब पिता से पहली बार मिले
राजनीति में कदम रखने के बाद, जब एंथनी ऑस्ट्रेलिया के परिवहन और बुनियादी ढांचा मंत्री बने तो एक बैठक के सिलसिले में उन्हें इटली जाना पड़ा. इसी दौरान उन्होंने अपने गृहनगर बैरेटा में अपने वास्तविक पिता कार्लो अल्बनीज़ से मुलाकात की. इस मुलाकात ने उनके जीवन को एक नया दृष्टिकोण दिया,जहां उन्होंने अपनी जड़ों और पहचान को फिर से खोजा. दोनों की पहली भेंट बेहद भावुक रही. एंथनी ने स्वीकार किया कि यह मुलाकात उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक क्षणों में से एक थी.
प्रधानमंत्री बनने तक का सफर
एंथनी ने धीरे-धीरे ऑस्ट्रेलियन लेबर पार्टी में अपनी जगह बनाई. वर्षों की मेहनत, जमीन से जुड़े मुद्दों को उठाने और सामाजिक न्याय के लिए काम करने की वजह से वे लोगों के बीच लोकप्रिय होते चले गए.2022 में, एंथनी अल्बनीज़ ऑस्ट्रेलिया के 31वें प्रधानमंत्री बने. यह सिर्फ एक राजनीतिक जीत नहीं थी, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की जीत थी जो गरीबी, अकेलेपन और सामाजिक तिरस्कार से लड़ते हुए दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित लोकतांत्रिक पदों में से एक तक पहुंचा.