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संगम के पानी पर CPCB के दावे में कितना दम? जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है. इस बीच संगम के पानी को लेकर केंद्र और उत्तर प्रदेश के बीच टकराव की स्थिति है. पानी की गुणवत्ता को लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट एक-दूसरे से ठीक विपरीत हैं. सीपीसीबी का कहना है कि महाकुंभ में कई जगह पानी स्नान करने लायक भी नहीं है. गुरुवार को यूपी सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि नदी का पानी शुद्ध है. सीपीसीबी और यूपीपीसीबी के दावों के बीच 4 अलग-अलग विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर ने इस मामले में अपनी राय दी है. सबसे पहले बात करते हैं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान स्कूल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमित कुमार मिश्रा की.

असिस्टेंट प्रोफेसर अमित कुमार मिश्रा कहते हैं, हमें और अधिक डेटा सेट की जरूरत है. हमें और अधिक मेजरमेंट की जरूरत है. महाकुंभ में स्नान करने वालों की एक बड़ी संख्या है. अगर आप कोलीफॉर्म बैक्टीरिया के बारे में बात करते हैं तो यह कोई नई बात नहीं है. अगर आप शाही स्नान के डेटा को देखें तो पाएंगे कि उस समय ई.कोली बैक्टीरिया पीक पर होता है. इसलिए मैं कहूंगा कि हमें और अधिक डेटा सेट की जरूरत है.

क्या कहते हैं एसोसिएट प्रोफेसर आरके रंजन?

महाकुंभ के पानी में फेकल बैक्टीरिया वाली रिपोर्ट पर दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर आरके रंजन कहते हैं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बहुत ही बेतुके हैं. यह निष्कर्ष निकालना कि पानी नहाने के लिए नुकसानदेह है, इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी. यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है कि प्रयागराज का पानी नहाने के लिए सुरक्षित नहीं है. गढ़मुक्तेश्वर, गाजीपुर, बक्सर और पटना से भी इसी तरह के आंकड़े देखे जा सकते हैं. ऐसा होने की कई वजह हो सकती हैं. इसके पीछे एक वजह ये भी है कि बड़ी संख्या में लोग एक ही पानी में नहाते हैं. यह भी मायने रखता है कि पानी के सैंपल कहां से और कब लिए गए हैं.

प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह की प्रतिक्रिया

त्रिवेणी संगम में पानी की गुणवत्ता पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर उमेश कुमार सिंह कहते हैं, कुछ दिन पहले केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एक रिपोर्ट तैयार की. इसमें पानी में फेकल कोलीफॉर्म के लेवल में बढ़ोतरी की बात कही गई.

उन्होंने कहा, मेरा मानना ​​है कि सीपीसीबी को रिपोर्ट पर और अधिक काम करने की जरूरत है क्योंकि उनका डेटा पूरा नहीं है. रिपोर्ट में नाइट्रेट और फॉस्फेट के लेवल का जिक्र ही नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक पानी में ऑक्सीजन का लेवल अच्छा है. वर्तमान डेटा के आधार पर मैं कह सकता हूं कि त्रिवेणी संगम का पानी स्नान करने के लिए सही है.

प्रोफेसर चंद्र कुमार सिंह का क्या कहना है?

टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के प्रोफेसर चंद्र कुमार सिंह ने कहा, सीपीसीबी ने जिस ई. कोलाई काउंट की बात की है, इसके कई कारण हो सकते हैं. तापमान की वजह से भी इसकी मात्रा घटती-बढ़ती रहती है. सीपीसीबी की रिपोर्ट में काफी कुछ पैरामीटर नहीं दिखाए गए हैं, जो सीधे तौर पर ये बताए कि फीकल कोलीफॉर्म ह्यूमन वेस्ट की वजह से है. मेरा मानना ​​है, अगर अधिक डेटा और तथ्य सामने आएं तो बेहतर जानकारी दी जा सकती है.



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