bangladesh pm sheikh hasina may comeback to country know who said this

Political Instability in Bangladesh : बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण भारत में टेंशन लगातार बढ़ती जा रही है. बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अभी भारत में शरण ली हुई है. इस कारण बांग्लादेश में भारत विरोधी राजनीतिक और धार्मिक दल भारत के ही खिलाफ नजर आ रहे हैं. शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश की राजनीति में लगातार अस्थिरता बनी हुई है.
बांग्लादेश को लेकर कई तरह की चर्चाएं जारी
फिलहाल बांग्लादेश को लेकर तीन चर्चाएं बनी हुई है. पहली चर्चा कि बांग्लादेश की अतंरिम सरकार की मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस पर देश में नए सिरे से संसदीय चुनाव करवाने की जिम्मेदारी है.
दूसरी चर्चा, बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खेमे से आ रही है. शेख हसीना का खेमा एक राजनीतिक पुनरुद्धार योजना पर काम कर रहा है और उनकी पार्टी पुनः अपने पैर जमाने के लिए मैदान में उतर रही है.
और तीसरी चर्चा शेख हसीना के कट्टर प्रतिद्वंद्वी और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की ओर से है. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को यह भरोसा है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना बांग्लादेश में वापस आएंगी.
शेख हसीना के खिलाफ कई मुकदमे किए गए दर्ज
शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से उनकी पार्टी कार्यकर्तांओं और समर्थकों के खिलाफ हजारों मुकदमे दर्ज किए गए हैं और सैकड़ों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है. इसके बाद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने अवामी लीग के साथ-साथ उसके संरक्षक के खिलाफ भी मामले दर्ज किए हैं.
बांग्लादेश के 1971 के मुक्ति संग्राम में युद्ध अपराधों की सुनवाई के लिए 2009 में शेख हसीना द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) स्थापित किया था. जिसने इस हफ्ते उनके करीबी सहयोगियों, जिनमें पूर्व सेना प्रमुख जियाउल अहसन, 10 पूर्व मंत्रियों, एक सेवानिवृत्त सेना अधिकारी समेत 20 लोगों के खिलाफ समन जारी किया है. इसमें बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और शेख हसीना के दो सलाहकार के नाम भी शामिल हैं. बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन सभी लोगों को 18 और 20 नवंबर को अदालत के सामने आने के लिए कहा गया है.
अवामी छात्र लीग पर भी लगाया प्रतिबंध
बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने हाल ही में अवामी लीग के छात्र शाखा ‘अवामी छात्र लीग’ पर प्रतिबंध लगा दिया.