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UP उपचुनाव: BJP के गले की फांस बनी निषाद पार्टी, बेनतीजा रही जेपी नड्डा-संजय निषाद की बैठक

UP उपचुनाव: BJP के गले की फांस बनी निषाद पार्टी, बेनतीजा रही जेपी नड्डा-संजय निषाद की बैठक

जेपी नड्डा और संजय निषाद. (फाइल फोटो)

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सहयोगी दल विधानसभा उपचुनाव में सीटों की हिस्सेदारी के लिए दांव-पेंच में जुटे हैं. इसमें खासकर निषाद पार्टी का पेंच अभी तक फंसा हुआ है. सोमवार देर रात बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संजय निषाद की बैठक में भी कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया. वहीं अब निषाद पार्टी के साथ सीटों के मसले को सुलझाने के लिए जेपी नड्डा ने महासचिव सुनील बंसल को लगाया है.

जानकारी के मुताबिक इस मुद्दे पर संजय निषाद और सुनील बंसल के बीच आज महत्वपूर्ण बैठक होगी. बीजेपी कार्यालय विस्तार भवन में सुनील बंसल और संजय निषाद की बैठक होगी. सोमवार को हुई बैठक में उत्तरप्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य भी जेपी नड्डा के साथ मौजूद थे.

सीट शेयरिंग पर मामला फंसा

दरअसल बीजेपी का निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) के साथ सीट शेयरिंग पर मामला फंसा हुआ है. राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मछुवा समुदायों के समर्थन का दावा करने वाली क्षेत्रीय पार्टी ने अपनी दो सीटों की मांग के समर्थन में वरीयता और गठबंधन धर्म का हवाला दिया. निषाद पार्टी के प्रमुख और मंत्री संजय निषाद वर्तमान में अपनी मांग के लिए समर्थन जुटाने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं.

दो सीटों पर अड़ी निषाद पार्टी

निषाद पार्टी मिर्जापुर जिले की मझवा और अम्बेडकर नगर की कटहरी विधानसभा सीटें मांग रही है, जहां उसने 2022 के विधानसभा चुनावों में अपने सिम्बल पर चुनाव लड़ा था. उपचुनाव इसलिए जरूरी हो गया क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में मझवा से निषाद पार्टी के विधायक विनोद बिंद (बीजेपी के टिकट पर) सांसद बन गए.

क्या है निषाद पार्टी का तर्क?

निषाद पार्टी के एक सूत्र ने तर्क दिया हम जो चाह रहे हैं वह तार्किक है और पहले के प्रयोग पर आधारित है क्योंकि 2019 में संगम लाल गुप्ता, जो तब बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) के विधायक थे, बीजेपी के सिम्बल पर प्रतापगढ़ के सांसद बने. उन्होंने कहा संगम लाल गुप्ता के सांसद बनने के बाद हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान, यह अपना दल (एस) था, जिसने बीजेपी-अपना दल (एस) गठबंधन के हिस्से के रूप में सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा किया था.

उन्होंने कहा ‘कटहरी में भी 2022 के चुनावों में हारने के बावजूद, हमारे पास एक मामला है, जैसे 2022 के चुनावों में रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से हारने के बावजूद, अपना दल (एस) के उम्मीदवार ने स्वार विधायक अब्दुल्ला आजम की अयोग्यता के कारण उपचुनाव के बाद अपना उम्मीदवार खड़ा किया था.

9 सीटों पर 13 नवंबर को मतदान

निर्वाचन आयोग के अनुसार उत्तर प्रदेश विधानसभा सीट करहल, कुंदरकी, कटेहरी, सीसामऊ, खैर, गाजियाबाद सदर, मीरापुर, मझवा और फूलपुर के लिए 13 नवंबर को मतदान होगा तथा 23 नवंबर का मतों की गिनती होगी. एक सीट अयोध्या जिले की मिल्कीपुर में अदालती मामला होने की वजह से चुनाव घोषित नहीं है.

मझवा और कटेहरी में लड़ी थी निषाद पार्टी

उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 10 सीटों में से मझवा और कटेहरी को सहयोगी निषाद पार्टी के हिस्से में दे दिया था और बाकी सभी सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. निषाद पार्टी ने मझवा में जीत हासिल की लेकिन कटेहरी में पराजित हो गयी. उधर, आठ सीट में से बीजेपी ने सिर्फ खैर, गाजियाबाद सदर और फूलपुर सीट जीती थीं. वहीं, सपा पांच और उस समय उसकी सहयोगी रही राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने एक जीती थी.



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