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हर दिन नई पोशाक पहनते हैं रामलला, दिल्ली से अयोध्या रोजाना फ्लाइट से आते हैं ये कपड़े | Ramlala wears new clothes daily from Delhi to Ayodhya by flight-stwam

हर दिन नई पोशाक पहनते हैं रामलला, दिल्ली से अयोध्या रोजाना फ्लाइट से आते हैं ये कपड़े

रामलला के सुंदर पोशाक दिल्ली से आते हैं.

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही राम लला हर रोज नई डिजाइनर पोशाकें पहन रहे हैं. ये पोशाक दिल्ली से रोजाना फ्लाइट के जरिए अयोध्या पहुंचती है और ट्रस्ट को सौंप दी जाती है. ये जानकारी दिल्ली के डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बताई है. डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बताया कि ये पोशाक दिल्ली के कार्यशाला में तैयार की जाती है, जिसे श्रम साधक तैयार करते हैं.

रोज नए कपड़े तैयार किए जाते हैं. उनका कहना है कि भगवान राम के जरिए पारंपरिक धरोहर को प्रमोट करने का मौका उन्हें मिल रहा है. उनका मकसद लोकल टु ग्लोबल है, यानी दुनिया को ये दिखाना कि छोटे बुनकर भी पारंपरिक परिधान को संवार सकते हैं और इस तरह से भारत का नाम दुनिया में रोशन हो रहा है.

दुनिया भर के लोग अयोध्या जाते हैं और वहां रामलला की पोशाक देख दुनिया में भारत का डंका बज रहा है. प्रभु राम के माध्यम से बता रहे हैं कि भारत कितना भव्य है, कितनी वेरायटी से भरा है. हर दिन 10-12 कारीगर इन पोशाक को तैयार करते हैं.पोशाक की डिजाइन पर निर्भर करता है कि वो कितने समय में तैयार हो रहा है.

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ऐसे होता है डिजाइन का चयन

मनीष ने बताया कि ट्रस्ट ने शुरुआत में भरोसा जताया, हमें काम मिला, हमने मन मुताबिक काम मिला, और आज तक ये जारी है. शुरुआत में ही ट्रस्ट ने गाइडलाइंस बताई थी, दिशा निर्देश दिए थे, कि किस तरह के पोशाक बनाने हैं. मंदिर के नियमों का पालन करना, पुजारी की सहमति ये सब मायने रखती है. इसके अलावा राम लला की पोशाक का हर दिन अलग रंग होता है. हफ्ते में 7 रंगों के पोशाक बनते हैं, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, शनिवार को नीला इत्यादि. इसी के आधार पर टेक्सटाइल का चयन होता है.वो कहते हैं ये सब भगवान खुद कराते हैं, नाम सिर्फ मेरा हो रहा है.

2016 से बना रहे हैं पोशाक

डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने बताया कि वो साल 2016 से राम लला के पोशाक तैयार कर रहे हैं, ये वो समय था जब रामलला टेंट में रहते थे. यूपी खादी इंडस्ट्री के सहयोग से 2016 में पहली बार पोशाक बनाया था, योगी जी को पसंद आया, ये उस समय की बात है जब श्रीराम टेंट में विराजमान होते थे. तब से लेकर आज तक ये सिलसिला जारी है. और अब रोजाना पोशाक तैयार होकर फ्लाइट से दिल्ली से अयोध्या भेजे जाते हैं.

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