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मायावती को बड़ी चोट देने का अखिलेश ने बनाया प्लान, दलित वोट बैंक पर चला ये बड़ा दांव | Mayawati vs Akhilesh Yadav demand for Bharat Ratna for Kanshi Ram sp vs bsp India alliance election 2024

मायावती को बड़ी चोट देने का अखिलेश ने बनाया प्लान, दलित वोट बैंक पर चला ये बड़ा दांव

दलित वोट बैंक पर नजर!

अखिलेश यादव आज सवेरे ही समाजवादी पार्टी ऑफिस पहुंच गए. लखनऊ में उन्होंने अपने करीबी नेताओं के संग बैठक की. फिर लोकसभा चुनाव पर चर्चा हुई. मीटिंग के दौरान अखिलेश यादव की नजर लगातार टीवी पर बनी रही. बिहार में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर वे भी परेशान नजर आए. इसी दौरान उनके मोबाइल फोन पर एक मैसेज आया. तो उन्होंने मीटिंग में मौजूद नेताओं से कहा कि नीतीश जी कांग्रेस की यात्रा में भी अब नहीं जा रहे हैं. पता नहीं बिहार में क्या हो रहा है.

इसके तुरंत बाद चर्चा कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने पर शुरू हो गई. उन्होंने कहा कि ये फैसला तो समाजवादी लोगों की जीत है. अखिलेश ने कहा कि नेताजी ने भी कर्पूरी ठाकुर जी को ये सम्मान देने की मांग की थी. समाजवादी पार्टी के लोग मुलायम सिंह यादव को नेताजी कहते हैं. अखिलेश ने कहा कि ये पिछड़ों और दलितों की जीत है.

कांशी राम को भारत रत्न देने की मांग

समाजवादी पार्टी ने बीएसपी के संस्थापक कांशीराम को भी अब भारत रत्न देने की मांग की है. अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार से पांच नेताओं के लिए इस सम्मान की डिमांड की है. इनमें राम मनोहर लोहिया, बीपी मंडल, चौधरी चरण सिंह और मुलायम सिंह यादव के नाम शामिल हैं. मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान मिल चुका है. अखिलेश यादव की लिस्ट में सबसे चौंकाने वाला नाम है कांशीराम का. कांशीराम ने जो पार्टी बनाई, उसी बीएसपी की मुखिया मायावती इन दिनों अखिलेश को खूब भला बुरा कह रही हैं.

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मायावती कर चुकी हैं सम्मान की मांग

इंडिया गठबंधन में बीएसपी के शामिल होने के सवाल पर अखिलेश के एक बयान से वे नाराज हैं. अखिलेश यादव ने कहा था कि चुनाव बाद उनकी गारंटी कौन लेगा ! इसके जवाब में मायावती ने अपने बर्थ डे पर अखिलेश को दलित विरोधी नेता कहा था. फिर उन्होंने 1995 के गेस्ट हाउस कांड की भी याद दिलाई. जब उनके साथ समाजवादी पार्टी के लोगों ने बदतमीजी की थी. कर्पूरी ठाकुर के भारत रत्न दिए जाने के एलान के तुरंत बाद मायावती ने कांशीराम को भी ये सम्मान देने की मांग की थी. कांशीराम के निधन पर सार्वजनिक छुट्टी न करने पर वे कांग्रेस की लगातार आलोचना करती रही हैं.

दलित वोट बैंक में सेंध की कोशिश

पिछले दो साल से अखिलेश यादव बीएसपी के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में हैं. उन्होंने समाजवादी पार्टी में अंबेडकर वाहिनी भी बनाया है. मायावती की पार्टी के कई नेताओं को तोड़कर अखिलेश अपनी पार्टी में ले आए हैं. समझा रहा है कि कांशीराम के नाम के बहाने अखिलेश की नजर दलित वोटरों पर है. मायावती से दलित वोटरों को तोड़ना बड़ी चुनौती है. अखिलेश यादव इस बार PDA के नारे पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. PDA का मतलब है पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक.

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