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क्या हलाल सर्टिफिकेशन के पीछे है करोड़ों का खेल? अब STF करेगी जांच | UP Halal certification case investigation of FIR transferred to STF

क्या हलाल सर्टिफिकेशन के पीछे है करोड़ों का खेल? अब STF करेगी जांच

यूपी में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों की बिक्री बैन

हलाल सर्टिफिकेशन जारी करने के मामले में हजरतगंज कोतवाली में 17 नवंबर को दर्ज हुई एफआईआर की जांच एसटीएफ को ट्रांसफर कर दी गई है. मामले का दायरा विस्तृत होने के चलते यूपी सरकार ने ये फैसला लिया है, जिसके बाद डीजीपी मुख्यालय ने जांच एसटीएफ को ट्रांसफर किए जाने का आदेश जारी कर दिया है. हलाल सर्टिफिकेशन के पीछे करोड़ों रुपए का खेल होने, इसका दायरा राष्ट्रीय स्तर पर होने और राष्ट्र विरोधी साजिश की आशंका के चलते मामले की जांच एसटीएफ को दी गई है.

इस मामले में 17 नवंबर को हजरतगंज कोतवाली में ऐशबाग के मोतीझील निवासी शैलेंद्र कुमार शर्मा ने चेन्नई की हलाल इंडिया, दिल्ली की जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट, मुंबई की हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया और जमीयत उलेमा समेत अन्य के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था. एफआईआर में कई गंभीर धाराएं लगी हैं. नामजद कंपनियों पर आरोप है कि बिना किसी अधिकार के कंपनियां हलाल प्रमाण पत्र निर्गत कर अनुचित लाभ अर्जित कर रही हैं.

धन अर्जित कर कुछ चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. इससे अर्जित होने वाले धन का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी तत्वों व आतंकी संगठनों के लिए किया जा रहा है. यही नहीं आरोपित कंपनियों से जुड़े लोग एक वर्ग विशेष को प्रभावित करने के लिए कूट रचित प्रपत्रों का प्रयोग कर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. इसमें मानकों का पालन भी नहीं किया जा रहा है. यह कंपनियां उन उत्पादों को भी हलाल प्रमाण पत्र जारी कर रही हैं, जो पूरी तरह शुद्ध शाकाहारी की श्रेणी में आते हैं.

यूएपीए के तहत केस दर्ज करने पर हो रहा है विचार

चर्चा है कि इस मामले में देश विरोधी गतिविधियों व आतंकी संगठनों को फंडिंग जैसी बात सामने आने पर हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े संगठनों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत भी कार्रवाई हो सकती है. इसको लेकर विधि विशेषज्ञों से गहन विचार विमर्श किया जा रहा है. यूएपीए का मुख्य काम आतंकी गतिविधियों को रोकना होता है. इस कानून के तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों को चिह्नित करती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं, इसके लिए लोगों को तैयार करते हैं या फिर ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं. यूएपीए वर्ष 1967 में आया था. वर्ष 2019 में इसमें संशोधन किया गया है.

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