यूपी में बीजेपी की नई सोशल इंजीनियरिंग, हर जिले में किन्नर को उपाध्यक्ष बनाने का प्लान! | Transgender Community In Uttar Pradesh BJP Social Politics In UP What is a eunuch in India?


बीजेपी का किन्नर समाज पर फोकसImage Credit source: TV9 Graphics
लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए बीजेपी उत्तर प्रदेश में नई सोशल इंजिनियरिंग फॉर्मूले पर काम तेज कर दिया है. दलित-ओबीसी के बीच मजबूत पकड़ बनाने के बाद बीजेपी पसमांदा मुसलमानों के विश्वास जीतने की मुहिम चला रखी है और अब उससे भी आगे बढ़कर एक नए वोटबैंक को जोड़ने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है. बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा सूबे में थर्ड जेंडर यानि किन्नर को हर जिले में उपाध्यक्ष बनाने का फैसला किया है. इसके अलावा संगठन के अलग-अलग पदों पर रखने का विचार है. इसकी रूपरेखा भी अल्पसंख्यक मोर्चा ने बना ली गई है और संगठन मंत्री से हरी झंडी मिलते ही नियुक्ति की प्रकिया शुरू हो जाएगी.
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित चौधरी ने टीवी-9 डिजिटल से बातचीत करते हुए कहा कि किन्नरों को मुख्यधारा की राजनीति से जोड़ने के मद्देनजर यह प्लान बनाया गया है. यूपी के कई किन्नरों के संगठन ने पिछले दिनों मुलाकात करके उन्होंने बीजेपी के साथ जुड़ने और काम करने की इच्छा जतायी थी. इसके बाद ही बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने यह फैसला किया है कि हर जिले में उपाध्यक्ष पद पर किन्नर की नियुक्ति करने के साथ ही संगठन के दूसरे पदों पर उन्हें रखा जाएगा ताकि उनकी राजनीतिक हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके. इससे किन्नरों को सियासत में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.
बीजेपी सरकार ने किन्नरों के लिए शुरू की योजनाएं
कुंवर बासित चौधरी ने बताया कि बीजेपी शुरू से ही किन्नरों को सम्मान देने और उन्हें सामाजिक मख्यधारा से जोड़ने के लिए काम करती रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने पिछले कार्यकाल में किन्नर समाज की समस्याओं को देखते हुए राज्य में किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन किया है. इस बोर्ड के जरिए थर्ड जेंडर की समस्याओं के समाधान के साथ उनकी मांगों को पूरा करने के लिए किया गया. साथ ही विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने का मकसद है.
बासित चौधरी कहते हैं कि यूपी के पांच लाख किन्नरों को उनका अधिकार दिलाने और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार ने किन्नर विकास बोर्ड का गठन किया है. इसके बाद अब किन्ररों को राजनीतिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी अल्पसंख्यक संगठन ने बीढ़ा उठाया है. सूबे के हर जिले संगठन में उन्हें अलग-अलग पदों पर नियुक्ति करके उन्हें सामाजिक और राजनीतिक सम्मान देना है. पीएम मोदी के मूलमंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास को लेकर हम चल रहे हैं. किन्नर भी हमारे समाज का हिस्सा है और हम उन्हें कैसे दरकिनार कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि किन्नरों को संगठन में रखने की योजना हमने बना ली है और प्रदेश संगठन मंत्री से हरी झंडी मिलते ही पार्टी नियुक्ति का काम शुरू कर देगी. किन्नर समुदाय को राजनीति में उसी तरह से आगे बढ़ाने का काम अल्पसंख्यक मोर्चा करेगा, जिस तरह से पसमांदा मुसलमानों को जोड़ने के लिए मिशन-मोड में काम कर रही है. उत्तर प्रदेश के सभी जिले में किन्रर समुदाय के लोग हैं और उन्हें हम संगठन के अलग-अलग पदों पर रखने की तैयारी की है.
राजनीति में किन्नर समुदाय की भूमिका
बता दें कि किन्नरों को 1994 में मतदान का अधिकार मिला है. उसके बाद से राजनीतिक मैदान में उतरकर उन्होंने किस्मत आजमानी शुरू की. 2000 में पहली किन्नर विधायक शबनम शर्मा उर्फ शबनम मौसी मध्य प्रदेश से चुनी गई. इसके बाद 2001 में यूपी के गोरखपुर नगर निगम की पहली किन्नर मेयर आशा देवी चुनी गई. उन्होंने 60 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2002 के यूपी विधानसभा चुनाव में अलग-अलग सीटों से 18 किन्नर किस्मत आजमाने उतरी थी.
किन्रर पायल ने बीजेपी के दिग्गज नेता लालजी टंडन के खिलाफ लखनऊ पश्चिमी सीट के खिलाफ चुनाव लड़ी थी. इसके बाद से हर चुनाव में किन्नर ताल ठोकते रहे. 2006 में मिर्जापुर की अहरौरा नगर पालिका से किन्नर रेखा चेयरमैन बनीं थी. हाल ही में यूपी नगर निकाय चुनाव में चंदौली जिले में पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर पालिका सीट से सोनू किन्नर ने जीत दर्ज अध्यक्ष चुनी गई. सोनू ने बीजेपी की प्रत्याशी को इतिहास भी रचा है. चेयरमैन बनने वाली सोनू किन्नर यूपी तीसरी किन्नर हैं.
किन्नर को मिली है थर्ड जेंडर की मान्यता
2017 में किन्नरों को थर्ड जेंडर की मान्यता मिली है. यूपी के 2022 के विधानसभा चुनाव में थर्ड जेंडर के कुल 8853 मतदाता थे. 1636 थर्ड जेंडर के नाम जुड़े थे. हालांकि, यूपी में किन्नरों की संख्या पांच लाख से ज्यादा है. किन्नरों को मतदान का अधिकार है और थर्ड जेंडर के रूप में समाजिक मान्यता मिलने के बाद अब बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा अपने संगठन में उन्हें हिस्सेदारी देने का कदम उठाने जा रही है. इसके पीछे एक वजह ये है कि थर्ड जेंडर के रूप में एक नए वोटबैंक को जोड़ने का और दूसरी यह है कि ज्यादातर किन्नर मुस्लिम समुदाय से हैं. इसीलिए अल्पसंख्यक मोर्चा में उन्हें शामिल किए जाने की रुपरेखा बनाई गई है.