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Tungsten Rod Hypersonic Space Weapon Rods From God China Testing In Gobi Desert

Hypersonic Space Weapon: दुनिया में सबसे खतरनाक हथियार ‘परमाणु बम’ को माना जाता है. लेकिन क्या आपको मालूम है, इससे भी ज्यादा खतरनाक एक हथियार है. इस हथियार को ‘Rods from God’ का नाम मिला, जो एक हाइपरसोनिक स्पेस वेपन है. ‘रॉड्स फ्रॉर्म गॉड’ की पहली बार परिकल्पना शीतयुद्ध के समय की गई. लेकिन एक बार फिर से इसकी चर्चा होने लगी है. 

‘रॉड्स फ्रॉर्म गॉड’ के पीछे का आइडिया ये है कि एक टंगस्टन की रॉड को पृथ्वी के ऑर्बिट से धरती पर मौजूद किसी टारगेट पर गिराया जाए. इस दौरान रॉड की रफ्तार लगभग हाइपरसोनिक स्पीड यानी 12 हजार किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच जाएगी, तो परमाणु हथियार के समान जबरदस्त मात्रा में काइनैटिक ऊर्जा पैदा होगी. ये रॉड जब टारगेट पर गिरेगा, तो बंकरों जैसी जगहों को भी नेस्तनाबूद कर देगा. 

कहां से आया ‘रॉड्स फ्रॉर्म गॉड’ का विचार?

शीतयुद्ध के समय अमेरिका ने एक रिसर्च प्रोग्राम लॉन्च किया, जिसका नाम ‘प्रोजेक्ट थॉर’ था. प्लान ये था कि एक 6 मीटर की टंगस्टन रॉड को ऑर्बिट से पृथ्वी पर मौजूद टारगेट पर गिराया जाए. इस दौरान ये परमाणु बम जितनी ऊर्जा पैदा करेगा, मगर इसकी वजह से रेडिएशन नहीं फैलेगा. फिर 2003 में एक नया सिस्टम लॉन्च हुआ, जिसे ‘हाइपरवेलोसिटी रॉड बंडल्स’ (HRB) कहा गया है

HRB के जरिए किसी भी टारगेट को 12 से 15 मिनट में निशाना बनाया जा सकता है. कुछ रिसर्चर्स ने यहां तक कहा कि ये किसी छोटे परमाणु बम जैसा हो सकता है और इससे परमाणु बंकर भी तबाह किए जा सकते हैं. हालांकि, ये सारे विचार ख्याली पुलाव बनकर ही रह गए. इसकी सबसे बड़ी वजह से ऐसा हथियार तैयार करने में लगने वाला समय, पैसा और संसाधन था. 

चीन में इस हथियार पर हुआ रिसर्च?

जब पहली बार इस हथियार की परिकल्पना की गई, तो माना गया कि इससे दुनिया में विनाश मच जाएगा. लेकिन अमेरिकी सेना दशकों से इसे तैयार करने का मन बना रही है. लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है कि किसी भी देश ने ऐसा कोई हथियार विकसित किया है. हालांकि, अब चीन की ‘नॉर्थ यूनिवर्सिटी ऑफ चाइना’ के रिसर्चर्स ने एक एक्सपेरिमेंट के जरिए बताया है कि अगर ऐसा हथियार तैयार हो जाए, तो क्या होगा.

चीनी रिसर्चर्स की स्टडी में पाया गया कि हाइपरसोनिक टंगस्टन रॉड्स सैन्य कंक्रीट बंकरों के खिलाफ उतने कारगर नहीं होंगे, जितना उन्हें मानकर चला जा रहा है. टंगस्टन रॉड्स एक प्वाइंट तक पहुंचने के बाद ज्यादा बड़े पैमाने पर नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं. ऐसे में अगर टंगस्टन रॉड्स ज्यादा कारगर नहीं हैं, तो फिर ये खतरनाक हथियार भी नहीं होंगे. हालांकि, सच्चाई बिल्कुल उलट है. 

दरअसल, स्टडी के नतीजों को पूरी तरह से सही भी नहीं माना जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रिसर्चर्स ने सिर्फ कंक्रीट के टारगेट पर टंगस्टन रॉड का इस्तेमाल किया. मगर ये बाकी अन्य तरह के टारगेट पर काफी प्रभावी हो सकते हैं. रिसर्च में सिर्फ हमले के बाद होने वाले गड्ढे की बात की गई है, लेकिन फिर भी इसे बड़े पैमाने पर तबाही मचाने वाला हथियार माना गया है. 

चीन कर चुका है टंगस्टन रॉड की टेस्टिंग!

2018 में चीन के वैज्ञानिकों ने टंगस्टन रॉड के प्रोटोटाइप के जरिए गोबी रेगिस्तान में टेस्टिंग की. 140 किलोग्राम के टंगस्टन रॉड को 4.6 किलोमीटर प्रति सेकेंड रफ्तार से रेगिस्तान में एक टारगेट पर गिराया गया. जहां ये रॉड गिरी, वहां पर 3 मीटर गहरा और 4.6 मीटर चौड़ा गड्ढा हो गया. चीन की इस टेस्टिंग को हथियार तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना गया. 

टेंस्टिंग में ये बात भी सामने निकलकर आई कि अगर टंगस्टन रॉड के जरिए हाइपरसोनिक रफ्तार से टारगेट किया जाता है, तो इससे बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है. सबसे बड़ी चिंता वाली बात ये है कि चीन टंगस्टन का सबसे बड़ा उत्पादक है. दुनियाभर की 80 फीसदी टंगस्टन का उत्पादन चीन में होता है. ऐसे में सबसे बड़ा डर ये है कि कहीं चीन ही इस हथियार को न तैयार कर ले. 

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