World Hemophilia Day 2023 In Hemaphilia Blood Clotting Is Not Possible.

World Hemophilia Day 2023 Theme: हीमाफीलिया को जेनेटिक डिसआर्डर है. कई बार कुछ अन्य कारणों से भी ये बीमारी हो जाती है. यह अधिकांश तौर पर पुरुषों में देखने को मिलती है. कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके चोट लग जाती है. कुछ देर में ब्लड रुक जाता है. वहीं काफी ऐसे होते हैं कि ब्लड रुकता ही नहीं है. ब्लड का थक्का नहीं बन पाता है. ब स यही हीमाफीलिया डिसीज है. पहले हीमाफीलिया की दवा बहुत महंगी होती थीं. लेकिन अब सरकार के प्रयास से इलाज सस्ता हुआ है. 17 अप्रैल को वर्ल्ड हीमाफीलिया डे मनाया जा रहा है. जानने की कोशिश करते हैं कि हीमाफीलिया बीमारी क्यों होती हैं और कैसे इसके होने पर स्वस्थ्य रह सकते हैं.
5000 में से एक को होता है हीमाफीलिया ए
हीमाफीलिया दो प्रकार होता है. एक को हीमाफीलिया ए कहा जाता है, जबकि दूसरा हीमाफीलिया बी. हीमाफीलिया ए 5000 में से एक व्यक्ति को होता है, जबकि हीमाफीलिया बी 20000 में से एक व्यक्ति में देखने को मिलता है.
जितना क्लाटिंग फैक्टर कम, उतना खतरनाक
हीमाफीलिया का खतरनाक होता है. उसके फैक्टर पर निर्भर होता है. जितना क्लाटिंग फैक्टर कम होता है. उतना ही हीमाफीलिया खतरनाक माना जाता है. डॉक्टरों के मुताबिक, हीमाफीलिया ए में फैक्टर आठ की कमी होती है, जबकि बी में क्लाटिंग फेक्टर नौ की कम होता है. एक से पांच तक फैक्टर की कमी को माडरेट माना जाता है।
ब्लड रोकने के लिए देना पड़ता है क्लाटिंग फैक्टर
हीमाफीलिया में चोट लगने पर व्यक्ति का ब्लड नहीं रुक पाता है. क्लाटिंग फैक्टर की कमी होने पर ऐसा होता है. इसके लिए ब्लड रोकने के लिए क्लाटिंग फैक्टर अलग से देना पड़ता है. पेशेंट को इंजेक्शन के जरिए दवा दी जाती है. ब्लीडिंग होने पर 5 से भी कम डोज देने पर बहाव रुक सकती है. दवा से एंटीबॉडी पर ब्लड रुकने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है.
बच्चों के कंधे, घुटने पर बन जाती है गांठ
हीमाफीलिया से पीड़ित बच्चों को अधिक परेशानी उठानी पड़ती है. यदि बच्चा हीमाफीलिया से पीड़ित है तो उसके कंधे और घुटने पर गांठ बननी शुरू हो जाती है. इसमें बच्चों को बहुत तेज दर्द होता है. कपल को बच्चे को जन्म देने से पहले हीमाफीलिया की जांच करा लेनी चाहिए. जेनेटिक कंडीशन मेें बच्चों को अधिक खतरा रहता है. डॉक्टरों का कहना है कि हीमाफीलिया का अब इलाज आसान हुआ है. एक कैप्सूल सप्ताह में एक बार खाना पड़ता है. ये सप्ताह भर तक फैक्टर ब्लड मेें छोड़ता रहता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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