84 साल का मास्टरमाइंड, 40 साल का गोरखधंधा… गोरखपुर पुलिस ने ऐसे पकड़ा | UP Gorakhpur Police arrest fake stamp paper maker gang 83 year old mastermind stwn


गोरखपुर पुलिस ने फर्जी स्टांप पेपर छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस ने एक गैंग का भंडाफोड़ किया है जिसने फर्जी स्टाम्प पेपर छापने का गोरखधंधा चला रखा था. पुलिस ने इस दौरान 7 लोगों को हिरासत में लिया है और उनके पास से 1 करोड़ रुपये के फर्जी स्टांप पेपर बरामद किए गए हैं. पुलिस ये देखकर चौंक गई कि इस गैंग में शामिल सरगना 84 साल का है. बताया जा रहा है कि इस शख्स ने फर्जी स्टांप छापना अपने ससुर से सीखा था. इसके बाद इसने इस गोरखधंधे में अपने नाती को भी साथ ले लिया.
गोरखपुर पुलिस ने इस गैंग का पर्दाफाश करने के लिए एसआईटी गठित की थी. पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए मोहम्मद कमरूद्दीन, साहेबजादे, रामलखन जायसवाल, ऐश मोहम्मद, रविंद्र दीक्षित, संतोष गुप्ता, नंदू उर्फ नन्दलाल को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने इनके कब्जे से एक करोड़ 52 हजार रुपये से ज्यादा के नकली स्टांप पेपर भी बरामद किए हैं. पुलिस ने जब इनके ठिकाने पर तलाशी ली तो पुलिस को इनके पास से स्टांप छापने वाली मशीन, सांचे, कल प्रिंटर आदि उपकरण भी बरामद किए हैं.
बिहार से जुड़े तार
पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में गठित एसआईटी ने जांच के दौरान जिन सात लोगों को गिरफ्तार किया है उनके तार बिहार के सीवान से जुड़े हैं. दरअसल इस गैंग का मास्टरमाइंड मोहम्मद कमरुद्दीन बिहार के सीवान का रहने वाला है. आरोपी दो बार जेल भी जा चुका है. पुलिस के मुताबिक इस गिरोह से जुड़े एक वकील को पुलिस ने पहले ही हिरासत में ले लिया था जिससे पूछताछ करने के बाद एक के बाद एक तार जुड़ते चले गए और पुलिस आरोपियों तक पहुंच गई.
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सीओ कैंट अंशिका वर्मा के नेतृत्व में SIT का गठन किया गया था. 2 महीने तक लगातार की गई इन्वेस्टीगेशन के बाद इस गिरोह का पर्दाफ़ाश हो सका. इस गिरोह से भारी मात्रा में फर्जी स्टांप बरामद हुए जिनकी कीमत करीब 1 करोड़ रुपये है. इस काम के लिए पुलिस टीम को एसएसपी गोरखपुर की तरफ से नकद पुरस्कार भी दिया गया है.
कैसे आया पकड़ में
पुलिस के मुताबिक यह बदमाश इतने शातिर थे कि इनके बनाए हुए स्टांप पेपर को पकड़ पाना इतना आसान नहीं था. कई सालों से ये फर्जी स्टांप का गोरखधंधा चला रहे हैं. जानकारी के मुताबिक करीब 40 सालों से ये इस गोरखधंधे को चला रहे थे. न सिर्फ गोरखपुर बल्कि देवरिया, कुशीनगर तक इन्होंने अपना जाल फैला रखा था. मामले का खुलासा तब हुआ जब एक सुलहनामे का स्टांप पेपर रजिस्टार ऑफिस में जमा किया गया. जब उस पेपर पर शक हुआ तो उसकी जांच की गई. जांच के बाद सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई.