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69 हजार शिक्षक भर्ती के मुद्दे पर क्यों सुप्रीम कोर्ट नहीं जा रही योगी सरकार? | CM Yogi Adityanath UP teacher recruitment High Court Supreme Court

69 हजार शिक्षक भर्ती के मुद्दे पर क्यों सुप्रीम कोर्ट नहीं जा रही योगी सरकार?

शिक्षक भर्ती के मुद्दे पर यूपी सरकार हाई कोर्ट के निर्देशों पर आगे बढ़ने का फैसला किया है

उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मुद्दे पर योगी सरकार बहुत सोच समझकर कदम बढ़ा रही है. सरकार ने कहा कि वो इस मामले में हाई कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगी और सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी. इस कदम के बाद यह तो साफ हो गया है कि राज्य सरकार इस मुद्दे को लंबा खींचने के मूड में नहीं है. इसलिए विपक्षी दलों के दबाव के बीच सरकार ने बीच का रास्ता निकालने का फैसला लिया है.

रविवार को सीएम योगी के आवास पर बेसिक शिक्षा विभाग की अहम बैठक हुई. बैठक में कहा गया कि यूपी सरकार हाई कोर्ट के फैसले का सम्मान करेगी और सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी. बीते शुक्रवार को सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया था.

सीएम बोले- अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए

बैठक में सीएम योगी ने कहा कि कि हमारी सरकार का स्पष्ट मत है कि संविधान की ओर से दी गई आरक्षण की सुविधा का फायदा आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को मिलना ही चाहिए. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए.

सीएम का ये बयान और सुप्रीम कोर्ट न जाने के निर्णय को विश्लेषक दूसरे नजरिए से देख रहे हैं. एक तरफ तो सरकार में डिप्टी सीएम केशव मौर्य के साथ-साथ एनडीए के सहयोगी अनुप्रिया पटेल, ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद भी सरकार पर दबाव बना रहे थे. दूसरी तरफ सपा-कांग्रेस इस मुद्दे पर योगी सरकार को घेरते हुए आरक्षण विरोधी सरकार साबित करने की कोशिश में लगे हुए थे.

कहीं, पिछड़ों को संदेश देने की कोशिश तो नहीं?

लोकसभा चुनाव के परिणाम ने भी सीएम की चिंता बढ़ा दी थी. ऐसे में सीएम योगी का सुप्रीम कोर्ट न जाने के फैसले ने पिछड़ों को संदेश देने की कोशिश है कि योगी सरकार हर हाल में उनके साथ खड़ी है और उनके अधिकारों की अनदेखी नही की जाएगी.

बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों के भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट के पर्यवेक्षण और इलाहाबाद की लखनऊ बेंच के निर्णय के आलोक में ही शिक्षक भर्ती की कार्यवाही को पूरा किया जाए. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सरकार का स्पष्ट मत है कि संविधान में दी गई आरक्षण की सुविधा का लाभ आरक्षित श्रेणी के सभी पात्र अभ्यर्थियों को मिलना ही चाहिए.

केशव करने लगे तारीफ, सहयोगी पिछड़ों के प्रति बता रहे जवाबदेह

सीएम योगी के इस फैसले के बाद जहां उनके सहयोगी केशव मौर्य उनको सबसे अच्छा सीएम बताते नजर आ रहे हैं तो ओमप्रकाश राजभर, अनुप्रिया और संजय निषाद एनडीए को पिछड़ों के प्रति जवाबदेह बता रहे हैं. सीएम के सुप्रीम कोर्ट न जाने का फैसला फिलहाल सरकार के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, लेकिन तीन महीने में नई लिस्ट जारी करने के बाद भी क्या ये राहत जारी रहेगी? कहना मुश्किल है.

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