2011 में पूरा होना था काम, आज भी लगा है ‘रास्ता बंद है’ का बोर्ड, भ्रष्टाचार की कहानी कहता गंगा पर बना पुल – Hindi News | Bijnor scam in bridge construction on river Ganga corruption MLA Swami Omvesh demands investigation


बिजनौर में गंगा नदी पर बने पुल पर लगा बोर्ड
उत्तर प्रदेश के बिजनौर में गंगा नदी पर बना पुल नेताओं और अधिकारियों के भ्रष्टाचार का जीवन उदाहरण बन गया है. 16 करोड़ रुपये के लागत से इस पुल और अप्रोच रोड का निर्माण साल 2011 में ही होना जाना था, इसके लिए काम साल 2007 में ही शुरू हो गया, लेकिन बड़ी मुश्किल से 5 बार प्रोजेक्ट की लागत बढ़ाने के बाद साल 2020 तक केवल पुल का निर्माण हो सका है. अप्रोच रोड के अभाव में आज भी इस पुल पर खतरे का बोर्ड लगा है कि इसमें बताया गया है कि रास्ता बंद है. यह पुल बिजनौर की चांदपुर तहसील में जलीलपुर ब्लाक के नारनौर में बना है.
बिजनौर की चांदपुर तहसील में नारनौर के साथ मेरठ की मवाना तहसील में हस्तिनापुर ब्लाक के मकदूमपुर के बीच कनेक्टिविटी देने की मांग आजादी के बाद से ही शुरू हो गई थी. इसके लिए स्थानीय लोगों ने काफी संघर्ष किया. बड़ी मुश्किल से सरकार ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी और गंगा नदी पर पुल बनाने का काम साल 2007 से शुरू हो सका. उस समय बने डीपीआर में इस प्रोजेक्ट की लागत 16 करोड़ रुपये बताई गई थी. दावा किया गया था कि इस पुल के साथ अप्रोच रोड का निर्माण कार्य साल 2011 तक पूरा कर लिया जाएगा.यह समयावधि खत्म होने तक 15 फीसदी भी काम नहीं हो पाया.
अब तक खर्च हो चुका है 100 करोड़
इसके बाद कई बार डेडलाइन तय हुई और हर बार प्रोजेक्ट की लागत बढ़ाई गई. जैसे तैसे 16 करोड़ की जगह करीब 100 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद साल 2020 तक इस पुल का निर्माण कार्य तो पूरा कर लिया गया, लेकिन इस पुल को मुख्य सड़क से जोड़ने वाले अप्रोच रोड का निर्माण आज भी अधूरा है. बावजूद इसके, साल 2020 में ही इस पुल को आवागमन के लिए खोल दिया गया. इसके साथ ही इसे नए स्टेट हाइवे के रूप में मान्यता दे दी गई. इस बीच इस नवनिर्मित पुल के लिए बनी टैंपरौरी अप्रोच रोड दो बार गंगा के पानी की धार से नारनौर साइड में कट गई और आवागमन बंद हो गया.
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ढाई सौ करोड़ का रिवाइज्ड बजट
पहली बार इसे रिपेयर कराया गया, लेकिन चार महीने बाद यह अप्रोच रोड बह गया. हालात को देखते हुए पीडब्ल्यूडी इस सड़क पर बांस और बल्ली लगाकर पुल को बंद कर दिया है. इस संबंध में यहां बोर्ड भी लगाया गया है. बल्कि अब तो पीडब्ल्यूडी ने इस पुल को चालू करने के लिए शासन को रिवाइज्ड एस्टीमेट भेजा है. यह एस्टीमेट ढाई सौ करोड़ का है. पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता सतेन्द्र सिंह के मुतिबिक सरकार से बजट मिलने का इंतजार है.
विधायक कर चुके हैं घोटाले की जांच की मांग
बजट मिलते ही अप्रोच रोड, गाइड बंध और सड़क चौड़ीकरण का काम पूरा कर फिर से आवागमन शुरू कर दिया जाएगा. चांदपुर से विधायक स्वामी ओमवेश ने कई बार इस पुल और सड़क के निर्माण में लापरवाही और भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है. इस मुद्दे को वह विधानसभा में भी उठा चुके हैं और मुख्यमंत्री योगीआदित्यनाथ से इसकी जांच की मांग भी कर चुके हैं. बता दें कि इस पुल के बंद होने की वजह से रामपुर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, चांदपुर और धनौरा के लोगों को मेरठ जाने के लिए 50 से साठ किलोमीटर का लंबा चक्कर काटना होता है.