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’18 घंटे काम, भट्ठी में जलाने की धमकी…’, युगांडा से वतन लौटे भारतीय मजदूरों की दर्दभरी दास्तां | Meerut 18 hours work threat of being burnt in furnace painful stories of Indian laborers returning home from Uganda stwtg

'18 घंटे काम, भट्ठी में जलाने की धमकी...', युगांडा से वतन लौटे भारतीय मजदूरों की दर्दभरी दास्तां

वतन वापस लौटे युगांडा में फंसे तीन भारतीय मजदूर.

युगांडा में भारत के कुछ मजदूर फंस गए थे. उनके साथ वहां जो भी जुल्म-ओ-सितम हुआ उसे सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं. ये मजदूर शायद ही कभी वापस लौट पाते लेकिन उन्होंने जैसे-तैसे वीडियो बनाया. सोशल मीडिया पर उसे शेयर किया और भारत सरकार से मदद मांगी. राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेई के पास जब वीडियो पहुंचा तो उन्होंने तुरंत मंत्रालय को मजदूरों की मदद के लिए पत्र भेजा. मेहनत रंग लाई. तीन मजदूरों की तो वतन वापसी हो गई है. लेकिन अभी भी 4 मजदूर वहां फंसे हुए हैं. उम्मीद है वो भी जल्द भारत लौट आएंगे.

मेरठ के सरधना निवासी अशोक कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 38 सेकेंड का एक वीडियो जारी किया था. वीडियो में कहा कि उसकी तरह और भी कई मजदूर युगांडा में फंसे हुए हैं. हमें वतन वापसी करनी है. हमें मदद चाहिए. यहां सभी मजदूरों को परेशान किया जा रहा है. वीडियो सामने आने के बाद मेरठ के राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने विदेश मंत्री को चिट्ठी लिखकर युगांडा से मजदूरों की सकुशल वापसी की मांग की. जिसके बाद अब वहां फंसे कुछ मजदूरों की वापसी हुई है.

अशोक के भाई राहुल ने बताया, ‘पांच मार्च को अशोक समेत कुल सात लोग गन्ना मिल में नौकरी करने गए थे. खतौली निवासी एक युवक युगांडा की एचके शुगर मिल में खुद को जीएम बताकर उन्हें नौकरी दिलाने की बात कहकर साथ ले गया था. अशोक के साथ उत्तर प्रदेश के कुल चार, उत्तराखंड, हरियाणा और बिहार से एक-एक युवक भी साथ गए थे. लेकिन उन्हें वहां खूब टॉर्चर दिया गया.’

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कैसे दिया जाता था टॉर्चर?

वतन वापस लौटे अशोक कुमार ने जुल्म-ओ-सितम की दास्तां बयां करते हुए बताया, ‘6 मार्च को मैं युगांडा पहुंचा. प्लांट में प्रोडक्शन का काम था. 2 महीने बाद ही हमारा उत्पीड़न शुरू हो गया. प्रोडक्शन उतना नहीं निकला. प्लांट 100 टन का है और 300 टन की क्रेसिंग हो रही है, इसके चलते दबाव बनने लगा. हमसे 18-18 घंटे रोज काम करवाया जाता था. हमारे पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज भी उन्होंने अपने पास रख लिए थे. जब हमने कहा कि हमें वापस हमारे घर भेज दो तो हमें झूठे केस में जेल में डालने या 5 लाख रुपए देने की धमकी दी गई. उनके ऑपरेशन मैनेजर योगेश पटेल ने हमें भट्ठी में झोंकने की धमकी दी. हमने किसी तरह राज्यसभा सांसद से संपर्क किया. इनकी मदद से हम आज वतन अपने परिवार में वापस आए हैं.’

किन मजदूरों की हुई वतन वापसी?

युगांडा से वापस लौटे मजदूरों में मेरठ के करनावल निवासी अशोक शर्मा, उत्तराखंड निवासी योगेंद्र कुमार और मुजफ्फरनगर के योगेश कुमार शामिल हैं. पटना के मृत्युंजय कुमार, हरियाणा के ऋषि पाल, सहारनपुर के जसवीर सिंह समेत 4 लोग अभी भी वहीं फंसे हैं. उम्मीद है जल्द ही उनकी भी वतन वापसी हो जाएगी.

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